बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
चाणक्य के कई नाम बताए जाते हैं। उनमें से कौटिल्य और विष्णुगुप्त काफी प्रचलित है। यह भी माना जाता है कि चणक के पुत्र होने की वजह से चाणक्य नाम को काफी ख्याति मिली। कहा तो यह भी जाता है कि उन्होंने महाप्रतापी नंद वंश का नाश किया था।
चाणक्य ने ही अजापाल यानी भेड़बकरियां चराने वाले चंद्रगुप्त मौर्य को प्रजापाल यानी कि राजा बनाया था। चाणक्य ने अर्थशास्त्र नामक ग्रंथ की रचना की थी जिसमें राजनीति, अर्थ, समाज, कृषि और शासन व्यवस्था आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। चाणक्य अपने समय के किंग मेकर थे। वह चाहते थे तो खुद राजा बन सकते थे, लेकिन उन्होंने समाज के सबसे निचले पायदान पर आने वाले चंद्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। उन्होंने प्रधानमंत्री का पद भी बड़ी मुश्किल से स्वीकार किया था।
वह नगर के बाहर एक कुटिया में रहते थे। एक बार चंद्रगुप्त अपनी पत्नी के साथ चंद्रगुप्त की कुटिया पर पहुंचे। उन्होंने चाणक्य से कहा कि यह बताइए, रूप और गुण में से किसको चुनना चाहिए। रूप को अच्छा माना जाए या गुण को? यह सुनकर चाणक्य मुस्कुराए और बोले, महाराज! मैं आपको दो गिलास पानी देता हूं। इसे पीकर बताइए कि कौन सा पानी अच्छा और मीठा लगा आपको।
इसके बाद उन्होंने सोने के घड़े से एक गिलास पानी निकाला और दूसरे गिलास में काली मिट्टी से बने घड़े से पानी निकाला। चंद्रगुप्त ने दोनों गिलासों का पानी पिया और बोले, काली मिट्टी वाले घड़े का पानी मीठा और ठंडा था। सोने के घड़े वाला पानी कोई खास नहीं था। यह सुनकर महारानी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने आपकी बात का जवाब दे दिया है। रूप की जगह गुण ही देखना चाहिए। काली मिट्टी से बना घड़ा उतना सुंदर नहीं है जितना सोने से बना घड़ा सुंदर है, लेकिन काली मिट्टी के घड़े का पानी मीठा और ठंडा है। यह सुनकर सम्राट चंद्रगुप्त चुप रह गए।
No comments:
Post a Comment