Wednesday, May 21, 2025

दया का कोई मूल्य नहीं होता है


बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

डॉ. हावर्ड एटवुड केली का जन्म 20 फरवरी 1858 को न्यूजर्सी में हुआ था। उन्होंने गर्भाशय से जुड़े रोगों में रेडियम के इस्तेमाल पर बहुत ज्यादा काम किया था। वह स्त्री रोग से जुड़े कैंसर और विकिरण चिकित्सा में माहिर थे। उन्हें अमेरिका में बहुत बड़ा डॉक्टर माना जाता था। उन्होंने 1882 में पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1885 में डॉक्टर आॅफ मेडिसिन की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने जॉन्स हॉपकिंस अस्पताल में एक प्रमुख सर्जन के रूप में काम किया और कई चिकित्सा समितियों में सदस्य थे। 

डॉ. केली के बचपन का एक किस्सा बहुत मशहूर है। वह जब किशोर थे, तो वह जीवन यापन और पढ़ाई का खर्च जुटाने के लिए दरवाजे दरवाजे जाकर सामान बेचा करते थे। स्कूल के बाद जो भी समय बचता था, वह सेल्समैनी करते थे। एक दिन क्या हुआ कि उनका कोई भी सामान नहीं बिका। उन्हें भूख भी लग आई थी, लेकिन वह करते भी तो क्या करते? कई घरों में सामान बेचने की कोशिश के बाद उन्होंने तय
किया कि अगला जो भी घर मिलेगा, उस घर से वह खाने को कुछ मांग लेंगे। 

अगले घर का दरवाजा खटखटाने पर एक लड़की बाहर आई, तो उन्होंने पीने के लिए एक गिलास पानी मांगा। लड़की समझ गई कि लड़का भूखा है। वह एक गिलास दूध लेकर आई। दूध पीने के बाद केली की जान में जान आई। उन्होंने लड़की से पूछा कि एक गिलास दूध के कितने पैसे हुए। लड़की ने जवाब दिया कि दया का कोई मूल्य नहीं हुआ करता है। उन्होंने धन्यवाद दिया और आगे बढ़ गए। 

इस बात को कई साल बीत गए। एक दिन लड़की बीमार पड़ी। उसे अस्पताल लाया गया। उसके इलाज के लिए डॉ. केली को बुलाया गया, जो उस समय सबसे महंगे डॉक्टर हुआ करते थे। इलाज के बाद उस लड़की ने पाया कि उसकी फीस जमा की जा चुकी है। 

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