Saturday, May 31, 2025

हरियाणा में अवैध खनन से बच पाएंगी अरावली की पहाड़ियां?

अशोक मिश्र

हरियाणा के हिस्से में आने वाली अरावली की पहाड़ियों पर हो रहा अवैध खनन चिंताजनक स्थिति में पहुंचता जा रहा है। गुरुवार को ही सुप्रीमकोर्ट ने खनन माफिया और अवैध खनन के लिए जिम्मेदार अफसरों पर सख्त कार्रवाई न करने के मामले में हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। मामले की सुनवाई के दौरान प्रदेश के मुख्य सचिव ने जो हलफनामा पेश किया था, उससे इस बात का पता ही नहीं चल रहा था कि अरावली पहाड़ियों पर अवैध खनन कर रहे माफिया और उसके लिए जिन्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई है। हलफनामा देखकर सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस अगस्टीन जार्ज मसीह नाराज हो उठे और उन्होंने मुख्य सचिव के टालमटोल वाले रवैये के प्रति सख्त नाराजगी जाहिर की। 

सर्वोच्च न्यायालय की ओर से गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने  हरियाणा सरकार को नूंह में अरावली की पहाड़ियों पर हो रहे  अवैध खनन को रोकने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। सीईसी के आदेश के बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ। कुछ लोगों के खिलाफ जिला प्रशासन ने कार्रवाई भी की है, लेकिन सुप्रीमकोर्ट इतने भर से संतुष्ट नहीं है। कहा जा रहा है कि नूंह जिले के रवा, बसईमेव, घाटा-शमशाबाद, चित्तौड़ा और अन्य चार गांवों में बड़े पैमाने पर खनन होता रहा। खबरों की मानें तो इसमें स्थानीय सरपंच भी शामिल रहे हैं। आठ से दस किमी की लंबाई में राजस्थान के हिस्से की पहाड़ी बताकर पिछले पंद्रह साल से अवैध खनन हो रहा था, जबकि जिस हिस्से में खनन हो रहा था, वास्तव में वह हरियाणा में थी। 

पिछले पंद्रह साल में खनन माफिया ने आठ से दस किमी क्षेत्र में पूरी पहाड़ी को ही वीरान कर दिया। 2023 के दौरान राजस्थान में किए एक अध्ययन के मुताबिक 1975 से 2019 के बीच अरावली की करीब आठ फीसदी पहाड़ियां गायब हो गईं। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि अगर अवैध खनन और शहरीकरण ऐसे ही बढ़ता रहा तो 2059 तक यह नुकसान 22 फीसदी पर पहुंच जाएगा। 

नूंह के नहरिका, चित्तौड़ा और रावा आदि गांवों में मौजूद पहाड़ियों से आठ करोड़ मीट्रिक टन से ज्यादा खनन सामग्री गायब हो चुकी है। इससे हरियाणा को करीब 22 अरब रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। गुजरात से लेकर हरियाणा तक फैली अरावली की पहाड़ियों पर खनन माफियाओं की कई दशकों से निगाह रही है। अरावली पर पेड़ों की अवैध कटान से लेकर खनन तक होता रहा है और इसमें कुछ स्थानीय अधिकारियों की भी मिलीभगत की बात कही जाती रही है। अरावली क्षेत्र में ही कूड़ा कचरा डालने की बात भी उठती रही है।

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