Friday, May 9, 2025

दमित्री मेंडेलीव ने पूरा किया मां का सपना

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुणों के आधार पर आवर्त सारिणी बनाने वाले रूसी रसायनज्ञ दमित्री इवानोविच मेंडेलीव ने अपने बचपन में काफी संघर्ष किया। मेंडेलीव का जन्म साइबेरिया के टोबोल्स्क में 8 फरवरी 1834 में हुआ था। यह अपने माता-पिता के 14 जीवित बच्चों में से अंतिम थे। जब मेंडेलीव छोटे ही थे, तभी इनके पिता किसी कारणवश अंधे हो गए थे, इसके एकाध साल बाद उनकी मृत्यु भी हो गई।

उन दिनों उनकी मां मारिया मेंडेलीव ने अपनी कांच की छोटी सी फैक्ट्री को संभाला और अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दिया। जल्दी ही उनकी समझ में आ गया कि यदि बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी है, तो उन्हें साइबेरिया को छोड़ना होगा। उन्हीं दिनों कांच की फैक्ट्री में आग भी लग गई। इसलिए उन्होंने कांच की फैक्ट्री को बेच दिया और सेंट पीटसबर्ग आ गईं। 

दमित्री पढ़ने में काफी तेज थे, लेकिन आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से किसी अच्छे स्कूल में वह पढ़ नहीं पा रहे थे। दमित्री और उनके सभी भाइयों को सेंट पीटसबर्ग में अच्छे स्कूलों में उनकी मां मारिया मेंडेलीव ने भर्ती करा दिया। लेकिन बदकिस्मती ने यहां भी दमित्री का साथ नहीं छोड़ा। कुछ साल बाद उनकी मां का भी देहांत हो गया। दमित्री बहुत दुखी हुए। 

दुनिया में मां ही सबसे बड़ा सहारा थी। लेकिन समय सारे घावों को भर देता है। दमित्री ने भी मां की कही हुई बातों को याद किया। उनकी मां कहा करती थी कि मैंने तुम्हारे लिए अपनी सारी संपत्ति सिर्फ इसलिए स्वाहा कर दी ताकि तुम दुनिया की सबसे बड़ी संपत्ति ज्ञान हासिल कर सको। इसके बाद दमित्री ने खूब मन लगाकर पढ़ाई की। धीरे-धीरे वह रूस का ही नहीं, दुनिया के सबसे बड़े रसायनज्ञ बन गए। 

उनकी बनाई तत्वों की आवर्त सारिणी आज भी रसायन विज्ञान पढ़ने वालों का मार्ग दर्शन करती है। उन्होंने अपनी मां का हर सपना पूरा करके ही दम लिया।

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