बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
भौतिक और रसायन विज्ञान के क्षेत्र में माइकल फैराडे का योगदान विस्मयकारी है। उन्होंने अपने आविष्कारों से समाज को कई तरह की सुविधाओं से नवाजा। उनके आविष्कारों ने उद्योग-धंधों को एक नई दिशा प्रदान की। माइकल फैराडे का जन्म 22 सितंबर 1791 को हुआ था।
उनके पिता एक लोहार थे जो अकसर बीमार रहते थे। जब वह छोटे थे, तभी से उन्हें काम करके अपने परिवार को आर्थिक सहयोग करना पड़ा। शुरुआत में उन्होंने अखबार बेचने का काम किया, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें बुक बाइंडिंग का काम मिल गया। फैराडे को बचपन से ही पढ़ने का शौक था। वह बाइंडिंग के लिए आई हुई पुस्तकों को पढ़ने के साथ-साथ अच्छी-अच्छी बातों को नोट कर लेते थे।
एक बार फैराडे को विज्ञान से जुड़ी एक पुस्तक मिली। उन्होंने अपने मालिक से उस पुस्तक को घर ले जाने की इजाजत मांगी। इजाजत मिलने पर वह उसे घर ले गए और उसका गहराई से अध्ययन किया। फिर अपनी कमाई से प्रयोग के लिए छोटी-मोटी चीजें जुटानी शुरू की।
एक दिन एक ग्राहक ने उन्हें प्रयोग करते देखा, तो उसे भौतिक शास्त्र के प्रसिद्व विद्वान डेवी का भाषण सुनाने ले गया। हालांकि वह खुद भी विज्ञान में रुचि रखता था। भाषण सुनने के बाद उन्होंने भाषण की समीक्षा करते हुए कुछ सुझाव भेजे। डेवी को वह सुझाव पसंद आए, तो फैराडे को उन्होंने प्रयोगशाला में सहायक के तौर पर रख लिया।
बाद में फैराडे ने 1831 में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की खोज की, जिससे आधुनिक विद्युत ट्रांसफार्मर का आविष्कार हुआ। फैराडे ने बेंजीन की खोज की, विद्युत अपघटन के नियम विकसित किए और रसायन विज्ञान को आगे बढ़ाया। रॉयल इंस्टीट्यूशन में फैराडे के 19 क्रिसमस व्याख्यानों ने अनगिनत भावी वैज्ञानिकों को प्रेरित किया।
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