Monday, May 5, 2025

पाणिनि पर आचार्य उपवर्ष को हुआ गर्व

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

संस्कृत भाषा के सबसे बड़े वैयाकरण हुए हैं पाणिनि। कहते हैं कि इनका जन्म गांधार के शलातुर गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम पणिन और माता का नाम दाक्षी था। पाणिनी जब बड़े हुए तो उन्होंने उपवर्ष के गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण की। माना जाता है कि पाणिनि ने ही संस्कृत भाषा के व्याकरण को सूत्रबद्ध किया और उसे एक नई दिशा दी। 

पाणिनि की प्रसिद्ध पुस्तक का नाम अष्टाध्यायी है जिसमें आठ अध्याय और चार हजार सूत्र हैं। इस पुस्तक में व्याकरण के अलावा तत्कालीन समाज का भी परिचय मिलता है। अष्टाध्यायी में समाज, भूगोल, पाक शास्त्र और राजनीतिक व्यवस्थाओं के बारे में भी जानकारी मिलती है। पाणिनि के बारे में एक किस्सा बहुत मशहूर है। कहते हैं कि एक दिन गुरुकुल के आचार्य उपवर्ष ने उन्हें कुछ याद करने को दिया। 

उन्हें पाठ याद नहीं हुआ। दूसरे दिन जब उपवर्ष ने पाणिनि से पाठ के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि गुरुजी, काफी प्रयास करने के बाद भी पाठ याद नहीं हुआ। तब उपवर्ष ने सजा देने के लिए उनसे हाथ फैलाने को कहा। जब उपवर्ष ने उनकी हथेली पर निगाह दौड़ाई तो उन्होंने सजा नहीं दी। पाणिनि ने दूसरे दिन पाठ याद करके सुना दिया। तब पाणिनि ने आचार्य से पूछा कि आपने उस दिन मुझे सजा क्यों नहीं दी? 

तब उपवर्ष बोले कि मैंने तुम्हारी हथेलियों को देखकर जान लिया था कि तुम्हारे हाथ में विद्या की रेखा है ही नहीं। तुम आगे भी नहीं पढ़ पाओगे। यह सुनकर पाणिनि ने पास में पड़ा पत्थर उठाया और हथेली पर गहरी रेखा बनाते हुए कहा कि गुरु जी, अब तो बन गई विद्या की रेखा। उसके बाद पाणिनि ने लगन से विद्या हासिल करनी शुरू की। एक दिन ऐसा आया जब उपवर्ष को अपने शिष्य पाणिनि पर गर्व हुआ।

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