Thursday, May 29, 2025

बाढ़ नियंत्रण और जलसंरक्षण का खोजना होगा स्थायी निदान

अशोक मिश्र

हरियाणा पिछले कई दशकों से जल संकट से जूझता चला आ रहा है। हर साल कभी बाढ़ की वजह से राज्य के लोग परेशान होते हैं, तो कभी पानी की कमी से। दो साल पहले जुलाई 2023 में राज्य सरकार को 12 जिलों को बाढ़ग्रस्त घोषित करना पड़ा था। इस बाढ़ से काफी नुकसान हुआ था। लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस जाने से न केवल उनके घरेलू सामान का नुकसान हुआ था, बल्कि खेतों में पानी भर जाने से फसलों को भी भारी नुकसान हुआ था। यह स्थिति दोबारा न पैदा हो, इसके लिए सीएम नायब सिंह सैनी ने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करके सख्त निर्देश दिए हैं कि वह 15 जून तक हर हालत में ड्रैनेज की सफाई करवा लें। 

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने मानसून आने से पहले ड्रेनेज की सफाई की योजना बनानी भी शुरू कर दी है ताकि वर्षाकाल में बाढ़ से निपटने और जल भंडारण में किसी किस्म की परेशानी न हो। वैसे तो योजना यह बनाई जा रही है कि बाढ़ से निपटने और जल भंडारण के लिए एसवाईएल और हांसी-बुटाना लिंक नहरों का उपयोग किया जाए। 

इसके साथ ही साथ ड्रेनों और घग्घर नदी का पानी इन दोनों नहरों में डालने के साथ बरसाती पानी को रोकने के लिए अस्थायी अवरोध बनाए जाएंगे ताकि पानी का संचयन किया जा सके। यह सही है कि यदि सरकार ऐसी व्यवस्था करने में सफल हो जाती है तो निश्चित रूप से बाढ़ से होने वाले नुकसान से लोगों को बचाया जा सकता है, बल्कि भूमि को रिचार्ज भी किया जा सकता है। इससे सिंचाई की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। समीक्षा बैठक में सीएम सैनी ने भले ही अधिकारियों को चेतावनी दी हो कि किसी भी किस्म की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लेकिन इस किस्म की चेतावनी पहले भी कई बार दी जा चुकी है। 

हर साल यह देखने में आता रहा है कि जब भी मानसून आने में कुछ समय रह जाता था तो अधिकारी सक्रिय हो जाते थे। बैठकें होती थीं, आदेश जारी किए जाते थे और अंत में जब बरसात होती थी, तो खबरें आती थीं कि फलां इलाके में पानी भर गया है, अमुक सड़कों पर कई दिनों से बरसाती पानी भरा हुआ है। हालांकि सीएम सैनी ने मानसून आने में काफी कम समय बचा होने की वजह से ड्रेनों की आंतरिक सफाई पर चिंता जाहिर की है। 

सरकार को सबसे पहले तो हर जिले में वह स्थान चिन्हित करना होगा, जहां जलभराव हर साल होता है। उस स्थान पर पानी निकासी की सबसे पहले हल खोजना होगा। जलभराव के कारणों की पहचान करनी होगी, तभी समस्या का स्थायी हल खोजा जा सकेगा।

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