हरियाणा में प्राकृतिक खेती शुरू करने का प्रयास काफी पहले से ही किया जा रहा है। अब पीएम प्राकृतिक खेती मिशन को बढ़ावा देने का प्रयास करना राज्य सरकार ने शुरू कर दिया है। प्राचीनकाल में जब खेती का चलन शुरू हुआ था, तब प्राकृतिक खेती ही की जाती थी। दुनिया भर में खेती की शुरुआत प्राकृतिक रूप में ही हुई थी। पशुओं के चारे के लिए शुरू हुई खेती के लिए जमीन पर बीजों का छिड़काव कर दिया जाता था। बीज उगने के बाद स्वाभाविक रूप से बढ़ते थे। बाद में लोगों ने खेती को जब मुख्य पेशा बना लिया, तब इंसान ने खेती से उत्पादित अनाज का खुद उपयोग करना शुरू कर दिया।
खेत की जुताई के बाद फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए खरपतवार को सड़ा-गलाकर बनाई गई खाद और पशुओं का गोबर का उपयोग किया जाने लगा। खरपतवार और गोबर का उपयोग सदियों से होता आ रहा है, लेकिन जब बीसवीं सदी में रासायनिक खादों का उत्पादन शुरू हुआ, तो प्राकृतिक खेती का रकबा कम होता गया। नतीजा यह हुआ कि रासायनिक खाद का उपयोग करके अधिक से अधिक अन्न उत्पादन की लालसा किसानों में पैदा होने लगी।
रासायनिक खादों के अत्यधिक उपयोग ने अन्न को विषैला बनाना शुरू कर दिया। खादों में उपयोग किए गए रसायन उत्पादित अनाजों में पाए जाने लगे। इसकी वजह से लोगों को कई किस्म की बीमारियां होने लगीं। सरकार और कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को रासायनिक खादों से होने वाले नुकसान के बारे में बताया, लेकिन किसानों का अधिक अन्न उत्पादन का लालच उन पर हावी रहा। हरियाणा की पूर्ववर्ती सरकारों और वर्तमान सैनी सरकार के प्रयास से अब राज्य में प्राकृतिक खेती का रकबा काफी हद तक बढ़ने लगा है। नायब सैनी सरकार ने अब प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए मिशन मोड में काम करने का फैसला किया है।
कैथल में 54 एकड़ पंचायती जमीन पर प्राकृतिक खेती की जाएगी। इसके लिए सरकार ने जमीन भी चिन्हित कर ली है। पंचायती जमीन पर प्राकृतिक खेती करके सरकार किसानों को यह संदेश देना चाहती है कि यदि वह उपजाऊ जमीन पर प्राकृतिक खेती करते हैं, तो इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि प्राकृतिक खेती से उपजे अन्न का उपयोग करने वाले कई तरह की बीमारियों से भी मुक्त रहेंगे। प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देने के लिए आगामी पांच जून को एक कार्यक्रम रखा गया है।
सरकार ने तय किया है कि अगले दो वर्षों में प्राकृतिक खेती मिशन को राज्य के इच्छुक ग्राम पंचायतों के 15 हजार समूहों में लागू किया जाएगा। इसके माध्यम से प्रदेश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ से परिचय कराया जाएगा।
No comments:
Post a Comment