बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
देश के स्वाधीनता संग्राम में अगणित वीरों ने अपनी शहादत दी। वैसे तो ईष्ट इंडिया कंपनी और बाद में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ बगावत तो बहुत पहले शुरू हो गई थी और लोग अपनी शहादत भी दे रहे थे। इन शहीदों में कुछ का नाम हुआ और बाकी गुमनाम ही रहे। दुनिया के सबसे लंबे चले स्वाधीनता संग्राम में किसी देश के लिए सबको याद रख पाना भी संभव नहीं है।
लेकिन 14 अगस्त सन 1942 को अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज हरिद्वार के छात्र जगदीश प्रसाद वत्स ने सुभाष घाट डाकघर और रेलवे स्टेशन पर अलग-अलग तिरंगा फहराया था। उस समय वत्स की आयु कुल सत्रह साल थी। सन 42 में महात्मा गांधी ने नारा दिया था-अंग्रेजों भारत छोड़ो।
वह सत्य और अहिंसा से ब्रिटिश हुकूमत को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर देना चाहते थे। ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्रावास में छात्रों ने 14 अगस्त को कुछ जगहों पर तिरंगा झंडा फहराने की योजना बनाई। इस योजना को सफल करने का बीड़ा उठाया उत्तर प्रदेश के अकबरपुर जिले के खजूरी गांव में पैदा हुए जगदीश प्रसाद वत्स ने। उन्होंने अंग्रेजों की छावनी के पास एक झंडा फहराया। इसे देखकर सब इंस्पेक्टर प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव ने वत्स पर गोली चलाई। गोली ने बांह को चीर दिया।
उन्होंने झट से बांह पर कपड़ा बांधा और दौड़कर सुभाष घाट पहुंचे, जहां प्रेम प्रकाश ने एक और गोली पैर में मार दी। इस पर भी वत्स ने हार नहीं मानी। हरिद्वार रेलवे स्टेशन पहुंचकर झंडा फहराया। यहां उनके सीने पर गोली लगी और वे मूर्छित हो गए। मूर्छा कम होने पर अंग्रेजों ने माफी मांगने को कहा, तो उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद वह शहादत को प्राप्त हो गए।
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