Tuesday, May 13, 2025

नर्सिंग आंदोलन की जन्मदात्री फ्लोरेंस नाइटिंगेल

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

फ्लोरेंस नाइटिंगेल यही नाम है उस महिला का जिसे आधुनिक नर्सिंग आंदोलन की जन्मदात्री माना जाता है। दया, ममता और सेवा का प्रतिरूप मानी जाने वाली इस महिला को ‘द लेडी विद द लैंप’ कहा जाता है। 12 मई 1820 में ब्रिटेन के उच्च परिवार में जन्मी नाइटिंगेल ने जब सेवा का व्रत लिया, तो उनके परिवार वालों ने काफी विरोध किया। इनकी मां फ्रांसिस नाइटिंगेल को चिकित्सा का अच्छा खासा ज्ञान था। 

यही वजह है कि इनके घर में मरीजों की भीड़ लगी रहती थी। नर्सिंग सेवा के क्षेत्र में फ्लोरेंस का सबसे बड़ा योगदान क्रीमिया युद्ध के दौरान माना गया। क्रीमिया युद्ध से पहले घायल सैनिकों की देखभाल और सुरक्षा पर कम ही ध्यान दिया जाता था। लेकिन जब क्रीमिया युद्ध में फ्लोरेंस ने सेवा का काम संभाला तो वह सभी घायल सैनिकों की चिकित्सा करतीं, उनकी मलहम पट्टी करतीं, उनकी जरूरतों का ध्यान रखती थीं। 

वह रात्रि में भी एक लैंप लेकर घायल सैनिकों की सेवा सुश्रुषा करती रहती थीं। इनकी जीवन भर की सेवाओं को सम्मान करते हुए 1869 में ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया ने रायल रेडक्रास से सम्मानित किया था। लेकिन फ्लोरेंस के जीवन का पहला मरीज एक कुत्ता था। बचपन में फ्लोेरेंस को काली खांसी और खसरा हो गया था। तो उन्हें बच्चों के साथ खेलने की इजाजत नहीं थी। 

वह जंगल जा सकती थीं। रोज वह जंगल जाती, तो रोजर नामक गड़रिये को पशु चराती देखतीं। एक दिन उन्होंने पाया कि रोजर का कुत्ता कैप उसके साथ नहीं है। उन्होंने पता किया, तो मालुम हुआ कि कुछ लड़कों ने पत्थर मारकर कैप को घायल कर दिया है। यह सुनकर वह कैप को घर लाईं और उसकी मलहम पट्टी की। कुछ दिन बाद वह ठीक हो गया। कैप को ठीक देखकर उन्हें काफी सुकून मिला।

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