किसी देश या प्रदेश का विकास इस बात पर निर्भर करता है, उस देश या प्रदेश में पूंजी निवेश की क्या स्थिति है? पूंजी निवेश भी कोई भी उद्योगपति तभी करता है, जब देश या प्रदेश में कानून व्यवस्था और सड़कों की स्थिति उसके अनुकूल हो। नौकरशाही उद्योगों के विकास में रुचि रखती हो या फिर शासन भी पूंजी निवेश के लायक प्रदेश में माहौल पैदा करके उद्योगपतियों का विश्वास जीत चुका हो। हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी का तीन दिवसीय जापान दौरा काफी हद तक सफल रहा।
इस दौरे की सफलता ने यह बात साबित कर दी कि सीएम जापान के पूंजीपतियों को यह विश्वास दिलाने में सफल रहे कि प्रदेश की औद्योगिक नीतियां, मजबूत बुनियादी ढांचा और कानून व्यवस्था के चलते माहौल सुरक्षित और पूंजी निवेश के अनुकूल है। तीन दिवसीय जापान दौरे के बाद यह तस्वीर साफ हो गई है कि निकट भविष्य में बड़े पैमाने पर राज्य में औद्योगिक, कृषि और तकनीकी विकास के लिए भारी पैमाने पर जापान से पूंजी निवेश होगा। सीएम के नेतृत्व में गए उच्च प्रतिनिधिमंडल ने पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक पूंजी निवेश के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। जापान भारत का बहुत पुराना मित्र देश रहा है।
सदियों पहले से ही जापान के लोग भारत आते-जाते रहे हैं। यहां से भी बहुत सारे पर्यटक मौर्य शासन के दौरान गए हैं। महात्मा बुद्ध को भगवान की तरह पूजने वाला देश जापान आज शिक्षा, तकनीक, विज्ञान और उद्योग के मामले में बहुत आगे है। बौद्ध धर्म जापान का राष्ट्रीय धर्म है। इससे भारत और जापान के बीच के प्रगाढ़ संबंधों को समझा जा सकता है। आजादी की लड़ाई के दौरान भी जापान के ही सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन हो पाया था। इतना ही नहीं, सन 1980 में जापान ने गुरुग्राम में मारुति उद्योग से भारत में निवेश की शुरुआत की थी।
हरियाणा राज्य के प्रति जापानी उद्योगपतियों को विश्वास बहुत पहले से ही कायम रहा है। पिछले एक दशक में यह विश्वास और मजबूत हुआ है। यही वजह है कि सीएम सैनी की यात्रा के दौरान जापान में 4400 करोड़ रुपये से अधिक दस समझौतों पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। जापान की अग्रणी कंपनियों में शुमार की जाने वाली एयर वायर, टीएएसआई, नम्बूब, डैंसो, सोजिल्ज, निसिन जैसी लगभग एक दर्जन कंपनियों ने हरियाणा में पूंजी निवेश के लिए रुचि दिखाई है।
जापानी निवेशकों के सामने सीएम सैनी यह इच्छा भी व्यक्त कर चुके हैं कि प्रदेश में बनने वाले दस एमआईटी में से एक में जापान की ही कंपनियां पूंजी निवेश करें, ताकि कम से कम एक एमआईटी मिनी जापान जैसी दिखे। इससे जापान और हरियाणा के लोग एक दूसरे की सभ्यता और संस्कृति को भली भांति समझ भी सकेंगे।
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