Thursday, October 16, 2025

वन विभाग से अनुमति लिए बिना पेड़ काटने पर लगी रोक

अशोक मिश्र

हरियाणा का पर्यावरण खराब होता जा रहा है। इसकी वजह प्रदेश में हर साल घटता वन क्षेत्र माना जा रहा है। पिछले दो साल में प्रदेश में 14 वर्ग किमी वन क्षेत्र घटा है। वन क्षेत्र घटने का कारण अवैध पेड़ों की कटाई को माना जा रहा है। वन माफिया अरावली वन क्षेत्र से लेकर अन्य जगहों पर भी पेड़ों की अवैध कटान कर रहे हैं। कई बार यह अवैध कटान संबंधित विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से होता है, तो कई बार वह सचमुच अवैध कटान से अनभिज्ञ होते हैं।  

इसके अलावा कई मामलों में यह भी देखा गया है कि सड़कों को चौड़ा करने के लिए बाधा बनने वाले पेड़ों को काटना मजबूरी हो जाती है। इसकी वजह से भी वन क्षेत्र घटता जाता है। राज्य में कुल वन क्षेत्र 3307.28 वर्ग किमी है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 7.48\प्रतिशत है। इसमें से वन क्षेत्र 3.65 प्रतिशत है। अरावली पर्वत शृंखला पर पेड़ों की कटाई इतनी ज्यादा हुई है कि अवैध कटान को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को भी मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा है। अरावली क्षेत्र में अवैध खनन माफियाओं की वजह से वन क्षे घट रहा है। 

यह माफिया केवल अवैध खनन ही नहीं करते हैं, बल्कि पेड़-पौधों को भी काट ले जाते हैं। हरियाणा सरकार की नई वन परिभाषा की वजह सेभी वन क्षेत्र घटने की आशंका है। सैनी सरकार की नई वन नीति के मुताबिक, पांच हेक्टेयर  से कम क्षेत्र में उगे पेड़-पौधों और झाड़ियों को वन नहीं माना जाएगा। इस नई नीति के चलते पांच हेक्टेयर से कम वन क्षेत्र उगे पेड़-पौधों को लकड़ियों की तस्करी और व्यापार करने वाले काट ले जाएंगे। ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है। 

अब हरियाणा सरकार ने अवैध वन कटान और पेड़-पौधों को कटने से बचाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ऐसा प्रयोग दिल्ली सरकार पहले भी कर चुकी है। प्रदेश सरकार ने नई एडवायजरी जारी करते हुए कहा कि अब राज्य के सरकारी और निजी संस्थानों में उगे पेड़ को काटने से पहले वन विभाग की अनुमति लेनी होगी। निजी संस्थानों में उगे पेड़ों को इससे पहले बिना वन विभाग की अनुमति लिए काट लेते थे। यह एडवायजरी प्रदेश के सभी जिलों में भेजी जा चुकी है। 

यह आदेश भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया है। प्रदेश सरकार एनजीटी के आदेश पर गाइड लाइन बनाने की तैयारी कर रही है। वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए वन विभाग हर साल प्रयास करता है। हर साल लाखों पौधे रोपे जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश का वन क्षेत्र घटता जा रहा है। इसका कारण यह है कि पौध रोपण के बाद उनकी देखरेख नहीं की जाती है। आधे से ज्यादा रोपे गए पौधे सूख जाते हैं और बाकी बचे पौधों में से कुछ को लावारिस पशु चर जाते हैं। कुछ ही पौधे सुरक्षित रह पाते हैं।

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