अशोक मिश्र
दो दिन बाद शादियों का सीजन शुरू होने वाला है। एक नवंबर से देश में शादियां होनी शुरू हो जाएंगी। वैसे तो इसमें कोई खास बात नहीं है। खास बात यह है कि जून महीने में अरावली क्षेत्र में जिन 240 से अधिक अवैध निर्माणों को तोड़ा गया था, उनमें ज्यादातर बैंक्विट हाल, मैरिज गार्डन, रिसॉर्ट और फार्म हाउस थे। कुछ लोगों ने वहां पर अपने घर भी बना लिए थे। शादियों का सीजन नजदीक आने से पहले ही लोगों ने बैंक्विट हाल और मैरिज गार्डन की रिपेयरिंग और पुनर्निमाण शुरू कर दिया है।ध्वस्त किए गए मैरिज गार्डन, बैंक्विट हाल और रिसॉर्ट को दोबारा खड़ा करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है। जून में सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर अरावली क्षेत्र में अवैध निर्माणों को गिराया गया था। अरावली पर्वत शृंखला के प्रतिबंधित क्षेत्र में कुछ भाजपा नेताओं, अधिकारियों और उद्योगपतियों के अवैध रूप से रिसॉर्ट, बैंक्विट हॉल और मैरिज गार्डन्स बना रखे थे। सुप्रीमकोर्ट कई बार इन्हें तोड़ने का आदेश दे चुका था।
सुप्रीमकोर्ट ने जब राज्य सरकार को कटु शब्दों में अरावली क्षेत्र को अवैध कब्जे से मुक्त कराने और कार्रवाई रिपोर्ट उसके सामने पेश करने का आदेश दिया, तो मजबूरन स्थानीय निकाय को कार्रवाई करनी पड़ी और 240 से अधिक अवैध निर्माणों को ध्वस्त करना पड़ा। यहां तक आने वाले रास्तों को भी खोद दिया गया था, लेकिन अवैध निर्माण करने वालों ने बाद में इसे धीरे-धीरे पाटना शुरू कर दिया था। बता दें कि अरावली वन क्षेत्र में पंजाब भू-संरक्षण अधिनियम 1900 की धारा चार और पांच लागू होती है।
इस अधिनियम के मुताबिक, अरावली क्षेत्र से सटे चार गांवों अनंगपुर, अनखीर, मेवला महाराजपुर और लकड़पुर के जंगलों में किसी प्रकार का पक्का या कच्चा निर्माण नहीं किया जा सकता है। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हुआ। भूमाफियाओं ने स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से लोगों को जमीनें बेच दीं। खरीदने वालों ने इन जमीनों पर अपनी जरूरत के मुताबिक अवैध निर्माण खड़े कर दिए। किसी ने फार्म हाउस बनाया, तो किसी ने बैंक्विट हाल। किसी ने अधिक लाभ कमाने के लिए मैरिज गार्डन बनाकर अरावली पर्वतमाला को संकट में डालना शुरू किया। जब कुछ लोगों ने इसकी शिकायत की, तो उनकी बात पर प्रशासन ने ध्यान ही नहीं दिया।
नतीजतन लोगों को विभिन्न अदालतों की शरण लेनी पड़ी। सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाया और अवैध निर्माण को ढहाने का सख्त आदेश स्थानीय निकायों को दिया। जून में जब अवैध निर्माण गिराए जा रहे थे, तब भी कुछ लोगों ने इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। बहरहाल, स्थानीय निकायों को इस मामले में ध्यान देना चाहिए और सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पूरी तरह पालन करना चाहिए।
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