Friday, October 10, 2025

हमेशा अच्छे लोगों की संगति करना

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

हकीम लुकमान का जिक्र कुरान में भी आया है। वैसे भी
चिकित्सा क्षेत्र में हकीम लुकमान का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। वह अरब देशों में सबसे बड़े वैद्य माने जाते थे। वैसे तो अरबी, फारसी और तुर्की साहित्य में हकीम लुकमान के बारे में बहुत सारी कहानियां प्रचलित हैं। हालांकि इन कहानियों में से कुछ ही सच्ची हो सकती हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि लुकमान की मौत के बाद उनके बारे में बहुत सारी कहानियां जोड़ दी गई थीं। 

वैसे भी लुकमान का जन्म इस्लाम के आगमन से पूर्व का माना जाता है। यही वजह है कि कुरान में उनका जिक्र है। कहा जाता है कि हकीम लुकमान जब बूढ़े हो गए और उन्हें लगा कि अब उनका अंतिम समय आ गया है, तो उन्होंने अपने बेटे को आखिरी शिक्षा देने की सोची। वैसे वह हकीमी विद्या अपने बेटे को सिखा चुके थे। लेकिन उसे सांसारिक ज्ञान देने की जरूरत वह समझते थे। 

इसलिए मरने से पहले उन्होंने अपने बेटे को बुलाया और कहा कि बेटा! तुम कोयले और चंदन के टुकड़े ले आओ। बेटे को अपने पिता की बात बहुत अटपटी लगी, लेकिन उसे पिता का आदेश मानना ही था। वह रसोई में गया और उसने कोयले का टुकड़ा उठा लिया। संयोग से घर में चंदन का भी टुकड़ा मिल गया। वह लेकर पिता के पास पहुंचा, तो उन्होंने कहा कि इसे फेंक दो। 

जब बेटा फेंकने चला, तो उसे रोकते हुए कहा कि तुम्हारे हाथ में कालिख लगी है या नहीं। बेटे ने कहा कि लगी है। तब हकीम ने कहा कि बुरे लोगों की संगति कोयले की तरह होती है। जीवन भर बुराई पीछा नहीं छोड़ती है। वहीं चंदन पकड़ने वाला हाथ महक रहा होगा। सज्जन पुरुष चंदन की तरह होते हैं। हमेशा सज्जन लोगों से ही मित्रता करना। इसके बाद लुकमान ने आंखें मूंद ली।

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