Monday, October 13, 2025

फिर खराब होने लगी हवा, दीपावली पर पटाखे जलाने से करें परहेज


अशोक मिश्र

मानसून हरियाणा से विदा हो चुका है। वैसे तो निकट भविष्य में अब प्रदेश में बरसात की कोई संभावना नहीं है। बरसात खत्म होने के बाद भी काफी दिनों तक वायु की गुणवत्ता ठीक ठाक रहती है, ऐसा एकाध दशक पहले तक माना जाता था। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। बरसात होने पर भले ही प्रदूषण का स्तर काफी घट जाता हो, लेकिन बरसात खत्म होने के कुछ ही घंटे या दिन बाद वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है। इन दिनों दिल्ली और एनसीआर सहित हरियाणा के लगभग सभी जिलों में प्रदूषण बढ़ने लगा है। 

वैसे तो लगभग पूरे साल दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खराब की श्रेणी में ही रहता है, लेकिन बरसात के विदा होने के तुरंत बाद ही वायु गुणवत्ता सूचकांक का बढ़ जाना चिंताजनक है। शनिवार को दिल्ली के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक दो सौ से ऊपर ही रहा। फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में भी शनिवार को एक्यूआई 258 तक पहुंच गया था जो एक्यूआई के खराब होने का सूचक है। यही हाल प्रदेश के लगभग सभी शहरों का है। अभी से अगर एक्यूआई 250 से ऊपर जा रहा है, तो आने वाले दिनों में क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सात-आठ दिन बाद दीपावली है। 

इस बार सुप्रीमकोर्ट भी पटाखे जलाने में छूट देने के मूड में दिखाई दे रहा है। ऐसी स्थिति में पटाखों की वजह से कितना प्रदूषण फैलेगा, इसका सहज आकलन किया जा सकता है। पिछले कुछ दिनों से हरियाणा में हवा की रफ्तार धीमी हो जाने से प्रदूषण के कण एक जगह पर स्थिर होने लगे हैं। इसकी वजह से कई इलाकों में बहुत ज्यादा प्रदूषण है। नतीजा यह हो रहा है कि हृदय और अस्थमा के रोगियों की परेशानी बढ़ रही है। अस्पतालों में जुकाम, अस्थमा, हृदय और त्वचा रोग संबंधी मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। प्रदेश के सरकारी अस्पताल प्रदूषण जनित रोगियों से भरे पड़े हैं। 

प्राइवेट अस्पतालों में भी ऐसे रोगियों की भरमार है। यह स्थिति बताती है कि दस-पंद्रह दिन बाद हालात और भी बिगड़ने वाले हैं। संतोष की बात यह  है कि हरियाणा में इस बार पराली जलाने की घटनाएं बहुत मामूली हुई हैं। बढ़ते प्रदूषण में किसानों की भागीदारी बिल्कुल न के बराबर है। सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण के लिए वाहनों से निकला धुआं जिम्मेदार है। 

सड़कों पर दौड़ते वाहनों से निकलने वाला धुआं अब लोगों के लिए मुसीबत का कारण बनता जा रहा है। वायु प्रदूषण लोगों के लिए साइलेंट किलर जैसा है। इसके बावजूद लोग प्रदूषण को लेकर सतर्क नहीं हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में लोगों से बस यही अपील की जा सकती है कि वह दीपावली पर कम से कम पटाखों को चलाएं। यदि जलाना ही हो, तो ग्रीन पटाखे ही जलाएं। पटाखा कम जलाकर जहां वह अपने पैसों की बचत करेंगे, वहीं वह पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाने से बच जाएंगे।

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