Sunday, October 19, 2025

सुकरात के अमीर मित्र का भौंड़ा प्रदर्शन

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

कुछ लोग अपनी धन-संपदा का भौंडा प्रदर्शन करने में ही अपनी शान समझते हैं। पुराने समय में जमींदार या धनी लोग समाज से किसी प्रकार के आयोजन में जब बुलाए जाते थे, तो पहली बात वह अपने किसी प्रतिनिधि को भेज दिया करते थे। यदि किसी कारणवश उन्हें जाना भी पड़ा, तो अपनी संपन्नता का प्रदर्शन करने से नहीं चूकते थे। 

यदि सामूहिक रूप से भोज का आयोजन किया जाए, तो वह विशेष बर्तन जैसे सोने-चांदी से बने बर्तन में ही खाना पसंद करते थे। पहनावे में भी उनके अमीरी झलकती थी। यूनान के महान दार्शनिक सुकरात के समय में भी कुछ लोग ऐसा ही करते थे। पता नहीं,यह कथा कितनी सही है, लेकिन कही जाती है। 

सुकरात के एक मित्र को अपनी अमीरी का प्रदर्शन करने का बड़ा शौक था। वह कहीं भी जाते थे, तो अपने साथ एक नौकर ले जाते थे जो उनके खाने-पीने के बर्तन साथ लेकर चलता था। वह अपने बर्तन के अलावा किसी दूसरे के बर्तन में खाते-पीते नहीं थे। सुकरात को अपने मित्र की यह आदत पसंद नहीं थी, लेकिन मित्रता की वजह से उन्हें कटु वचन कहना नहीं चाहते थे। 

एक दिन सुकरात ने अपने उस मित्र को खाने पर आमंत्रित किया। जैसे ही मित्र सुकरात के घर पहुंचा, वह उसे पुरुषों की भीड़ में ले गए। उनके नौकर को दरवाजे पर ही रोक दिया गया। उसी समय लोगों के लिए खाना परोस दिया गया। साधारण थाली में अपने सामने खाना देखकर मित्र असहज हो गया, लेकिन लोगों के अनुरोध करने पर खाना पड़ा। खाना खाने के बाद उनका मित्र जब विदा होने लगा, तो सुकरात अपने मित्र की थाली में खाना लेकर पहुंचे और कहा कि महिलाओं ने सोचा कि तुम इस थाली में अपने परिवार के लिए खाना लेकर जाओगे। इसलिए यह खाना औरतों ने भिजवाया है। यह सुनकर मित्र बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने यह आदत छोड़ दी।

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