बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
प्रकृति ने स्त्री और पुरुष दो प्रकार के जीवों की रचना की है। वैसे तो इंसानों में थर्ड जेंडर भी पाए जाते हैं, लेकिन विज्ञान मानता है कि गर्भ धारण के वक्त कुछ ऐसी अप्रत्याशित कारण पैदा हो जाते हैं जिसकी वजह से थर्ड जेंडर का जन्म होता है। इस स्थिति पर किसी का कोई वश भी नहीं है। लेकिन जो लोग स्त्री और पुरुष या बेटा-बेटी में भेद करते हैं, वह सुखी नहीं रह पाते हैं। इस संबंध में एक बड़ी रोचक घटना बताई जाती है।
कहा जाता है कि किसी राज्य में एक संत रहते थे। वह लोगों के बीच भेदभाव रहित जीवन जीने की प्रेरणा दिया करते थे। उनके पास जो भी अपनी समस्याएं लेकर आता था, वह उसका समाधान बता दिया करते थे। लोग उनके निस्वार्थ भाव से की गई सेवाओं का बड़ा सम्मान किया करते थे। एक बार की बात है। एक अमीर व्यापारी उनके पास आया और बोला-महाराज! वैसे तो मेरे पास अथाह धन संपत्ति है।
संतान भी है। मेरी दो पुत्रियां है, लेकिन मेरे एक बेटा नहीं है। इस वजह से मेरा मन अशांत रहता है। आप ही बताएं मैं क्या करूं? संत ने पूछा कि आपको बेटा क्यों चाहिए? व्यापारी ने उत्तर दिया कि पुत्र न होने से लोगों को मोक्ष नहीं मिलता है। संत ने पूछा कि तुमने किसी ऐसे आदमी को देखा है कि उसे पुत्र न होने की वजह से मोक्ष न मिला हो।
व्यापारी ने कहा कि मैंने ऐसा सुना है। तब संत बोले कि सुनी सुनाई बातों पर आप विश्वास क्यों करते हैं। मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं जिनके पुत्र होते हुए भी वह दुखी हैं। यदि तुम अपनी दोनों पुत्रियों को अच्छी शिक्षा दो, तो वह आपको बेटे से ज्यादा गौरवान्वित करेंगी। यह सुनकर व्यापारी की आंखें खुल गई। उसने तब से पुत्र-पुत्री में भेदभाव न करने का संकल्प लिया।
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