मकान, दुकान या दूसरी जरूरतों आदि के लिए लोगों को ऋण देने वाली निजी कंपनियां पिछले काफी दिनों से लोगों का शोषण कर रही हैं। कुछ फाइनेंस कंपनियों ने तो इसे लोगों को डरा धमकाकर अवैध वसूली का धंधा बना लिया है। वैसे तो आमौतर पर चिटफंड फाइनेंस कंपनियां लोगों से विभिन्न योजनाओं के नाम पर पैसे जमा कराती हैं। जब किसी इलाके में एक मोटी रकम जमा हो जाती है, तो कंपनी के पदाधिकारी और कर्मचारी रफूचक्कर हो जाते हैं।
फंस जाता है बेचारा स्थानीय निवासी जिसको आगे करके फाइनेंस कंपनियां लोगों को अपने जाल में फंसाती हैं। लेकिन हरियाण और दिल्ली में कुछ अलग ही किस्म की धोखाधड़ी की गई है। फाइनेंस कंपनियों की धोखाधड़ी के शिकार साढ़े पांच सौ से ज्यादा लोग बताए जा रहे हैं। इन लोगों ने एक निजी फाइनेंस कंपनी से लोन लिया था। इसके लिए एक स्थानीय व्यक्ति को मध्यस्थ बनाया गया था। उस आदमी ने रेहड़ी, ठेले वालों को दो हजार से पचास हजार रुपये तक ऋण दिलाया।
ऋण देते समय दो ब्लैंक चेकों पर हस्ताक्षर करवाकर कंपनी ने जमा करा लिया। लोन मिलने के बाद मध्यस्थ ने एक कर्मचारी को नौकर रखकर ऋण लेने वालों से छह सौ रुपये रोज के हिसाब से वसूले और कंपनी में जमा कर दिया। सारा लोन चुकता होने के बाद भी कंपनी ने मनमानी रकम भरकर चेकों को बैंक में जमा करा दिया। जब बैंक ने उचित बैलेंस न होने की वजह से चेक बाउंस कर दिया, तो कंपनी ने देनदारों के खिलाफ मुकदमा कर दिया। अब सारा कर्ज चुकाने के बावजूद 550 से अधिक लोग कोर्ट के चक्कर काटने पर मजबूर हैं।
मजे की बात यह है कि फाइनेंस कंपनी न तो कहीं रजिस्टर्ड है और न ही कंपनी इनकम टैक्स भरती है। पीड़ितों ने दिल्ली अपराध शाखा में इसकी शिकायत भी की, मामले की जांच चल रही है। हरियाणा में ही नहीं, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड जैसे तमाम राज्यों में फाइनेंस उपलब्ध कराने के नाम पर बहुत सारी फर्जी कंपनियां चल रही हैं। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद चिटफंड कंपनियों पर शिकंजा कसा गया है। कई चिटफंड कंपनियां न केवल बंद हुई हैं, बल्कि जनता से ठगी करने वालों को गिरफ्तार भी किया या है। वे सलाखों के पीछे हैं और अपनी करनी का फल भोग रहे हैं।
इसके बावजूद चिटफंड कंपनियों ने लोगों को ठगने के लिए थोड़ा रूप बदल लिया है। निजी कंपनिया फाइनेंस करते समय अपने सारे नियम कायदे कानूनों की पूरी जानकारी नहीं देती हैं। इसके बाद वसूली शुरू करते हैं। तयशुदा रकम से कहीं ज्यादा की वसूली करने के बाद भी पीड़ित को कई तरह से धमकाया जाता है। बैंकिंग कंपनियां तो मार्शलों के माध्यम से कर्ज लेने वालों को फोन पर या घर पर जाकर डराती धमकाती हैं। कई बार लोग परेशान होकर गलत कदम भी उठा लेती हैं।
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