Saturday, October 18, 2025

गांधी का सत्याग्रह निकला अचूक हथियार


बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से भारत आने के बाद पहले देश और यहां के लोगों के रहन-सहन आदि का अध्ययन करने का फैसला किया। उन्होंने शहर से लेकर गांव-देहात की पदयात्राएं कीं, भारत की कमियों और खूबियों को अच्छी तरह से समझा। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस में काम करना शुरू किया। धीरे-धीरे उन्हें यह समझ में आ गया कि भारत के लोगों को कैसे जगाना होगा। उन्हें आजादी के लिए कैसे प्रेरित करना होगा, ताकि अहिंसा के रास्ते से आजादी हासिल हो सके। उन्होंने सत्याग्रह करने का फैसला किया। सत्याग्रह करने का विचार महात्मा गांधी को भारत से नहीं, बल्कि दक्षिण अफ्रीका से मिला था। एक बार की बात है। महात्मा गांधी रेलगाड़ी से डरबन से प्रिटोरिया जा रहे थे। उनके पास पहले दर्जे का टिकट था। वह गाड़ी में बैठे हुए थे, तभी एक अंग्रेज अफसर आया। उसने महात्मा गांधी को तीसरे दर्जे में जाकर बैठने को कहा। महात्मा गांधी ने कहा कि उनके पास पहले दर्जे का टिकट है। लेकिन अंग्रेज नहीं माना। उसने महात्मा गांधी को जबरदस्ती प्लेटफार्म पर धक्का देकर उतार दिया। महात्मा गांधी को बहुत बुरा लगा। एक बार उन्होंने सोचा कि यह अपमान सहने से बेहतर है कि वह अपना काम अधूरा ही छोड़कर वापस लौट जाएं। क्या वह अपमान सहने के लिए ही पैदा हुए हैं? लेकिन उनकी अंतरात्मा ने कहा कि उन्हें इसका प्रतिरोध करना चाहिए। वह जाकर वेटिंग रूम में बैठ गए। उनका ओवरकोट और सामान गाड़ी में रह गया था। इसके बाद उन्होंने अफ्रीका में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। जिसके कारण वह दक्षिण अफ्रीका में बहुत मशहूर हो गए और हुकूमत को कई मामलों में पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।



No comments:

Post a Comment