Sunday, April 13, 2025

हुजूर! किसी को झूठा आश्वासान न दें

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

किसी को मदद करने का आश्वासन देकर भूल जाना, बहुत बड़ा गुनाह है। जब किसी को मदद का आश्वासन दिया जाता है, तो वह आदमी उस विश्वास पर दूसरी जगह से मदद हासिल करना का प्रयास करना छोड़ देता है। ऐसी स्थिति में जब आश्वासन देने वाला अपना वायदा पूरा न करे, तो उस व्यक्ति को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है जिससे मदद का वायदा किया गया हो। इस संदर्भ में एक कथा कही जाती है। 

किसी राज्य का बादशाह कहीं अपने महल की ओर आ रहा था। मुख्य द्वार पर उसने देखा कि एक बूढ़ा दरबान अपनी फटी-पुरानी वर्दी में सर्दी में भी मुस्तैद खड़ा है। बादशाह ने उसके पास अपनी सवारी रुकवाई और उस बुुजुर्ग से पूछा कि क्या तुम्हें सर्दी नहीं लग रही है? तुमने गरम कपड़े क्यों नहीं पहने हैं? उस दरबान ने बादशाह का अभिवादन करते हुए कहा कि हुजूर, सर्दी तो लग रही है, लेकिन क्या करूं? 

मेरे पास पहनने को कोई गर्म कपड़ा नहीं है। बादशाह को उस बुजुर्ग दरबान पर दया आई। उन्होंने उससे कहा कि अच्छा, कुछ देर इंतजार करो। मैं अपने महल में जाकर देखता हूं, कोई पुराना गरम कपड़ा मिलता है, तो वह तुम्हारे लिए भिजवाता हूं। चिंता मत करो, जल्दी ही तुम्हें कपड़ा मिल जाएगा। इसके बाद बादशाह अंदर गए और अपनी पत्नी और बच्चों के चक्कर में गरम कपड़ा भिजवाना भूल गए। 

सुबह जब बादशाह दरवाजे पर पहुंचा, तो वहां एक अलग ही नजारा देखने को मिला। वह दरबान मरा हुआ पड़ा था और कच्ची मिट्टी पर अंगुली से लिखा गया था कि हुजूर, मैं कई साल से इस फटी वर्दी में सर्दियों में पहरा देता आ रहा हूं। मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई। आपके आश्वासन के बाद मुझे तेज सर्दी लगी और मैं मर रहा हूं। आपसे गुजारिश है कि भविष्य में आप किसी से झूठा वायदा न करें। यह देखकर बादशाह बहुत पछताया।

No comments:

Post a Comment