Tuesday, April 1, 2025

आप मुझे अपना बेटा मान लीजिए

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

भारत में नारी को पूजनीय माना गया है। कहा भी गया है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमंते तत्र देवता। कहने का मतलब यह है कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। नारी की महत्ता प्रदर्शित करने के लिए ही साल में दो बार नवरात्र मनाए जाते हैं और कन्याओं का पूजन किया जाता है। यह भारतीय संस्कृति है। यहां हर पराई स्त्री को मां, बहन और बेटी समझने की शिक्षा दी जाती है। 

इस बात को स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़े एक प्रसंग से अच्छी तरह समझा जा सकता है। एक बार की बात है। स्वामी विवेकानंद की बातों और व्यवहार से एक विदेशी महिला बहुत प्रभावित हुई। उसने कई बार स्वामी जी से मिलने का प्रयास किया। लेकिन वह सफल नहीं हो पाई। 

एक दिन वह उस जगह पहुंच गई जहां स्वामी विवेकानंद प्रवचन दे रहे थे। जब प्रवचन खत्म हो गया, तो वह स्वामी विवेकानंद से मिली। उसने स्वामी जी से कहा कि वह उनसे बहुत प्रभावित है। वह उनसे शादी करना चाहती है। स्वामी जी ने कहा कि यह संभव नहीं है। मैं संन्यास ले चुका हूं। मैं शादी नहीं कर सकता हूं। महिला उदास हो गई। स्वामी जी ने उस महिला से पूछा कि आप मुझसे शादी क्यों करना चाहती हैं। 

उस महिला ने स्वामी जी से कहा कि वह उनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित है। वह उनसे शादी इसलिए करना चाहती है ताकि उसके स्वामी जी की ही तरह बेटा पैदा हो। यह सुनकर स्वामी विवेकानंद ने कहा कि वह शादी तो नहीं कर सकते हैं, लेकिन उसकी यह इच्छा जरूर पूरी कर सकते हैं। 

उन्होंने महिला से कहा कि आप मुझे अपना बेटा मान लीजिए। मैं आपको मां समान मान लेता हूं। यह सुनकर वह विदेशी महिला बहुत प्रसन्न हुई। वह उनके सद्गुणों से अत्यंत प्रभावित हुई।




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