अशोक मिश्र
साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता जॉर्ज बर्नार्ड शा का जन्म 26 जुलाई 1856 को डबलिन में हुआ था। पश्चिमी रंगमंच, साहित्य और राजनीति पर उनका काफी प्रभाव रहा है। उन्होंने साठ से अधिक नाटक लिखे जिनमें मैन एंड सुपरमैन काफी प्रसिद्ध रहा। सन 1925 में उन्हें साहित्य का नोबल पुरस्कार दिया गया। बर्नार्ड शा को अपने जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा।
उन्हें कई बार निराश भी होना पड़ा, लेकिन जीवन में पढ़ने की रुचि ने उन्हें एक महान लेखक बना दिया। शा ने लेखन की शुरुआत में पांच उपन्यास लिखे जिसे प्रकाशकों ने प्रकाशित करने से इनकार कर दिया था। हालांकि उनका पांचवां उपन्यास एक समाजवादी पत्रिका टू-डे में धारावाहिक रूप से प्रकाशित हुआ था। शुरुआती दौर में उन्हें अपने पिता की थोड़ी सी आर्थिक सहायता में ही जीवन गुजारना पड़ा। लेकिन जब वह प्रसिद्ध हो गए, तो उनके जीवन में थोड़ा संघर्ष कम हुआ। एक बार बर्नार्ड शा कहीं जा रहे थे।
लोगों ने उन्हें घेर लिया। वह हंसमुख और मिलनसार व्यक्ति थे। हाजिरजवाब भी थे। उनके पास एक युवक आया और उसने शा से कहा कि वह उनके लेखन से बहुत प्रभावित है। उनका सारा साहित्य उसने पढ़ा है। युवक ने कहा कि मैं भी आपकी तरह बनना चाहता हूं। कृपया मेरी डायरी पर आप हस्ताक्षर कर दें।
शा ने युवक से उसकी डायरी ली और उस पर लिखा कि जीवन में सफल होना चाहते है, तो खूब मेहनत करो। लगन से काम करने से सफलता जरूर मिलती है। इतनी अधिक मेहनत करो कि तुम्हें किसी के हस्ताक्षर की जरूरत न हो, बल्कि लोग तुमसे हस्ताक्षर की मांग करें। यह लिखकर उन्होंने डायरी युवक को लौटा दी। युवक ने उनका लिखा हुआ पढ़कर उनसे वैसा ही बनने का वायदा किया।
No comments:
Post a Comment