अशोक मिश्र
मिनी स्वीटजरलैंड कहे जाने वाले कश्मीर के पहलगाम में 28 निर्दोष नागरिकों के मारे जाने का दुख पूरे देश को है। पहलगाम में क्रूर हत्याकांड को अंजाम देने के बाद आतंकियों और उनके आका ने सोचा था कि इससे कश्मीर और देश का माहौल बदलेगा। हिंदू-मुसलमान के बीच वैमनस्य बढ़ेगा। फिर से पहले की तरह हाथों में पत्थर लेकर कश्मीर के युवा निकलेंगे। मस्जिदों से भारत विरोधी तकरीरें दी जाएंगी, युवाओं को आत्मरक्षा के नाम पर बचे खुचे कश्मीरी पंडितों और हिंदू पर्यटकों पर हमले किए जाएंगे? लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
माहौल तो बदला, लेकिन उस तरह नहीं जिस तरह आतंकी संगठनों और उनके आकाओं ने सोचा था। आतंकियों के इस कुकृत्य की जितनी निंदा कश्मीर के अलावा दूसरे राज्यों ने की, उससे भी बढ़चढ़कर कश्मीरियों ने की। मस्जिदों से पत्थर उठाने की नहीं, बल्कि शांति बनाए रखने और आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने की अपील की गई।
शायद कश्मीर के इतिहास में पहली बार कश्मीरी जनता पहलगाम की धरती पर मरने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए सड़कों पर उतरी, आतंकियों और पाकिस्तान की कड़े शब्दों में निंदा की। जिस तरह हमले के वक्त स्थानीय कश्मीरियों ने पर्यटकों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली, उनको अपने घर में रखा, उनकी देखभाल की, ऐसा शायद पहले नहीं देखा गया था।
घटना के चश्मदीद गवाहों के बयान सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। भाजयुमो की छत्तीसगढ़ इकाई के सदस्य अरविंद अग्रवाल की पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें उन्होंने अपने टूरिस्ट गाइड नजाकत अली से अपने परिवार की जान बचाने के लिए आभार व्यक्त किया है। उन्होंने नजाकत अली के लिए लिखा है कि आपने हमारी जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। हम नजाकत भाई का कभी भी पर्याप्त धन्यवाद नहीं कर पाएंगे।
आतंकियों ने जब धर्म पूछकर निर्दोष लोगों की हत्या की थी, तो उन्होंने सोचा था कि हिंदुस्तान में इससे आग लग जाएगी। हिंदू-मुसलमान एक दूसरे पर टूट पड़ेंगे। पूरे देश में अराजकता का माहौल होगा। लेकिन देश के हिंदू-मुसलमानों ने आतंकियों और उनके आकाओं के मनसूबों पर पानी फेर दिया। उनमें वैमनस्य पैदा होने की जगह सांप्रदायिक सद्भाव पैदा हुआ। अगर हम सोशल मीडिया पर डाली जा रही कुछ विषैली पोस्टों को नजरअंदाज कर दें, तो पूरा देश पहलगाम हमले को लेकर एकमत है। सभी क्रूर हत्यारों को उनके किए की सजा देने की मांग कर रहे हैं। इस बार तो देश की सभी राजनीतिक पार्टियां भी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
पाकिस्तान और आतंकियों के खिलाफ की जाने वाली किसी भी कार्रवाई में वह केंद्र सरकार के साथ हैं। नेशनल कान्फ्रेंस के नेता और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, पीडीपी की सर्वेसर्वा महबूबा मुफ्ती से लेकर एआईएमआईएम असदुद्दीन ओवैसी तक पाकिस्तान को मजा चखाने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस, सपा, बसपा, टीएमसी सहित इंडिया गठबंधन की सभी पार्टियां अपने सारे मतभेद भुलाकर सरकार के साथ खड़ी हैं।
स्वस्थ लोकतंत्र की यही निशानी है। इस देश का आम नागरिक भी अपने सरकार के साथ खड़ा है और उसकी भी इच्छा यही है कि क्रूर हत्यारों को कठोर से कठोरतम दंड मिले और पाकिस्तान को उसके किए की सजा दी जाए।
देश के कुछ राज्यों में कुछ अराजक तत्वों ने कश्मीरी छात्र-छात्राओं और मुसलमानों को परेशान करने का प्रयास जरूर किया। किसी ने हॉस्टल खाली करने को कहा तो किसी मकान मालिक ने मकान। कुछ लोगों ने तो राज्य छोड़कर न जाने पर हमला करने की धमकी दी, लेकिन ऐसे मामलों में सतर्क राज्य सरकारों ने त्वरित कार्रवाई की और अराजक तत्वों पर अंकुश लगाकर माहौल को शांत करा दिया।
इसका नतीजा यह हुआ कि दूसरे लोगों को माहौल खराब करने का मौका नहीं मिला। यह बदलाव बताता है कि भारत की आत्मा एकता में अनेकता वाली है। कोई कितना भी प्रयास कर ले, देश की आत्मा में गहरे तक बसे भाईचारे को नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता है।
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