बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
गलती हर किसी से होती है। गलती होने पर क्षमा कर देना ही बड़प्पन है। परिवार के लोगों से भी कई बार कुछ गलतियां हो जाती हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें माफ न किया जाए। मित्र भी कई बार चाहे-अनचाहे गलती कर बैठते हैं, तो क्या उनसे दोस्ती तोड़ दी जाए। नहीं, उनको माफी देकर आगे बढ़ा जाए, यही उचित है। धारानगरी के राजा भोज और उनके सेवक के संबंध में एक बहुत ही रोचक कथा कही जाती है।
आपको बता दें कि राजा भोज परमार वंश के शासक थे। उनकी राजधानी का नाम धारानगरी था। उनका राज्य उत्तर में चितौड़ से लेकर दक्षिण में उत्तरी कोंकण और पूर्व में विदिशा से लेकर पश्चिम में साबरमती नदी तक फैला हुआ था। राजा भोज ने अपने आसपास के राजाओं से अलग-अलग युद्ध में विजय प्राप्त की थी, लेकिन वह चंदेल सम्राट विद्याधर वर्मन से युद्ध में पराजित हो गए थे।
वह चंदेल सम्राट के आधीन राजा होकर रह गए थे। एक बार की बात है। राजा भोज अपने राजमहल मेंभोजन कर रहे थे। भोजन एक सेवक परोस रहा था। इसी बीच खाना परोसते समय सेवक से थोड़ी सी सब्जी राजा भोज के कपड़ों पर गिर गई। राजा भोज को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने गुस्से में उस सेवक को मृत्यु दंड की सजा सुना दी। सेवक बहुत गिड़गिड़ाया। अपने अपराध की क्षमा मांगी, लेकिन राजा भोज नहीं माने। थोड़ी देर बाद उस सेवक ने सब्जी से भरा कटोरा उठाया और राजा भोज के सिर पर पलट दिया।
राजा भोज ने कहा कि यह क्या किया तुमने? उस सेवक ने कहा कि जब कल दूसरे लोग सुनेंगे कि मामूली गलती पर राजा भोज ने सेवक को मृत्यु दंड दिया, तो आपकी बदनाम होगी। अब सब लोग यही कहेंगे कि सेवक बदमाश था, उसे उचित सजा मिली। यह सुनकर राजा भोज ने उसकी सजा माफ कर दी।
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