बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
संत मार्टिन लूथर जर्मनी में ईसाई धर्म में सुधार आंदोलन चलाने के लिए जाना जाता है। उनका जन्म 10 नवंबर 1486 को जर्मनी के इस्लीडेन राज्य में हुआ था। इनके पिता हैंस लूथर किसी खान में मजदूरी करते थे। वह चर्चों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ थे। वह ईसाई धर्म की रूढ़ियों के भी विरोधी थे। कहा जाता है कि संत लूथर को संगीत बहुत पसंद था। वह वीणा बजाते थे।
उन्होंने अपना पहला भजन सन 1524 में लिखा था जो काफी प्रसिद्ध हुआ था। 1525 में जब मार्टिन लूथर ने ईसाई धर्म में सुधार का आंदोलन चलाया, उसी दौरान उन्होंने कैटरीना वॉन बोरा से विवाह कर लिया था। उनके छह बच्चे थे जिसमें से एक नवजात पुत्र और तेरह वर्षीय एक पुत्री की मौत हो गई थी। कहते हैं कि लूथर ने ही बाइबिल का जर्मन भाषा में अनुवाद किया था जिसकी वजह से जर्मनी में ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार में आसानी हुई थी।
जब वह ईसाई धर्म में सुधारवादी आंदोलन चला रहे थे, तो ईसाई धर्म के ही कुछ लोग उनसे नाराज हो गए। इन लोगों ने लूथर के बारे में कुछ गलत कहना शुरू किया। इससे उनके शिष्य काफी नाराज हो गए। एक दिन उनके एक शिष्य ने लूथर से कहा कि आपके विरोधी आपके बारे में ऊटपटांग प्रचार कर रहे हैं। आप उनको श्राप दे दें ताकि वह नष्ट हो जाएं।
तब मार्टिन लूथर ने कहा कि मैं कोई सर्वशक्तिमान तो हूं नहीं कि मैं उन्हें श्राप दे दूं। तब शिष्य ने कहा कि आप ईश्वर से प्रार्थना करें कि उनका मन बदल जाए। तब लूथर ने कहा कि यदि वह अपने मन से राग और द्वेष को निकालना ही नहीं चाहें, तो कोई उनकी कैसे सहायता कर सकता है। इसके लिए तो उन्हें खुद प्रयास करना होगा। ईश्वर ही उनको सच्ची राह दिखा सकता है। यह सुनकर शिष्य चुप रह गया।
चित्र--साभार गूगल
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