Monday, April 7, 2025

मेहनत की कमाई खाने वाला अच्छा इंसान

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अरब देश में पैदा हुए हातिम ताई एक किंवदंती बनकर रह गए हैं। इनका जन्म कब हुआ था, यह तो पता नहीं, लेकिन माना जाता है कि इनकी मृत्यु  578 ईस्वी में अरब देश के ताइल में हुई थी। अरबी साहित्य में इनका पूरा नाम हातिम बिन अब्दुल्लाह बिन साद अल ताई बताया गया है। 

कहा तो यह भी जाता है कि इनके पुत्र अदी बिन हातिम ताई थे, जो इस्लामिक पैगंबर मुहम्मद के साथी थे। हातिमताई एक ऐसे पुरुष के रूप में मशहूर हैं जो हर जरूरतमंद की मदद करता था। हातिमताई के बारे में बहुत सारे किस्से मशहूर हैं। सामान्य पाठक के लिए यह तय कर पाना, नामुमकिन है कि कौन सा किस्सा सच्चा है, कौन सा झूठा। एक बार की बात है। 

हातिमताई अपने घर में दोस्तों के साथ बैठे थे। लोग हातिम ताई की प्रशंसा करते हुए थक नहीं रहे थे। उनके एक मित्र ने पूछा कि क्या आपसे बढ़कर भी कोई है। तब हातिमताई ने कहा कि हां, मुझसे बढ़कर भी लोग हैं। मित्र ने पूछा कि कौन है? तब उन्होंने बताया कि एक बार मैंने अपने घर पर एक दावत का प्रबंध किया। इस दावत में कोई भी आ सकता था। दिन भर लोग आते रहे और भोजन करके जाते रहे। 

शाम को मैं अपने घर से घूमने के लिए निकला तो देखा कि एक लकड़हारा लकड़ियां काट रहा है। मैंने कहा कि आपको लकड़ी काटने की जगह हातिमताई के यहां जाकर खा लेना चाहिए। तब उस लकड़हारे ने कहा कि मैं अपने परिश्रम का ही खाता हूं। मैं रोज मेहनत करता हूं और उसी कमाई को परिवार पर खर्च करता हूं। जो लोग हातिमताई के यहां भोजन की आस में बैठे रहते हैं, वह मेहनत करके भी खा सकते हैं।

यह कहानी सुनाकर हातिम ताई ने कहा कि अपनी मेहनत की कमाई से खाने वाला लकड़हारा मुझ से भी बढ़कर अच्छा इंसान है।



4 comments:

  1. Very Nice Post.....
    Welcome to my blog!

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  2. आजकल मेहनत की परिभाषा बदल सी गयी है शायद....सादर।
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार ८ अप्रैल २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. सुंदर रचना
    सादर

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