बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
क्रांतिकारी सोहन लाल पाठक का जन्म 7 जनवरी 1883 को अमृतसर के पट्टी गांव में हुआ था। उनके पिता पंडित जिंदाराम पाठक की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इसलिए सोहन लाल ने गांव से ही मिडिल पास किया और अध्यापक नियुक्त हो गए। उन्हीं दिनों लाहौर से लाला लाजपत राय ने वंदेमातरम नाम से उर्दू अखबार निकाला, तो वह शिक्षक की नौकरी छोड़कर वंदेमातरम के संपादक हो गए।
नौकरी छोड़ने से आर्थिक स्थिति और बिगड़ गई। क्रांतिकारी विचारों के चलते जब अंग्रेजों का शिकंजा उन पर कसने लगा तो वह अमेरिका चले गए। इसी दौरान 15 जून 1918 को ढाका में प्रसिद्ध क्रांतिकारी तारिणी मजूमदार पुलिस मुठभेड़ में शहीद हो गए और घायल अवस्था में क्रांतिकारी नलिनी घोष गिरफ्तार कर लिए गए। बाद में जब सोहन लाल को उनके मित्र ने इन क्रांतिकारियों की शहादत के बारे में पत्र लिखा, तो सोहन लाल पाठक अमेरिका से लौट आए और बर्मा में क्रांतिकारियों के साथ सक्रिय हो गए।
उन्होंने सेना में विद्रोह कराने का प्रयास किया। किसी हद तक वह सफल भी हो गए थे। एक दिन वह सैनिकों को देश की आजादी के लिए काम करने के बारे में समझा रहे थे तो वहां मौजूद एक जमादार ने पकड़ लिया और उन्हें अपने अफसर के पास ले जाने लगा। वह उस समय सशस्त्र थे और चाहते तो जमादार को मारकर वह मुक्त हो सकते थे, लेकिन किसी भारतीय के खून से हाथ रंगना उन्होंने उचित नहीं समझा।
अंग्रेजों ने उन्हें बंदी बना लिया। उन्हें फांसी की सजा हुई। जब फांसी की सजा तय हो गई, तो बर्मा के गवर्नर ने उनसे कहा कि यदि माफी मांग लो तो छूट जाओगे। उन्होंने कहा कि माफी अंग्रेजों को मांगना चाहिए। हमारा देश है। उसे हम आजाद कराना चाहते हैं। अंत में उन्हें मांडले जेल में फांसी दे दी गई।
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