प्रतीकात्मक चित्र |
अशोक मिश्र
अगर व्यक्ति अपने लक्ष्य से न भटके, तो उसका सफल होना निश्चित है। यदि लक्ष्य से तनिक भी ध्यान भटका, तो सफलता के निकट होने पर भी सफलता नहीं मिलती है। सफलता व्यक्ति के साहस, लगन और कार्य पर निभर करती है। इस संबंध में एक बहुत ही रोचक कथा है।
किसी राज्य में एक राजा था। वह राज्य काफी अमीर था। वहां के लोग काफी खुशहाल और मानवप्रेमी थे। राज्य के लोग आपस में मिलजुलकर रहते थे और जरूरत पड़ने पर एक दूसरे की सहायता किया करते थे। लेकिन उस राज्य में एक ही दुख था कि राजा के कोई संतान नहीं थी।
जब राजा बूढ़ा होने लगा, तो उसे राज्य के उत्तराधिकारी की चिंता हुई। उसने सभी तरह के उपाय आजमाए, लेकिन उसे किसी भी प्रकार से सफलता नहीं मिली। आखिरकार उसने तय किया कि अपनी संतान की आशा छोड़ करके किसी योग्य व्यक्ति को गोद लेना चाहिए और उसे राजा घोषित कर देना चाहिए। उसने मंत्री को बुलाकर मुनादी करवाई कि जो भी व्यक्ति कल उससे आकर मिलेगा, मैं उसे अपने राज्य का एक भाग दे दूंगा।
तब मंत्री ने कहा कि ऐसे तो कई लोग आकर मिलेंगे, यदि सबको राज्य दे दिया गया, तो राज्य टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा। अगले दिन राजा ने अपने बगीचे में मेला लगवा दिया। तरह-तरह के नाच गाने का प्रबंध था। खाने-पीने का बढ़िया प्रबंध किया गया था।
लोग राजा की बात भूलकर मेले का आनंद लेने लगे। एक युवक घर से ठान कर आया था कि वह राजा से जरूर मिलेगा। उसने सभी बाधाओं को पार करते हुए राजमहल में प्रवेश किया। राजा ने उस युवक को अपना उत्तराधिकारी बना दिया क्योंकि उसे सिर्फ अपना लक्ष्य याद रहा। वह मेले के लालच में नहीं पड़ा।
व्वाहहहह
ReplyDeleteकाफी से बेहतर कथा
वंदन