Thursday, August 21, 2025

नेपोलियन में कूट-कूटकर भरा था साहस

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

नेपोलियन बोनापार्ट को फ्रांस का महान सेनापति कहा जाता है। उसका जन्म  15 अगस्त 1769 में हुआ था। बोनापार्ट का पिता कार्लो बोनापार्ट एक कुलीन वंश का था। नेपोलियन को बचपन से ही सैन्य वातावरण में रहने का अवसर मिला। यही वजह है कि उसके भीतर निहित शक्तियां उपयुक्त वातावरण में पुष्पित पल्लवित होती रहीं जिसने नेपोलियन को उच्च शिखर तक पहुंचने में काफी सहायता की। 

नेपोलियन ने फ्रांस क्रांति के दौरान पैदा हुए अराजक वातावरण का भरपूर लाभ उठाया और देखते ही देखते वह सैन्य अधिकारी होने के साथ फ्रांस का सम्राट तक बन गया। नेपोलियन ने सम्राट बनने के लिए भले ही हथकंडे अपनाए हों, लेकिन उसमें खतरा उठाने का साहस बहुत था और वह युद्ध नीति बनाने में बहुत माहिर था। बात 2 दिसंबर 1805 की है। 

उन दिनों अपने 73 हजार सैनिकों को साथ लेकर वह आस्टरलिट्ज और रूस के साथ जंग लड़ रहा था। आस्टरलिट्ज और रूस के करीब 85 हजार सैनिक थे। वैसे सैन्य बल के हिसाब से देखा जाए, तो फ्रांस पर दोनों देशों की सेनाएं भारी थीं। लेकिन इसके बावजूद नेपोलियन के चेहरे पर कोई शिकन नहीं था। आधी रात में नेपोलियन को एक अधिकारी ने जगाया और कहा कि फ्रांस की सेना के दक्षिण मोर्चे पर शत्रुओं ने हमला कर दिया है।

 यह सुनकर नेपोलियन मुस्कुराया और उसने अपनी सेना को केंद्र और बाएं हिस्से पर जोरदार  आक्रमण करने का निर्देश दिया। नेपोलियन ने जानबूझकर सेना के दायें हिस्से को कमजोर रखा था। बस, दोनों देशों की सेनाएं चारों ओर घिर गईं। शत्रु सेना के पास हारने के अलावा कोई चारा नहीं बचा। इस तरह नेपोलियन दोनों देशों को पराजित कर दिया।

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