Tuesday, August 5, 2025

उपन्यास मदर लिखकर अमर हो गए मक्सिम गोर्की

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

रूस में 18 मार्च 1868 में जन्मे मक्सिम गोर्की का वास्तविक नाम अलेक्सी मैक्सिमोविच पेशकोव था। उनके साहित्य में मार्क्सवाद और समाजवाद वैचारिक रूप से मौजूद दिखाई देता है। वह कुछ दिनों तक लेनिन के नेतृत्व में जारशाही से संघर्ष करने वाली वोल्शेविक पार्टी में भी रहे, लेकिन वस्तुत: वह स्टालिनवादी ही रहे। उनका विश्व प्रसिद्ध उपन्यास मदर (मां) आज भी दुनिया में काफी पढ़ा जाता है। 

रूस और कई देशों से निष्कासित मक्सिम गोर्की 1921 में रूस छोड़कर चले गए, लेकिन 1929 में स्टालिन के अनुरोध पर वह रूस लौट आए और  मृत्यु होने तक यानी 18 जून 1936 तक रूस में ही रहे। कहते हैं कि ग्यारह वर्ष की आयु में वह काम पर लग गए थे। उनका पालन पोषण उनकी नानी ने किया था। उनके पिता अत्यंत क्रोधी स्वभाव के थे। वह शिक्षा पर एक भी पैसा खर्च करना व्यर्थ मानते थे। 

गोर्की अपने पिता से बहुत डरते थे। यही वजह है कि वह बचपन में बहुत ज्यादा नहीं पढ़ सके। उन्होंने जो कुछ भी सीखा, स्वाध्याय से ही सीखा। छोटी ही उम्र में उनके पिता ने काम पर लगा दिया, लेकिन पढ़ने लिखने की ललक ने उन्हें अंतत: एक ऐसी जगह काम करने पर विवश कर दिया, जहां कबाड़ में काफी पुस्तकें आती थीं। वह खाली समय में कबाड़ में आई पुस्तकों को पढ़ते। 

इससे पहले उन्होंने अक्षर ज्ञान प्राप्त किया। जब कोई शब्द उनकी समझ में नहीं आता, तो वह दुकान के मालिक या दुकान पर आने वाले ग्राहकों से पूछ लिया करते थे। इस तरह पढ़ते-लिखते गोर्की ने धीरे-धीरे खुद भी लिखना शुरू किया। एक बार अपने विचारों को एक अखबार के संपादक को भेज दिया, तो वहां से शाबाशी भरा जवाब आया। इससे उनका साहस बढ़ गया और फिर उन्होंने रूसी भाषा में महान साहित्य की रचना की। उनका उपन्यास मदर और आत्मकथा मेरा बचपन, मेरा विश्वविद्यालय आज भी बहुत पढ़ा जाता है।

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