Monday, August 4, 2025

जंगल सफारी तैयार होने पर प्रदूषण को कम करने में मिलेगी सफलता

अशोक मिश्र

गुरुग्राम के छह हजार एकड़ और नूंह के चार हजार एकड़ में बनने वाले जंगल सफारी का डिजाइन तैयार कर लिया गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि निकट भविष्य में इस दिशा में बहुत तेजी से काम शुरू होगा। एशिया की सबसे बड़ी जंगल सफारी को लेकर प्रदेश में ही नहीं, देश और विदेश में भी काफी उत्सुकता है। जंगल सफारी बनकर तैयार होने के बाद हरियाणा के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल साबित होगी। इससे जहां हरियाणा के राजस्व में बढ़ोतरी होगी, वहीं अरावली पर्वत श्रंखला को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा। लोगों के आवागमन और जंगल सफारी के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों और कर्मचारियों की वजह से अरावली क्षेत्र में होने वाले अवैध खनन पर भी लगाम लगेगी। 

अरावली की पहाड़ियों पर कई दशकों से अवैध खनन हो रहा है जिस पर लगाम लगा पाने में अधिकारी और कर्मचारी नाकाम साबित हो रहे हैं। कई मामलों में ग्रीन ट्रिब्यूनल से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक अपनी नाराजगी जाहिर कर चुका है। लेकिन अब जब जंगल सफारी प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है, तो इस क्षेत्र में अवैध खनन रुकने की उम्मीद पैदा हो गई है। वन विभाग ने पहले चरण की योजना का डिजाइन तैयार कर लिया है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और प्रदेश के वन, पर्यावरण और वन्य जीव मंत्री राव नरबीर ने शनिवार को पहले फेज की योजना का निरीक्षण भी कर लिया है। 

केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने तो यह संभावना भी व्यक्त की है कि हरियाणा में बनने वाला जंगल सफारी पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनेगी। जंगल सफारी में प्रवेश के लिए चार गेट सोहना के पास, ताबडू-सोहना मार्ग, नौरंगपुर और सकटपुर गांव में बनाए जाएंगे। दरअसल, हरियाणा से शुरू होकर अहमदाबाद तक जाने वाली अरावली पर्वतमाला की प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता और यहां पाए गए ऐतिहासिक विरासत की छटा देखते ही बनती है। ऐसी स्थिति में जब पहले चरण में ढाई हजार एकड़ में शाकाहारी जोन, बड़ी बिल्ली जोन, बड़ा स्वतंत्र पक्षी जोन, विदेशी जानवर जोन के साथ-साथ प्राकृतिक पगडंडियां बनकर तैयार होंगी, तब इसका अलौकिक सौंदर्य देखने लायक होगा। 

पहले चरण में बनकर तैयार होने वाली जंगल सफारी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं देने की कोशिश की जाएगी। यहां स्थानीय प्रजाति के पौधों को लगाने पर विचार किया जा रहा है। इतना ही नहीं, इस परियोजना को चरणबद्ध तरीके से तैयार करने पर केंद्र और राज्य सरकारें बड़ी गंभीरता से विचार कर रही हैं। जंगल सफारी तैयार हो जाने पर प्रदेश में पर्यावरण प्रदूषण को भी कम करने में सफलता मिलेगी।

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