अशोक मिश्र
जब कोई बच्चा किसी वस्तु को देखता है, तो वह उसकी ओर आकर्षित होता है। वह उसे छूने की भी कोशिश करता है। बच्चे ने अपने जीवन में बहुत सारी चीजें नहीं देखी होंगी। बच्चों में वस्तुओं को जानने और समझने की उत्सुकता बहुत होती है।
यही उत्सुकता उसका ज्ञान बढ़ाती है, उसे दुनिया को समझने के लायक बनाती है। हम जब भी किसी वस्तु या व्यक्ति को पहली बार देखते हैं, तो उसके बारे में हर बात जान लेना चाहते हैं। कई बार तो पागलों की तरह हरकत करने लगते हैं। इस संबंध में एक रोचक प्रसंग है। एक पिता-पुत्र रेलगाड़ी से यात्रा कर रहे थे। पुत्र की आयु लगभग चौबीस साल थी, वहीं पिता चालीस-पैंतालिस वर्ष का था।
पिता को खिड़की वाली सीट मिली थी। बेटे ने अपने पिता से खिड़की की तरफ वाली सीट पर बैठने की जिद की। पिता ने एकाध बार उसे वहीं बैठने के लिए कहा, लेकिन बेटे की जिद देखकर वह वहां से हटकर दूसरी जगह बैठ गया। बेटा खिड़की के पास बैठकर बाहर देखने लगा। बाहर देखते ही पुत्र तालियां बजाने लगा और अपने पिता से कहा कि पापा...पापा, देखो पेड़ भाग रहे हैं। वह गाय भी भागती जा रही है। पापा, तालाब दौड़ रहा है। इतना कहकर वह खुश हो जाता और तालियां बजाने लगता।
आसपास बैठे दूसरे यात्रियों को युवक बहुत असामान्य लगा। थोड़ी देर तक वह युवक की हरकतों को देखते रहे। फिर एक आदमी ने कहा कि आप इसे किसी अच्छे डाक्टर को दिखाते क्यों नहीं हैं। आपके पुत्र की हरकतें सही नहीं लग रही हैं। इस पर पिता ने जवाब दिया-इसे डॉक्टर को ही दिखा कर आ रहे हैं। मेरा बेटा जन्म से अंधा था। थोड़े दिन पहले ही उसे रोशनी मिली है। तो वह हर चीज देखकर चकित हो जाता है। यह सुनकर लोग चुप बैठ गए।
सुंदर
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