सुप्रीम कोर्ट में आज सतलुज-यमुना लिंक नहर को लेकर सुनवाई होनी है। कोर्ट में एसवाईएल को लेकर केंद्र सरकार अपना पक्ष रखेगी। वैसे एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति ने दक्षिण हरियाणा का सूखा दूर करने का जो उपाय सुझाया है, वह स्वीकार्य और स्वागतयोग्य है। पंजाब से एसवाईएल के जरिये हरियणा को पानी मिलने की संभावना अभी दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है।
पिछले कई दशक से एसवाईएल का मुद्दा दो राज्यों के बीच झूल रहा है, लेकिन अभी तक उसका कोई हल नहीं निकला है। यदि पंजाब एसवाईएल के जरिये पानी देने को तैयार भी हो जाता है, तो पंजाब में एसवाईएल नहर निर्माण में भी कई साल लग जाएंगे। जबकि भाखड़ा डैम से हिमाचल के रास्ते बद्दी से होते हुए पिंजौर के साथ पंचकूला के पास टांगरी नदी में पानी डालकर जनसुई हैंड तक पानी लाया जा सकता है।
वैसे भी जनसुई हैंड से आगे नहर का काम पूरा भी हो चुका है। ऐसे में अतिरिक्त नहर निर्माण भी नहीं करना पड़ेगा। एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति का यह सुझाव सामयिक और सहूलियत भरा है। भौगोलिक दृष्टि से देखें तो भाखड़ा डैम से वाया हिमाचल प्रदेश हरियाणा का बार्डर कुल 67 किमी की दूरी पर है। वहीं अगर पंजाब के रास्ते हरियाणा तक पानी लाने की कोशिश की जाए, तो 156 किमी लंबी नहर निकालनी पड़ेगी। हिमाचल प्रदेश और हरियाणा में भले ही अलग-अलग दलों की सरकार हो, लेकिन दोनों में वैसा तनाव भी नहीं है जिस तरह पंजाब और हरियाणा के राजनीतिक दलों की सरकारों में हैं।
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार का रवैया हरियाणा की जल समस्या को लेकर सकारात्मक है। इसका फायदा उठाकर भाखड़ा डैम से हरियाणा तक पानी लाया जा सकता है। वैसे भी हरियाणा में पानी की समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। गर्मी में दक्षिण हरियाणा सहित कई हिस्सों में पानी की समस्या भयानक रूप अख्तियार कर लेती है। लोग बूंद-बूंद पानी को तरस जाते हैं। हालात कितने बदतर हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के 85 ब्लाक डार्क जोन में तब्दील हो चुके हैं।
प्रदेश के 3600 गांवों में भूगर्भ जल पूरी तरह खत्म हो चुका है।अब इन गांवों में किसी भी तरह भूगर्भ जल के दोहन की कोई गुंजाइश नहीं बची है। ऐसी स्थिति में अगर एसवाईएल नहर से प्रदेश को पानी मिल जाता तो भिवानी में 150 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती थी। यह भूमि सिंचित हो जाती तो फसल उत्पादन भी कहीं ज्यादा हो सकता था। वहीं चरखी दादरी में एक से दस लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित की जा सकती थी। ऐसे में हिमाचल से हरियाणा तक नहर से पानी लाने की योजना हमारे लिए वरदान साबित हो सकती है।
No comments:
Post a Comment