Thursday, August 14, 2025

नालायक! माचिस की तीन तीलियां बरबाद कर दीं

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के निर्माण में देश के राजा-महाराजाओं से लेकर आम जनता तक ने सहयोग दिया था। काशी नरेश ने विश्वविद्यालय बनाने के लिए 1300 एकड़ जमीन दान में दी थी, वहीं दरभंगा के महाराजा रामेश्वर सिंह ने आवश्यक जरूरतों को पूरा करते हुए लाखों रुपये दान में दिए थे। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थापित करने की प्रेरणा श्रीमती एनी बेसेंट ने दी थी। 

महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने पूरे देश में घूम-घूमकर विश्वविद्यालय के लिए धन संग्रह किया था। वह जनता से भी सहयोग मांगने में पीछे नहीं रहते थे। अच्छे काम के लिए उन्हें किसी के सामने भी हाथ फैलाने में संकोच नहीं होता था। एक बार की बात है। वह किसी के साथ एक धन्नासेठ के पास विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए सहयोग मांगने गए। साथ जाने वाले व्यक्ति ने सेठ की सदाशयता का खूब बखान किया था। सेठ ने उनका स्वागत किया। 

वह बैठे थे कि तभी सेठ का लड़का एक दीपक लेकर आया और माचिस की तीली से दीपक जलाने लगा। पता नहीं कैसे दीपक जलाते समय तीन तीलियां जलीं और फिर बुझ गईं। सेठ नाराज हो उठा। उसने अपने पुत्र को डांटते हुए कहा कि कैसे नालायक हो, माचिस की तीन तीलियां बरबाद कर दीं। तुम रहने दो। मैं कुछ करता हूं। यह कहकर सेठ अंदर गया, तो मालवीय जी उठकर खड़े हो गए और साथी से बोले कि जो आदमी दो पैसे की माचिस की डिबिया के लिए अपने बेटे पर इतना नाराज हो सकता है, वह हमें कुछ नहीं देगा। 

तब तक चलता हुआ दीपक लेकर सेठ भी आ गया। उसने पूछा कि आप लोग किस कारण से आए थे। मालवीय जी ने उसे पूरी बात बताई। तो उसने पच्चीस हजार रुपये दिए। चकित मालवीय जी बोले, तीन तीली बरबाद होने पर जो बेटे पर नाराज हो सकता है, वहइतने रुपये देगा, यह मैं सोच नहीं सकता था। तब सेठ ने कहा कि बेवजह एक पैसा भी बरबाद करना मुझे पसंद नहीं। अच्छे काम के लिए लाखों रुपये भी कम हैं।

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