हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देश पर कल से पूरे प्रदेश की सड़कों को बेसहारा पशु मुक्त करने की योजना की शुरुआत होने जा रही है। इस बात की घोषणा मुख्यमंत्री के अतिरिक्त सचिव ने की है। योजना के मुताबिक, एक अगस्त से 31 अगस्त तक प्रदेश की सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा पशुओं को पकड़कर उन्हें गौशालाओं को सौंपा जाएगा। सड़कों पर बेसहारा घूमने वाले पशुओं के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। सड़कों पर वाहनों या पैदल आने जाने वाले लोगों पर कई बार बेसहारा पशु हमला कर देते हैं। कई बार तो यह आपस में लड़ने लगते हैं जिसकी वजह से लोग घायल हो जाते हैं।
कई बार इनकी आपसी लड़ाई में घायल या कुचले गए लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ती है। सड़कों पर बेपरवाह घूमते पशुओं को देखकर लोग भयभीत हो जाते हैं और उसके आसपास से गुजरते समय वह इसी आशंका में रहते हैं कि पता नहीं कब पशु हमला कर दे या आपस में लड़ पड़ें। रात में हालत तो और भी खराब हो जाती है। लोग अपने पालतू पशु को भी खुला छोड़ देते हैं और सुबह होने पर वह अपने यहां फिर बांध लेते हैं। वैसे सड़कों को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने का अभियान कोई पहली बार नहीं चलाया जा रहा है।
पिछले साल भी पांच अगस्त को सीएम सैनी ने बेसहारा पशुओं को गौशालाओं में भेजने की घोषणा की थी। तब उन्होंने कहा था कि सभी गौशालाओं को चारे के लिए अनुदान राशि पांच गुना करके प्रति गाय 20 रुपये प्रतिदिन दिए जाएंगे। नंदी के लिए 25 रुपए प्रतिदिन और बछड़ा/बछड़ी के लिए 10 रुपये प्रतिदिन चारा अनुदान मिलेगा। उन्होंने बेसहारा गाय/बछड़ा/बछड़ी पकड़कर अपनी गौशाला में लाने के लिए 600 रुपये प्रति गाय और 800 रुपये प्रति नन्दी की दर से तुरंत नगद भुगतान करने की भी घोषणा की थी। यही नहीं, सीएम सैनी ने कहा था कि राज्य सरकार द्वारा 70 मोबाइल पशु चिकित्सालयों की व्यवस्था की गई है।
मोबाइल पशु चिकित्सालय सप्ताह में एक दिन केवल गौशालाओं के गौवंश के उपचार, टैगिंग, टीकाकरण, गिनती आदि के लिए उपलब्ध होंगी। इन घोषणाओं पर कितना अमल हुआ, यह सरकार अच्छी तरह बता सकती है। हर सरकार साल में एक बार सड़कों को बेसहारा पशु मुक्त करने के लिए अभियान चलाती है। यह सच है कि प्रदेश में गाय छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका का एक मुख्य साधन रही है। इसके गोबर से खाद बनाकर प्राकृतिक खेती भी की जा सकती है। वहीं दूध को बेचकर अपनी अर्थव्यवस्था को किसान सुधार सकता है। वैसे भी गाय के दूध को अमृत के समान माना गया है।
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