हरियाणा की सैनी सरकार ने एक नायाब फैसला लिया है। लड़कियों की जन्म दर बढ़ाने के लिए अब किन्नर समुदाय का सहयोग लिया जाएगा। इस योजना को यदि सफलतापूर्वक लागू कर दिया गया, तो उम्मीद है कि प्रदेश के लिंगानुपात में अवश्य सुधार होगा। किन्नर समुदाय भी इस मामले में अपनी भूमिका अदा करके समाज सुधार की दिशा में अपना सहयोग देने में गर्व महूसस करेगा। अभी तक लड़का पैदा होने पर किन्नर समुदाय के लोग घर में जाकर पारंपरिक रूप से नाच-गाकर बच्चे को आशीर्वाद देते थे और उस घर से अपना शगुन लेकर चले जाते थे। लेकिन अब किन्नर समुदाय के लोग अपने-अपने इलाके में बेटी पैदा होने वाले घर में जाएंगे, उस बेटी के नाम पर जीवन बीमा निगम की ओर से ‘आपकी बेटी हमारी बेटी’ योजना के तहत इक्कीस हजार रुपये का प्रमाणपत्र देंगे और पारंपरिक तरीके से नाच-गाकर बेटी को भी आशीर्वाद देंगे।
इसके एवज में प्रदेश सरकार उन्हें ग्यारह सौ रुपये प्रदान करेगी। यदि बेटी का पिता या परिजन अपनी इच्छा से मिठाई आदि देना चाहें तो वह इसके लिए स्वतंत्र होंगे। वैसे तो प्रदेश सरकार लिंगानुपात सुधारने का हरसंभव प्रयास कर रही है। इसके लिए काफी श्रम और धन व्यय कर रही है, लेकिन कुछ जिलों में अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं। इसमें सबसे बड़ी बाधा तो लोगों की लड़की को लेकर पैदा होने वाली सोच है। लोग लड़की को बोझ समझते हैं। वह बेटी की पढ़ाई और उसके बाद विवाह पर होने वाले खर्च की बात सोचकर अपने घर में बेटी का जन्म नहीं चाहते हैं। ऊपर से वंश बेटा ही बढ़ाता है, जैसी मानसिकता ने कन्याभ्रूण हत्या को बढ़ावा दिया है।
समाज की इस पिछड़ी सोच का फायदा हर जिले में अवैध रूप से खुले अस्पताल, क्लीनिक और भ्रूण की जांच करके लिंग बताने वाले समाज विरोधी डॉक्टर और उनके दलाल उठाते हैं। वह लिंग जांच करके कन्या भ्रूण हत्या जैसा पाप चंद पैसों की लालच में करते हैं। स्वास्थ्य विभाग, सीएम फ्लाइंग स्क्वाड और पुलिस के सहयोग से ऐसे तत्वों के खिलाफ अभियान चलते रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में कन्याभ्रूण हत्याएं हो रही हैं, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
कन्याभ्रूण हत्या को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने सभी गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। इसके लाभ भी अब सामने आने लगे हैं। बिना पंजीकरण वाली गर्भवती महिलाओं को सरकारी और ज्यादातर निजी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधा नहीं मिल रही है। हर गर्भवती महिला की देखरेख की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ता, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को देकर लिंगानुपात सुधारने की दिशा में नई पहल की गई है। लाडो सखी योजना से लिंगानुपात सुधरेगा, ऐसी आशा है।
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