अशोक मिश्र
फरीदाबाद के बल्लभगढ़ में एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जो गर्भवती महिलाओं के भ्रूण के लिंग की जांच कराता था। इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में एक डॉक्टर की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। हालांकि अभी तक उस डॉक्टर के नाम का खुलासा नहीं हो पाया है। सीएम फ्लाइंग स्क्वाड और स्वास्थ्य विभाग को काफी पहले से भ्रूण के लिंग की जांच करने वाले गिरोह के बारे में सूचना मिल रही थी। सीएम फ्लाइंग स्क्वाड और स्वास्थ्य विभाग ने गिरोह को पकड़ने के लिए एक कार्य योजना तैयार की और एक डमी दंपति को इसके लिए तैयार किया गया। इसमें सीएमओ पलवल की भी सहायता ली गई।
डमी दंपति ने मनीष से संपर्क किया। पैसे को लेकर बातचीत हुई और मनीष 35 हजार रुपये में भ्रूण के लिंग की जांच कराने को तैयार हो गया। इसके बाद सीएम फ्लाइंग स्क्वाड और स्वास्थ्य विभाग ने जाल बिछाकर तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। प्रदेश में न जाने कितने ऐसे गिरोह चल रहे हैं जो सरकार के लिंगानुपात सुधारने के मंसूबे पर पानी फेर रहे हैं।
प्रदेश की सैनी सरकार काफी प्रयास कर रही है कि किसी भी तरह लड़के-लड़कियों के जन्म का अनुपात लगभग बराबर हो जाए ताकि समाज में पैदा होने वाले असंतुलन को ठीक किया जाए। इसके लिए प्रदेश सरकार हर गर्भवती महिला पर नजर रखने का प्रयास कर रही है ताकि उसका सुरक्षित प्रसव हो जाए और वह कन्याभू्रण हत्या भी न करवा सके। इसके लिए उसने सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए हर गर्भवती महिला का आईडी बनना अनिवार्य कर दिया है। सैनी सरकार ने आशा कार्यकर्ता, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को यह जिम्मेदारी दी है कि वह गर्भवती महिलाओं की एक सखी की तरह देखभाल करें और सुरक्षित प्रसव के बाद उन्हें एक हजार रुपये पुरस्कार स्वरूप प्रदान किए जाएंगे।
आशा कार्यकर्ता, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को लाडो सखी नाम दिया गया है। इतने प्रयास के बाद भी न प्रदेश में भ्रूण लिंग जांच रुक रही है और न ही कन्या भ्रूण हत्या। इसके लिए प्रदेश के हर जिले में नाजायज तौर पर खुले निजी अस्पताल, क्लीनिक और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कंपाउंडर और रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर जिम्मेदार हैं। ऐसे लोग शहर के किसी भी इलाके में क्लीनिक खोलकर लोगों का इलाज करने की आड़ में अवैध रूप से गर्भपात कराने का काम करते हैं।
इससे सरकार को अपना लक्ष्य पूरा करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जब तक गांव और मोहल्ला स्तर तक अभियान चलाकर ऐसे लोगों का सफाया नहीं किया जाता है, तब तक सरकार को अपना लक्ष्य प्राप्त करने में परेशानी होगी।
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