Monday, August 18, 2025

मैंने तुम्हारे साथ यह क्या कर दिया?

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

दक्षिण भारत में संत और कवि वेमना की कविताएं आज भी जनमानस में पढ़ी पढ़ाई जाती है। वैसे दक्षिण भारतीय साहित्य में संत वेमना के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है, लेकिन माना जाता है कि उनका जन्म आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में 1652 ईस्वी में हुआ था। कुछ लोग वेमना का जन्म विभिन्न शताब्दियों में मानते हैं। वैसे वेमना का वास्तविक नाम गोना वेना बुद्धा रेड्डी बताया जाता है। 

तेलुगू साहित्य के इतिहास में वेमना की रचनाएं वेमना शतकालु नाम से संग्रहीत हैं। कहा जाता है कि बचपन में वेमना पढ़ाई लिखाई में बहुत कमजोर थे। जिस गुरुकुल में वह शिक्षा ग्रहण करते थे, उस गुरुकुल के आचार्य उनकी कम अकली के कारण परेशान रहते थे। गुरुकुल में जो कुछ पढ़ाया जाता था, वह उनके पल्ले नहीं पड़ता था। पंद्रह साल की उम्र तक वह अक्षरज्ञान तक हासिल नहीं कर पाए थे। गुरु को यह विश्वास हो चला था कि उनका यह शिष्य जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा। 

एक दिन नदी में स्नान करने जाते समय गुरु ने कपड़े देते हुए कहा कि इसे हाथ में पकड़े रहो, ताकि कपड़ों पर मिट्टी न लग जाए। स्नान के बाद जब गुरु जी ने आवाज दी, तो वह कपड़े जमीन पर फेंककर दौड़े आए। कपड़ों पर मिट्टी लगने से नाराज गुरु ने उन्हें खड़िया मिट्टी (चॉक) देते हुए कहा कि इस पत्थर पर राम राम लिखो। वेमना उस पत्थर पर राम राम लिखने लगे। थोड़ी देर बाद चाक खत्म हो गई। फिर भी वह लिखते रहे। थोड़ी देर बाद नाखून घिस गया, फिर अंगुलियां घिसने लगीं। 

लेकिन उन्होंने राम राम लिखना नहीं छोड़ा। शाम को गुरु जी लौटे, तो देखा कि वेमना अब भी राम राम लिख रहा है, लेकिन उसकी अंगुली पूरी तरह घिस चुकी है। उन्होंने वेमना को रोते हुए गले लगा लिया और बोले, मैंने तुम्हारे साथ यह क्या कर दिया। इसके बाद वेमना ने मन लगाकर पढ़ाई की और एक संत और कवि के रूप में प्रसिद्ध हुए।

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