आधुनिक जीवन शैली और खान-पान की वजह से लोगों में एनीमिया के मामले बढ़ रहे हैं। कुछ दशक पहले तक यह आम धारणा थी कि गरीब और बेरोजगार परिवारों में उचित खानपान न मिलने से लोगों में खून की कमी हो जाती है। लेकिन आज के हालात इसके बिल्कुल उलट हैं। गरीब परिवार के सदस्यों में खून की कमी तो पाई ही जा रही है, लेकिन खाते-पीते परिवारों की महिलाओं, बच्चों और पुरुषों में भी रक्त की कमी पाई जा रही है। दो दिन पहले ही गुरुग्राम शहर में स्वास्थ्य विभाग ने एक सर्वे करवाया था।
स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों और अन्य कर्मचारियों ने पूरे मिलेनियम सिटी में रहने वाले 76 हजार लोगों के खून की जांच की थी। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि 32 हजार लोगों में खून की कमी है। यह कुल जांच किए जाने वाले लोगों की संख्या का 42 प्रतिशत है। जब मिलेनियम सिटी के नाम से मशहूर गुरुग्राम की यह हालत है, तो हरियाणा के अन्य शहरों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। गुरुग्राम के डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. जेपी राजलीवाल इसका कारण आधुनिक जीवन शैली मानते हैं। उनका कहना बिल्कुल सही प्रतीत होता है क्योंकि आजकल लोगों के पास अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए समय ही नहीं है।
सुबह उठते ही काम पर जाने की जल्दबाजी में नाश्ता गायब हो जाता है। लंच में जो कुछ मिल गया, खा लिया। यह नहीं देखते हैं कि वह पौष्टिक है भी या नहीं। चाऊमिन, बर्गर, पेस्ट्री या इसी तरह की चीजें बाजार से मंगाकर लंच कर लिया। घर से अगर लंच लेकर आए हैं, तो भी उसमें पौष्टिकता का अभाव मिलेगा। सुबह जल्दी-जल्दी कुछ बनाकर खुद, पति और बच्चों के लिए लंच पैक करने वाली महिला सेहत का ख्याल नहीं रख पाती है। रात को भी कुछ ऐसा ग्रहण नहीं किया जाता जिससे स्वास्थ्य ठीक रहे, एनीमिया जैसी बीमारी न होने पाए, इसका भी ख्याल नहीं रखा जाता है।
नतीजा यह होता है कि परिवार के दो तिहाई लोग रक्त की कमी जैसी समस्या से जूझते हैं। नेशनल परिवार हेल्थ सर्वे में चौकाने वाले आंकड़े सामने आएं है। सर्वेे रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश में 61 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। खान-पान के लिए प्रसिद्ध हरियाणा प्रदेश की 61 फीसदी महिलाएं एनीमिया पीड़ित पाई जाएं, तो डॉक्टरों के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है। यही नहीं, एनीमिया में प्रदेश ग्यारहवें स्थान पर है। इस मामले में पिछले साल का एक आंकड़ा बताता है कि हर पांचवीं गर्भवती महिला एनीमिया की शिकार है। यह स्थिति वाकई चिंताजनक है क्योंकि गर्भवती महिला के एनीमिया का शिकार होने पर उसके बच्चे के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
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