Saturday, August 2, 2025

धूम्रपान नहीं करने वालों को भी अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा कैंसर

अशोक मिश्र

पिछले कुछ दशक से लोगों की प्रतिरोधक क्षमता घट रही है। लोग थोड़े से मौसम में बदलाव आने से ही बीमार पड़ रहे हैं। प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग ने इंसान को संकट में डाल दिया है। हालत तो इतनी बदतर हो गई है कि पूरी जिंदगी में कभी एक भी सिगरेट न पीने वाले लोग भी फेफड़ों के कैंसर का शिकार हो रहे हैं। गला, त्वचा, फेफड़ा सब कैंसर का शिकार बन रहे हैं। इसका सीधा सा कारण है, वायु, जल और मृदा प्रदूषण। औद्योगिक विकास के नाम पर हमने अपने पूरे वायुमंडल को ही प्रदूषित कर दिया है। हवा, मिट्टी, पानी से लेकर खाद्यान्न तक प्रदूषित हो गए हैं।  नदियों, झरनों और भूगर्भजल में इतना रसायन घुल चुका है कि यह जल हमें जीवन की जगह हमारा जीवन ही छीनने के लिए तैयार दिखाई देता है। 

प्रदूषित जल का उपयोग करने से लोग असमय ही मौत के मुंह में समा रहे हैं। इस पानी से फसलों और सब्जियों की सिंचाई की जाती है जिसकी वजह से पानी में घुले विषैले तत्व अनाजों में भी पाए जाने लगे। इन अनाजों और सब्जियों का लंबे समय तक सेवन करने से शरीर का कोई न कोई हिस्सा कैंसरग्रस्त होने लगता है। कुछ इलाकों में नदियों और भूगर्भ जल में इतना ज्यादा फ्लोराइड जैसे तमाम रसायन इतनी ज्यादा मात्रा में घुली रहती है कि इस पानी का सेवन करने से लोगों की हड्डियां असमय गल रही हैं, दांत कमजोर होकर बीस-बाइस साल में ही गिर जा रहे हैं। हड्डियां खोखली हो रही हैं जिसकी वजह से थोड़ा सा भी दबाव पड़ने पर हड्डियां टूट जा रही हैं। 

दूषित अनाज-सब्जी और पानी का सेवन करने से छोटे-छोटे बच्चे तक फेफड़ा, त्वचा, आमाशय आदि के कैंसर से पीड़ित पाए जाने लगे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, जहां धूम्रपान करने वाले लोग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से पीड़ित पाए जा रहे हैं, वहीं बीते पांच साल में ऐसे लोगों की भी संख्या चालीस से पचास फीसदी बढ़ रही है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है। इसमें भी युवाओं की संख्या अच्छी खासी है। डॉक्टरों की मानें तो शहरी क्षेत्र में वायु प्रदूषण बड़े पैमाने पर फेफड़े के कैंसर का कारण बनता जा रहा है। 

जो लोग खुद तो सिगरेट, बीड़ी या हुक्का नहीं पीते हैं, लेकिन इनका सेवन करने वालों के साथ उठते बैठते हैं, ऐसी स्थिति में भी उनके फेफड़े में कुछ न कुछ धुआं जरूर जाता है। ऐसे लोगों में भी फेफड़े का कैंसर होने की आशंका बनी रहती है। यह समस्या केवल पुरुषों में ही नहीं, बल्कि महिलाओं में भी देखने को मिल रही है। फेफड़े के रोग से जुड़े दस लोगों में से औसतन तीन लोग कैंसर के रोगी पाए जा रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि खांसी या गले में घरघराहट ज्यादा दिन रहे, तो तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।

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