कोई भी व्यक्ति अपराधी के रूप में पैदा नहीं होता है। हर व्यक्ति एक सामान्य इंसान के रूप में पैदा होता है, लेकिन आगे चलकर परिस्थितियां, समाज की दशाएं और मनोवृत्ति में आए विकार की वजह से आदमी अपराधी हो जाता है। एक तरह से कहा जाए कि कोई भी व्यक्ति अपराधी नहीं बनना चाहता है, लेकिन कुछ कारणों से वह अपराध कर बैठता है। यह कारण उसकी आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक भी हो सकता है और क्षणिक आवेश भी। समाज में बढ़ते अपराध को रोकने के प्रयास कानूनी और सामाजिक स्तर पर किए जाते रहे हैं। लेकिन हरियाणा की सैनी सरकार ने सामुदायिक सेवा दिशा निर्देश 2025 तैयार करके सामाजिक स्तर पर भी सुधार करने का बीड़ा उठाया है।
सैनी सरकार ने उन अपराधियों को सुधरने का एक मौका देने का फैसला किया है जो किसी गंभीर अपराध या राष्ट्रद्रोह जैसे अपराध में लिप्त नहीं रहे हैं। यह जेलों को कैदियों के बढ़ते बोझ से बचाने का एक नायाब तरीका है। वे अपराधी जिन्होंने मामूली अपराध किए हैं और जो पेशेवर अपराधी नहीं हैं, उनको समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए एक अच्छा उपाय है। सैनी सरकार की यह नीति पहली बार अपराध करने वाले कुछ लोगों के लिए जेल की सजा को व्यवस्थित करने तथा सामाजिक रूप से उपयोगी कार्यों में बदलने के लिए बनाई गई है।
असल में किसी अपराधी को जेल में इसलिए भी डाला जाता है ताकि उसे यह एहसास हो सके कि उसने अपराध किया है। उसने समाज के नियमों और कानून का उल्लंघन किया है। ऐसी स्थिति में ज्यादातर अपराधी अपने कृत्य के लिए ग्लानि भी महसूस करते हैं। यदि ऐसे लोगों को जेल भेजने की जगह समाज के किसी काम में लगा दिया जाए, तो समाज और प्रशासन के प्रति उनका मन साफ हो जाता है। वह भविष्य में किसी किस्म का अपराध नहीं करेंगे। सरकार ने फैसला किया है कि पहली बार और मामूली अपराध करने वालों को किसी पार्ककी देखरेख सौंपी जा सकती है।
धर्म स्थलों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी दी जा सकती है। इतना ही नहीं, ऐसे अपराधियों को नदी के किनारे पेड़ लगाने, ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में सहायता करने, विरासत स्थलों का रखरखाव करने, सार्वजनिक पार्कों की सफाई करने और स्वच्छ भारत सरीखे सामाजिक कल्याण अभियानों में योगदान देने के लिए कहा जा सकता है। इससे जेलों में अपराधियों की भीड़ में कमी आएगी। कम जोखिम वाले अपराधियों को रचनात्मक सेवा की ओर मोड़ा जा सकेगा। वैसे भी समाज में एक भ्रांति फैली हुुई है कि जेल अपराधी को सुधारने की जगह बिगाड़ती ज्यादा हैं।
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