Wednesday, August 6, 2025

युवकों ने महात्मा गांधी से मांगी क्षमा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

मोहन दास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर  में हुआ था। महात्मा गांधी ने 22 साल की उम्र में बैरिस्टर की परीक्षा पास कर ली थी। दो साल तक वकालत के क्षेत्र में गांधी को सफलता नहीं मिली। संयोग से उन्हीं दिनों उनके पास एक कंपनी का मुकदमा आया जिसमें उन्हें दक्षिण अफ्रीका में जाकर लड़ना था। गांधी ने उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और दक्षिण अफ्रीका चले गए। 

21 साल  तक उन्होंने अफ्रीका में रहकर लोगों को शांति, अहिंसा, स्वच्छता का पाठ पढ़ाया। सन 1915 में वह भारत लौटे और भारत में उन्होंने अस्पृश्यता, गरीबी, जातिगत भेदभाव जैसे सामाजिक आंदोलनों में भाग लेना शुरू किया। सन 1921 में वह कांग्रेस से जुड़ गए। वह रामकृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। बात उन दिनों की है, जब गांधी दक्षिण अफ्रीका में थे। 

वहां उन्होंने फिनिक्स आश्रम बना रखा था जिसमें रहकर वह समाज सुधार के कार्य किया करते थे। उनके कार्यक्रमों से प्रभावित होकर कुछ अफ्रीकी युवक गांधी के पास पहुंचे और उन्होंने उनके नेतृत्व में समाज सुधार के काम करने की इच्छा प्रकट की। गांधी ने अनुमति दे दी। उन युवकों ने प्रतिज्ञा की कि वह नमक का सेवन नहीं करेंगे। युवकों की यह प्रतिज्ञा तो कुछ दिनों तक सचमुच चलती रही, लेकिन बाद में उन्हें भोजन का स्वाद फीका लगने लगा। उनका मन चटपटी चीजों को खाने का होने लगा। 

एक दिन उनसे नहीं रहा गया। उन्होंने बाजार से चटपटी चीजें मंगाई और खा ली। लेकिन उनमें से एक युवक को लगा कि उसने गलत किया है। उसने यह बात गांधी को बता दी। गांधी ने उन युवकों से पूछा, तो उल्टा सच कहने वाले युवक पर ही आरोप लगा दिया। इस पर गांधी बोले कि ऐसा लगता है कि मुझ में ही सत्य के गुण ठीक से नहीं आए हैं। इसलिए मैं प्रायश्चित करूंगा। यह सुनकर युवकों ने अपनी गलती मान ली और भविष्य में ऐसा न करने को कहा।

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