Monday, June 30, 2025

तुम भी शिवाजी की तरह नासमझ हो

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिता शाहजीराजे भोसले एक शक्तिशाली सामंत थे। माता जीजाबाई ने अपने बेटे शिवाजी को गौरवमयी प्राचीन कहानियां सुनाकर वीर बनाया था। जिस समय शिवाजी युवा हो रहे थे, उस समय बीजापुर का राज्य आपसी संघर्ष तथा विदेशी आक्रमण काल के दौर से गुजर रहा था। 

ऐसे कठिन समय में युवा शिवाजी को शासन की बागडोर संभालनी पड़ी। उन्होंने मराठा साम्राज्य को स्वतंत्र किया। इसके बदले उन्हें मुगलों से भिड़ना पड़ा। एक बार की बात है। शिवाजी ने एक किले पर आक्रमण किया, लेकिन काफी प्रयास के बाद सफलता नहीं मिल रही थी।  इसी दौरान वह कहीं जा रहे थे, तो वह अपने साथियों से बिछड़ गए। काफी देर तक भटकते रहने से उन्हें बहुत तेज भूख लगी। काफी देर बाद खोजने के बाद उन्हें एक झोपड़ी दिखाई दी, तो उन्होंने सोचा कि झोपड़ी में रहने वाले से खाना मांग लेते थे। 

उस झोपड़ी में एक बुजुर्ग महिला रहती थी। उस समय वह खिचड़ी बना रही थी। शिवाजी ने उससे भोजन देने को कहा, तो उसने एक पत्तल पर खिचड़ी परोस दी। शिवाजी बहुत भूखे तो थे ही, उन्होंने पत्तल में रखी गई खिचड़ी के बीचोबीच अपनी अंगुली से खिचड़ी उठानी चाही, तो अंगुलियां जल उठीं। वह मुंह से अंगुलियों पर फूंक मारने लगे। उस महिला ने उनसे कहा कि तुम्हारी शकल तो शिवाजी से मिलती है, अक्ल भी उसकी तरह नासमझों वाली है। शिवाजी ने कहा कि मां, आप ऐसा क्यों कहती हैं। 

तब महिला ने कहा कि किनारे से ठंडी खिचड़ी खाने की जगह तुमने बीच में गर्म खिचड़ी खा रहे हो। शिवाजी भी निरा नासमझ है। वह छोटे-छोटे किले जीतने की जगह बड़े किले पर हमला कर रहा है। यह सुनकर शिवाजी की समझ में आ गया कि वह क्या गलती कर रहे थे। यह सीख उनके जीवन में बड़ी काम आई।

नशे के खिलाफ तो हर गांव, हर शहर को होना होगा जागरूक

अशोक मिश्र

हरियाणा में फैलते जा रहे नशा कारोबारी और नशीले पदार्थ लोगों के लिए एक मुसीबत बनते जा रहे हैं। प्रदेश में नशा तस्कारों का नेटवर्क दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। हालांकि हरियाणा नारकोटिक्स विभाग का दावा है कि पिछले साल चार सौ से ज्यादा नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। गुरुग्राम एंटी नारकोटिक्स क्राइम ब्रांच ने बीते एक महीने में कई ऐसे तस्करों को गिरफ्तार किया है जो प्रदेश में सक्रिय नशा तस्करों के लिए मुंबई और नेपाल में काम कर रहे थे और डार्क वेब और सिग्नल एप के जरिये नशीले पदार्थों की सप्लाई कर रहे थे। गुरुग्राम पुलिस ने पिछले सप्ताह ही दिल्ली एनसीआर में सात नाइजीरियन सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। 

यह सभी नेपाल और दूसरे देशों से कोकीन मंगाकर यहां के तस्करों को सप्लाई करते थे। बीते दिनों हरियाणा के विभिन्न जिलों से पुलिस ने करोड़ों रुपयों की कीमत का हेरोइन बरामद किया है। लेकिन तस्करों का नेटवर्क बहुत अधिक फैला हुआ है। यही वजह है कि प्रदेश की पुलिस को ही नहीं, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित अन्य मंत्रियों और विधायकों को आमजन और युवाओं को नशा तस्करों के चंगुल से बचाने के लिए नशा मुक्ति अभियान चलाना पड़ा। 

साइक्लोथान जैसी मुहिम चलाकर युवाओं को नशे से दूर रहने की अपील करनी पड़ी। नशा करना युवाओं और महिलाओं को इतना भारी पड़ रहा है कि यह नशा लोगों को एचआईवी और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का भी शिकार बना रहा है। हरियाणा पुलिस ने पिछले छह महीनों में 108 नशा तस्करों और उनके रिश्तेदारों के नाम 52.72 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। साल 2024 में हरियाणा पुलिस ने 25 नशा तस्करों की लगभग 7.4 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी। वहीं साल 2023 में 16 नशा तस्करों की लगभग 13 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी। पुलिस और नारकोटिक्स विभाग अपनी ताकत भर नशा तस्करों का नेटवर्क तोड़ने की कोशिश में लगी हुई है। 

हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने 63 नशा तस्करों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है। ‘नशामुक्त हरियाणा अभियान’ प्रदेश को नशा मुक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। अब तक प्रदेश लगभग 40 प्रतिशत से अधिक गांवों को नशामुक्त घोषित किया जा चुका है। इसके बावजूद अभी और प्रयास करने की जरूरत है। अगर प्रदेश को नशामुक्त बनाना है, तो इसमें जनसहयोग बहुत जरूरी है। कोई भी सरकार केवल अपने दम पर किसी राज्य को नशा मुक्त या अपराध मुक्त नहीं कर सकती है। यह सफलता तभी हासिल होगी, जब इसमें हर गांव और हर शहर से लोग स्वत: उठकर शामिल होंगे और नशे के खिलाफ माहौल बनाएंगे।

Sunday, June 29, 2025

चिकित्सक के मन में मानवता जरूरी

 बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

रसायन शास्त्री नागार्जुन ने पहली शताब्दी में ही धातुकर्म में प्रवीणता हासिल कर ली थी। बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय के संस्थापक नागार्जुन का जन्म 150 ईस्वी में माना जाता है। वैसे प्राचीन साहित्य में एक और नागार्जुन का उल्लेख मिलता है जो दसवीं शताब्दी में पैदा हुए थे। यह भी रसायन शास्त्री थे। इसलिए कई बार यह तय कर पाना कठिन हो जाता है कि अमुक घटना किस नागार्जुन से जुड़ी हुई है। 

बहरहाल, नागार्जुन ने पारे और लोहे को शोधित करने की विधि खोज ली थी। महायान संप्रदाय से जुड़े नागार्जुन की मृत्यु 250 ईस्वी में हुई बताई जाती है। कहते हैं कि एक बार नागार्जुन को कुछ नए शिष्यों की आवश्यकता हुई। उन्होंने कुछ रसायन तैयार करवाने थे। पुराने शिष्यों ने दो युवकों का नाम लिया जिनको शिष्य बनाया जा सकता था। नागार्जुन ने एक दिन दोनों युवकों को बुलाया और कहा कि एक दिन के भीतर वे कोई नया रसायन बनाकर लाएं। दोनों युवक आश्रम से निकल गए। 

दूसरे दिन एक युवक रसायन लेकर हाजिर हो गया। नागार्जुन ने पूछा कि कोई परेशानी तो नहीं हुई। उस युवक ने कहा कि नहीं, वैसे तो कोई परेशानी नहीं हुई, लेकिन माता-पिता के बीमार होने की वजह से कुछ व्यवधान जरूर पड़ा था, लेकिन मेरा ध्यान रसायन बनाने पर ही रहा। थोड़ी देर बाद दूसरा युवक भी खाली हाथ पहुंचा। उसने नागार्जुन से कहा कि गुरुदेव! मैं रसायन नहीं बना सका क्योंकि आश्रम से निकलते ही एक बुजुर्ग मिला, जो दर्द से कराह रहा था। मुझसे उसकी पीड़ा देखी नहीं गई। 

मैं उसे घर ले गया और उसका उपचार किया। अब वह ठीक है। इस वजह से मैं रसायन तैयार नहीं कर पाया। यदि कहें, तो मैं अब बना सकता हूं। यह सुनकर नागार्जुन ने कहा कि जिसके मन में बीमार के प्रति सहानुभूति न हो, वह अच्छा वैद्य नहीं बन सकता है। कल से तुम आश्रम आ सकते हो। यह सुनकर युवक प्रसन्न हो गया।

एक बार फिर पैदा हुई सतलुज यमुना लिंक विवाद सुलझने की आस

अशोक मिश्र

केंद्र सरकार की पहल के बाद दस जुलाई के आसपास पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री एक बार फिर बैठकर सतलुज यमुना लिंक नहर के मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार केंद्र की मध्यस्थता में होने वाली बैठक में कुछ सकारात्मक हल निकालने की दिशा में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री आगे बढ़ेंगे। सन 1966 में पंजाब के ही एक हिस्से को हरियाणा राज्य का गठन किए जाने के बाद से ही सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद ने जन्म लिया था। 

वैसे इस विवाद की नींव तभी पड़ चुकी थी, जब भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। इस संधि के अंतर्गत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदी के 'मुक्त एवं अप्रतिबंधित उपयोग' की अनुमति दी गई थी। राज्य  निर्माण के बाद हरियाणा को अपने हिस्से का पानी हासिल करने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा। तब यह फैसला किया गया कि हरियाणा को सतलुज और उसकी सहायक नदी ब्यास के जल का हिस्सा प्रदान करने के सतलुज यमुना लिंक नहर का निर्माण किया जाए। 

बाद में पंजाब अपने वायदे से मुकर गया और कहा कि जल बंटवारे का निर्णय तटवर्ती सिद्धांत के खिलाफ है। जब हरियाणा ने अपनी बात को पुख्ता तरीके से पंजाब, केंद्र और विभिन्न अदालतों में अपनी बात रखी, तो सन 1981 में दोनों राज्यों ने आपसी सहमति से जल के पुन: आवंटन पर सहमति जताई। अगले साल पंजाब के कपूरी गांव में 214 किमी लंबी सतलुज-यमुना लिंक का निर्माण शुरू हुआ। 

उन दिनों पंजाब में आतंक का माहौल था। एसवाईएल निर्माण के विरोध में आंदोलन, विरोध प्रदर्शन और हत्याएँ हुई। अपने हिस्से में पड़ने वाले 92 किमी एसवाईएल को निर्माण हरियाणा कर चुका है। वहीं, पंजाब ने अपने हिस्से के 122 किमी का निर्माण नहीं किया है। पंजाब और हरियाणा के बीच इस मामले को लेकर कई बार बैठकें हुईं। मामला अदालत तक गया, लेकिन हर बार पंजाब के अड़ियल रवैये के चलते मामला सुलझ नहीं पाया। पिछले पांच साल में चार बार बैठकें हो चुकी हैं। 19 अगस्त 2020 को कैप्टन अमरिंदर सिंह और तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बीच बैठक हुई। नतीजा नहीं निकला। 

इसके बाद तीन बार 14 अक्टूबर 2023, 4 जनवरी 2023 और 28 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के बीच बैठक हुई। केंद्र ने भी इस मामले में मध्यस्थता की, लेकिन बैठकें बेनतीजा ही रहीं। इस बार उम्मीद की जानी चाहिए कि यह विवाद सुलझ सकेगा। सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद के सुलझते ही दोनों राज्यों की जनता को लाभ मिलेगा।

Saturday, June 28, 2025

स्कूल छूटा, लेकिन लिखने पढ़ने का शौक नहीं छूटा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

ग्राजिया डेलेडा इटली की महान कथाकार, नाटककार और कवयित्री थीं। उनका जिस जमाने में जन्म हुआ था, उस समय लड़कियों को बहुत ज्यादा पढ़ाने-लिखाने की परंपरा नहीं थी। ग्राजिया का जन्म 27 सितंबर 1875 को इटली के नूरो में हुआ था। 

ग्राजिया के पिता वैसे तो पेशे से वकील थे, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा रुचि खेती और व्यापार में थी। वह नूरो शहर के तीन बार मेयर बने थे। यही वजह है कि उनके यहां विभिन्न क्षेत्रों के लोगों का जमघट लगा रहता था। ग्राजिया के पिता कभी-कभार मूड होने पर कविताएं भी लिख लिया करते थे। मेयर होने के नाते उनके पास विभिन्न समुदायों के लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते थे। 

ग्राजिया उनकी समस्याओं को बड़े ध्यान से सुनती थीं। बाद में जब ग्राजिया बड़ी हुई तो उन्होंने चोरी छिपे लिखना शुरू किया। चौथी क्लास पास करने के बाद ही उसकी पढ़ाई छुड़ा दी गई थी, लेकिन उसका किताबों में मोह भंग नहीं हुआ था। 13 साल की उम्र में जब उनकी पहली रचना प्रकाशित हुई, तो वह झूम उठी। उसने अपने पिता को वह दिखाया। 

पिता ने भी प्रशंसा में पीठ थपथपाई। फिर एक दिन वह भी आया जब उसकी शादी हो गई और वह शादी के बाद अपने पति पलमीरो मदेसानी के साथ रोम आ गई। उसके लिखने-पढ़ने के शौक में पति मदेसानी ने बाधा नहीं डाली। ग्राजिया ने अपना पहला उपन्यास सार्डीनिया का फूल लिखा। उपन्यास छपते ही पूरी इटली में तहलका मच गया। उसे लोगों ने हाथों हाथ लिया। 

इसके बाद उनका लेखन अनवरत चलता रहा। तत्कालीन इटली का तानाशाह मुसोलिनी भी ग्राजिया का सम्मान करता था। सन 1926 में ग्राजिया डेलेडा को साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया। सन 1936 को इस महान साहित्यकार का निधन हो गया।

साइबर अपराधियों पर सख्ती से कसा जाना चाहिए शिकंजा

अशोक मिश्र

हरियाणा में साइबर ठगी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। रोज कोई न कोई ऐसी घटना प्रकाश में आ रही है। साइबर अपराधियों के हौसले काफी बढ़े हुए हैं। हालांकि प्रदेश सरकार का दावा है कि उसने प्रदेश में होने वाली साइबर ठगी पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। लेकिन हालात कुछ अलग ही सच्चाई बयां कर रहे हैं। कल ही फरीदाबाद में साइबर ठगों ने एक दंपति को डिजिटल अरेस्ट करके उनसे 30.20 लाख रुपये ठग लिए। साइबर अपराधियों की चंगुल में फंसे दंपति ने अपनी एफडी तुड़वाकर अपराधियों के बताए गए खाते में रुपये ट्रांसफर किए। अपराधियों ने मुंबई ब्रांच से सीआईडी इंस्पेक्टर बनकर दंपति को मनी लांड्रिंग केस में फंसाने की बात कही थी। 

वहीं, फरीदाबाद में ही शेयर मार्केट में  पूंजी निवेश के नाम पर ठगने वाले महिला सहित सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन अपराधियों ने एक व्यक्ति को शेयर मार्केट में पूंजी निवेश करके दोहरी कमाई का लालच देकर 29 लाख रुपये ठग लिए थे। 

यही नहीं, कल ही बल्लभगढ़ के एक फैक्ट्री मालिक के ह्वाट्सएप एकाउंट को हैक करके साढ़े सात लाख रुपये से अधिक ठगने के चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। हरियाणा में सबसे ज्यादा साइबर ठग मेवात क्षेत्र में सक्रिय हैं। करीब डेढ़ साल पहले एक बड़ी मुहिम चलाकर पुलिस ने सौ से अधिक साइबर अपराधियों को गिरप्तार किया था। पकड़े गए साइबर अपराधी प्रदेश सहित देश और विदेश के लोगों को अपना शिकार बनाया करते थे। 

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने साइबर अपराधियों से सहित सभी प्रकार के अपराधियों को गिरफ्तार करने और गंभीर अपराध करने वाले अपराधियों को खत्म करने की दिशा पुलिस अधिकारियों को लगा दिया है। पुलिस का दावा है कि हरियाणा पुलिस ने 2024 में साइबर धोखाधड़ी रोकने में देश में पहला स्थान हासिल करने का दावा किया था। उसने साइबर अपराधियों से लगभग 268.40 करोड़ रुपये बचाए, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 76.85 करोड़ रुपये था। यह राशि 2023 की तुलना में 2024 में बचाई गई राशि से तीन गुना और 2022 की तुलना में पांच गुना अधिक है। यही नहीं,  2022 में साइबर अपराधियों के खिलाफ 2,165 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2023 में 2,747 और 2024 में 5,511 मामले दर्ज किए गए। 

इसी तरह, 2022 में पुलिस ने 1,078 लोगों को गिरफ्तार किया, 2023 में 1,909 और 2024 में 5,156 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2024 में गिरफ्तार किए गए कुल अपराधियों में से 70 प्रतिशत (3,555) दूसरे राज्यों के हैं। 2024 में पुलिस ने औसतन हर रोज 14 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया।

Friday, June 27, 2025

मास्टर दा के नाम से जाने जाते थे क्रांतिकारी सूर्यसेन

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

महान क्रांतिकारी सूर्य सेन को उनके साथी बड़े आदर और सम्मान के साथ मास्टर दा कहा करते थे। वह एक स्कूल में पढ़ाते थे। क्रांतिकारी सूर्य सेन का जन्म 22 मार्च 1894 को हुआ था। उन्होंने 18 अप्रैल 1930 को सूर्य सेन के नेतृत्व में कई दर्जन क्रांतिकारियों ने चटगांव के शस्त्रागार को लूट लिया और चटगांव को स्वतंत्र घोषित कर दिया। पकड़े जाने पर अंग्रेजों ने क्रांतिकारी सूर्य सेन को चटगांव कारागार में फांसी पर लटका दिया था। 

वैसे जब वह किशोर थे और पढ़ाई कर रहे थे, तो उन पर अपने एक अध्यापक का प्रभाव पड़ा और वह धीरे-धीरे क्रांतिकारियों के संपर्क में आए और अनुशीलन समिति के सदस्य बन गए। उन्होंने क्रांतिकारियों के साथ मिलकर हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी का गठन किया था। बात तब की है, जब वह नेशनल हाईस्कूल में सीनियर ग्रेजुएट शिक्षक के रूप में पढ़ाते थे। 

एक बार परीक्षा के समय उनकी ड्यूटी लगाई गई। जिस कमरे में उनकी ड्यूटी लगी थी, उसी कमरे में प्रिंसिपल का बेटा भी परीक्षा दे रहा था। वह नकल कर रहा था जिसे उन्होंने पकड़ लिया और उसे परीक्षा देने से रोक दिया। यह देखकर दूसरे अध्यापक डर गए। उन्होंने सूर्य सेन को समझाया लेकिन वह नहीं माने। जब परिणाम निकला, तो प्रिंसिपल का बेटा फेल हो गया था। 

चपरासी भेजकर प्रिंसिपल ने सूर्य सेन को बुलाया। यह देखकर सारे अध्यापक समझ गए कि सूर्य सेन की नौकरी गई। निडर सूर्य सेन प्रिंसिपल के पास पहुंचे। प्रिंसिपल ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि यदि आपने बेटे को नकल करते हुए नहीं पकड़ा होता, तो मैं आपको नौकरी से निकाल देता। इस पर सूर्य सेन ने कहा कि यदि आपने अपने बेटे की तरफदारी की होती, तो मैं इस्तीफा दे देता। यह सुनकर प्रिंसिपल ने उन्हें गले लगा लिया।

बुद्धिस्ट सर्किट विकसित होने पर हरियाणा में भी गूंजेगी बुद्ध की वाणी

अशोक मिश्र

हमारा देश आज भी पूरी दुनिया में बुद्ध के देश के नाम से ही जाना जाता है। महावीर, गुरुनानक, संत रविदास और कबीर जैसे महापुरुषों ने इस धरती पर जन्म लिया था। इनकी शिक्षाओं और विरासत को सहेजना अब हम सबका कर्तव्य है। महात्मा बुद्ध ने जो अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ाया था, उसको सहेजना और पूरी दुनिया में फैलाना ही हम सबका पुनीत कर्तव्य है। यह खुशी की बात है कि हरियाणा की सैनी सरकार ने बौद्ध सर्किट बनाने का सराहनीय फैसला लिया है। 

प्रदेश में बुद्धिस्ट सर्किट विकसित होने से न केवल प्रदेश की ख्याति वैश्विक स्तर पर बढ़ेगी, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों से आय भी होगी। यही भी संभव है कि भविष्य में हरियाणा के बौद्ध पर्यटन स्थल विश्व धरोहरों में शामिल कर लिया जाए। यदि ऐसा होता है, तो यह हरियाणा के लिए गौरव की बात होगी। सरकार ने इस बौद्ध सर्किट बनाने की दिशा में कदम उठाना शुरू कर दिया है। इसके लिए जो प्रयास किए जाने चाहिए, सैनी सरकार ने वह करना भी शुरू कर दिया है। 

प्रदेश में जहां जहां भगवान बुद्ध के चरण पड़े थे अर्थात वह अपने जीवन काल में प्रदेश के जिन स्थानों पर आए थे, उन उन स्थानों पर बौद्ध परिपथ बनाया जाएगा। वैसे महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद जीवन भर देश भर में भ्रमण ही किया था। इसी क्रम में वह हरियाणा भी आए थे। वैसे भी महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद जीवन भर भ्रमण ही किया था। वह चार महीने के वर्षाकाल में एक जगह रुक जाते थे। वहीं पर लोगों को उपदेश दिया करते थे। बाकी नौ महीनों में वह देश के विभिन्न नगरों-गांवों में लोगों को शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाते आगे बढ़ते जाते थे। इसी क्रम में वह हरियाणा भी आए थे। 

इसका उल्लेख उनके समकालीन और परिवर्ती साहित्य में मिलता है। अब जब सैनी सरकार ने बौद्ध परिपथ की स्थापना के लिए उन उन स्थानों को चिन्हित कर लिया है, जिन जिन स्थानों का उल्लेख पाली भाषा में लिखी गई त्रिपिटक और मूलसर्वास्तिवाद विनय जैसे ग्रंथों में किया गया है। इन प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक महात्मा बुद्ध ने तीन बार कुरु की यात्रा की थी और उन्होंने आम जनता के बीच गूढ़ उपदेश भी दिए थे। बौद्ध साहित्य के विद्वानों के मुताबिक, पालि ग्रंथों में उल्लिखित कई स्थान आज भी हरियाणा में मौजूद हैं। 

गौतम बुद्ध के चरण चिन्हों को
सम्राट अशोक ने टोपरा कलां और अग्रोहा में अभिलेख स्तंभ लगाकर यह प्रमाणित किया कि महात्मा बुद्ध यहां आए थे। सैनी सरकारी की बौद्ध सर्किट में चनेटी, आदिबद्री, ब्रह्मसरोवर, असंध, अग्रोहा जैसे तमाम स्थलों को शामिल करने की योजना है। हरियाणा भी बौद्धों के लिए महत्वपूर्ण स्थल होने वाला है।

Thursday, June 26, 2025

बारडोली के किसानों ने अंग्रेजों को झुकाया

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अंग्रेजों ने हमारे देश पर लगभग दो सौ साल तक शासन किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय जनता पर निर्मम अत्याचार किए। लोगों के घर, मकान,जमीन जायदाद तक कुर्ककरके नीलाम कर दिए। अंग्रेजी शासन का विरोध करने वालों को फांसी और आजीवन कारावास जैसी सजाएं दी गईं। खेती और व्यापार पर अत्यधिक टैक्स लगाकर उन्हें बरबाद करने की कोशिश की गई ताकि लंदन से आया हुआ माल बिके। इसके बावजूद भारतीय लोग अंग्रेजों के सामने झुके नहीं। बात 1928 की है। 

उन दिनों अंग्रेजों का अत्याचार चरम सीमा पर था। अंग्रेज देश के क्रांतिकारियों को पकड़कर जेल में डाल रहे थे, उन्हें मौत की सजाएं दे रहे थे और किसानों पर ज्यादा से ज्यादा टैक्स लाद रहे थे ताकि वे क्रांतिकारियों की मदद करने की हिम्मत न जुटा सकें। गुजरात के सूरत जिले में बारडोली जैसे कस्बे में किसानों से अंग्रेजों का यह अन्याय सहन नहीं हुआ। उन्होंने अंग्रेजों के खि
लाफ हल्ला बोल दिया क्योंकि गुजरात में उस साल सूखा पड़ा था और फसलें बरबाद हो गई थीं। 

उसके बावजूद अंग्रेजों ने खेतों के लगान में 22 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी थी। नतीजा यह हुआ कि किसानों ने अंग्रेजों को लगान देना बंद कर दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल को जब यह जानकारी मिली, तो वह बारडोली पहुंचे और किसानों का उत्साह बढ़ाया। वह किसानों के बीच रोज जाते थे। इस पर अंग्रेजों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल से कहा कि आप किसानों को भड़का रहे हैं। 

कांग्रेस नेता ने कहा कि किसान अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। अन्याय के खिलाफ खड़े होना अगर कानून तोड़ना है, तो मैं कानून तोड़ रहा है। इसके बाद अंग्रेजी सरकार को झुकना पड़ा और लगान को माफ करना पड़ा।

बिना सख्ती बरते हरियाणा में नहीं सुधरने वाला है लिंगानुपात

अशोक मिश्र

हरियाणा में बिगड़ते लिंगानुपात को लेकर प्रदेश सरकार काफी सख्त होती जा रही है। इसके लिए जो भी जिम्मेदार पाया जा रहा है, उसके खिलाफ कार्रवाई भी अब शुरू हो गई है। लिंगानुपात नहीं सुधार पाने वाले पूर्व सीएमओ डॉ. राजिंदर मलिक के खिलाफ राज्य टॉस्क फोर्स ने चार्जशीट दाखिल किया है। ठीक इसी तरह भिवानी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोपी के कार्यवाहक एसएमओ डॉ. एम नेहरा के खिलाफ यही कार्रवाई की गई है। इनके कार्यक्षेत्र में लिंगानुपात काफी खराब स्थिति में था। इतना ही नहीं, सोनीपत के खरखौदा में अवैध गर्भपात कराने के मामले में आयुष चिकित्सक का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। 

वैसे तो अवैध गर्भपात रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए रिप्रोडक्टिव चाइल्ड हेल्थ आईडी को अनिवार्य कर दिया है। आरसीएच आईडी के बिना कोई भी गर्भवती महिला किसी भी सरकारी अस्पताल में चिकित्सा सुविधा हासिल नहीं कर सकेगी। एक बार किसी गर्भवती का आरसीएच आईडी बनने के बाद उसको ट्रेस करना आसान हो जाएगा। वह किसी भी तरह अवैध गर्भपात नहीं करा सकेगी। इससे प्रदेश में हो रहे अवैध गर्भपात पर लगाम लग सकेगी। 

आईडी से प्रदेश सरकार के पास एक मुकम्मल आंकड़ा होगा कि अमुक समय पर प्रदेश में इतनी गर्भवती महिलाएं थीं और उन्होंने इतने लड़की या लड़के को जन्म दिया। कोई भी निजी अस्पताल बिना आरसीएच आईडी के किसी गर्भवती का अल्ट्रासाउंड या अन्य जांच लिखता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। सरकार की इन्हीं सख्ती की वजह से इस साल एक जनवरी से लेकर 23 जून तक लिंगानुपात 906 हो गया था जो इससे पहले 902 था। यह बढ़ोतरी हालांकि बहुत मामूली है, लेकिन यदि इसी तरह सख्ती बरती जाती रही, तो निकट भविष्य में लिंगानुपात सुधरने की उन्मीद की जा सकती है। लेकिन सरकार के मनसूबे पर प्रदेश में खुले कुछ गैर पंजीकृत क्लीनिक पानी फेर रहे हैं। 

ऐसे डॉक्टरों और क्लीनिकों के चंगुल में फंसकर लोग जहां अपना पैसा बरबाद कर रहे हैं, वहीं गर्भवती महिलाओं के जीवन से खिलवाड़ भी हो रहा है। झोलाछाप और बीएएमएस डॉक्टरों ने इस विषय में कोई पढ़ाई तो की नहीं होती है। ऐसी स्थिति में कई बार गर्भवती महिलाओं को अपनी जान तक गंवानी पड़ जाती है। सीएम तक ऐसे लोगों की शिकायतें भी पहुंच रही हैं। यदि सरकार प्रदेश में चल रही अवैध क्लीनिकों और गर्भपात सेंटरों पर लगाम लगा लेती है, तो निश्चित रूप से हरियाणा में लिंगानुपात को सुधारा जा सकता है। सरकार के पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है।

Wednesday, June 25, 2025

बिजली की बढ़ी दरों ने लोगों की बढ़ा दी परेशानी, किसानों को मिली राहत

अशोक मिश्र

हरियाणा में बिजली दरों में बढ़ोतरी से सियासत गरमाई हुई है। जहां सत्ता पक्ष बिजली बढ़ोतरी का ठीकरा उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के सिर पर फोड़कर अपना पल्ला झाड़ रहा है, वहीं विपक्षी दलों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। बिजली बिलों में हुई बढ़ोतरी को जन विरोधी करार देकर वह सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रहा है। उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम ने एक अप्रैल से बिजली की दरों में बढ़ोतरी कर दी है। पहले बिजली की दरें स्लैब वाइज तय थीं। 50 यूनिट या उससे अधिक खपत पर 2.50 रुपये से 6.30 रुपये प्रति यूनिट तक चार्ज लगता था। 

अब पांच किलोवाट से अधिक लोड होने पर 6.50 रुपये से 7.50 रुपये प्रति यूनिट तक वसूला जा रहा है। जिनका बिल पहले एक हजार रुपये आता था, अब नई दरों के हिसाब से चार हजार तक आ रहा है। नई बिजली दरों से शहरी उपभोक्ताओं को कुछ ज्यादा ही भुगतान करना पड़ रहा है। वहीं ग्रामीण उपभोक्ताओं को कुछ मायने में राहत भी मिली है। 

पांच किलोवाट तक के स्वीकृत लोड वाले उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की गई है। जो उपभोक्ता तीन सौ यूनिट से कम बिजली खर्च करते हैं, उनसे न्यूनतम मासिक किराया नहीं वसूला जा रहा है। बिजली की दरें बढ़ने का किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। नलकूप कनेक्शन के लिए पहले यूएचबीवीएन छह रुपये 48 पैसे प्रति यूनिट किसानों से वसूलती थी। अब यूएचबीवीएन ने नलकूप कनेक्शन के लिए सात रुपये 35 पैसे प्रति यूनिट की दर से वसूलने का फैसला किया है। लेकिन सरकार ने नलकूप कनेक्शन वाली बिजली के लिए निगमों को सात रुपये 25 पैसे सब्सिडी देने का फैसला किया है। 

इस हिसाब से किसानों को नलकूप कनेक्शन के लिए केवल दस पैसे प्रति यूनिट देने होंगे। प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज मालिकों को भी सरकार ने काफी राहत प्रदान की है। अब कोल्ड स्टोर संचालित करने वाले लोगों को पहले की अपेक्षा काफी कम बिजली बिल का भुगतान करना होगा। पहले बिजली निगम कोल्ड स्टोर से सात रुपये 50 पैसे प्रति यूनिट की दर से वसूलती थी। लेकिन अब 20 किलोवाट वाले स्टोर से केवल चार रुपये 50 पैसे ही प्रति यूनिट की दर से वसूले जाएंगे। अगर कोई कोल्ड स्टोर बीस किलोवाट से अधिक बिजली खर्च करता है, तो उससे साढ़े छह रुपये प्रति यूनिट लिए जा रहे हैं। 

बिजली की दरों में सबसे ज्यादा खामियाजा छोटे और कुटीर उद्योग चलाने वालों को होगा। बिजली दरों में बढ़ोतरी के चलते उनके उत्पादों की लागत बढ़ जाएगी जिससे उनको अपना उत्पाद बेचने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।

अपनी बुराई सुनकर भी शांत रहे देकार्त

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

फ्रांस के महान दार्शनिक और गणितज्ञ रेने देकार्त को तर्कवादी दर्शन का अग्रदूत माना जाता है। देकार्त ने दर्शन को विज्ञान की ओर ले जाने का प्रयास किया था। देकार्त का जन्म फ्रांस के तुरेन नामक नगर में 31 मार्च 1596 में हुआ था। सन 1616 में रेने देकार्त ने कानून की पढ़ाई पूरी करके डिग्री ली थी। अपने पारिवारिक व्यवसाय में पूरा समय देने के स्थान पर रेने ने यात्रा और अध्ययन में अधिक समय लगाया। सन 1618 में वे हॉलैंड गए और सेना में अवैतनिक रूप से अधिकारी का दायित्व निभाया। 

देकार्त का बचपन अपनी दादी के साथ बीता था, लेकिन वह शरीर के मामले में काफी दुर्बल थे। जब देकार्त को अपनी गणितीय और दार्शनिक सिद्धांतों की वजह से काफी प्रसिद्धि मिल गई तो इनके कई शिष्य हो गए। एक बार की बात है। इनसे एक व्यक्ति मिलने आया। उसने बातचीत के दौरान देकार्त की बुराई करनी शुरू कर दी। आमतौर पर देकार्त हमेशा शांत ही रहते थे। 

वह क्रोध करने से हमेशा बचते रहते थे। उस व्यक्ति की बात सुनकर देकार्त के शिष्य बहुत नाराज हुए। वह उस व्यक्ति को सबक सिखाने के लिए तैयार हुए, तो देकार्त ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। वह व्यक्ति अपने मन की भड़ास निकालकर जब चला गया, तो उनके एक शिष्य ने कहा कि आपने उस व्यक्ति को जवाब क्यों नहीं दिया? वह आपको इतना भला बुरा कहता रहा, लेकिन आप चुपचाप सुनते रहे। 

इसके बाद देकार्त ने अपने शिष्यों से कहा कि तुमने इतने साल मेरे साथ रहकर यही सीखा है। तब उनके एक शिष्य ने पूछा कि यदि हमसे कोई खराब व्यवहार करते, तोहमें क्या करना चाहिए? देकार्त ने कहा कि अपने को इतना ऊपर उठा लो कि बुरा व्यवहार तुम्हें छू ही नहीं सके। जीवन में कामयाबी का यही मार्ग है।

बारह दिन ईरान से युद्ध लड़ने के बाद इजरायल को मिला क्या?

अशोक मिश्र

ईरान और इजरायल के बीच बारह दिनों तक युद्ध चला। ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिका ने हमला किया। इसके जवाब में ईरान ने कतर में मौजूद अमेरिका के अल-उदीद एयर मिलिट्री बेस पर छह मिसाइलें दागीं। ईरान ने कतर को हमला करने से पहले सूचना दी। ठीक उसी तरह जिस तरह भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को एयर स्ट्राइक से पहले जानकारी थी। सोमवार की देर रात और मंगलवार की अल्लसुबह ईरान, अमेरिका और इजरायल के बीच छिटपुट झड़पें तो हुईं, लेकिन कोई खास नुकसान की खबर अभी तक नहीं है। इसके बाद
डोनाल्ड ट्रंप का ट्रूथ सोशल यह कहना कि  सभी पक्ष युद्ध विराम पर सहमत हो गए हैं और उन्हें उम्मीद है कि इससे संघर्ष का आधिकारिक अंत हो जाएगा। दरअसल, अमेरिका, ईरान और इजरायल के बीच पिछले दो हफ्ते से जो कुछ चल रहा है, उससे एक बार यह भी शक पैदा हो रहा है कि कहीं यह सब कुछ स्क्रिप्टेड तो नहीं था।

जब भारत ने पहलगाम हमले के बाद नौ मई को पाकिस्तान में छिपे बैठे आतंकी संगठनों के खिलाफ एयर स्ट्राइक की थी, तो पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की। भारत ने अपनी कार्रवाई को आॅपरेशन सिंदूर नाम दिया था। इसे युद्ध कहें या झड़प, भारत की चार दिन की कार्रवाई में निस्संदेह पाक के होश फाख्ता हो गए थे। ऊपर से भारत ने सिंधु नदी जल प्रवाह रोककर पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था। तभी इस परिदृश्य में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप की इंट्री होती है। वह ट्रूथ सोशल पर घोषणा करते हैं कि भारत और पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों के बीच मैंने मध्यस्थता की और दोनों देश सीजफायर के लिए सहमत हो गए हैं। इसके बाद पाकिस्तान ने ट्रंप की बात की पुष्टि की। भारत ने सीजफायर की बात तो स्वीकार की, लेकिन ट्रंप की मध्यस्थता की बात स्वीकार नहीं की।भारत ने पाकिस्तान के मुद्दे पर कभी किसी तीसरे देश का दखल स्वीकार नहीं किया था। तो अब पीएम मोदी अपनी पारंपरिक लीक से कैसे हट सकते थे।

अब ट्रंप कह रह हैं कि उन्होंने हालिया पोस्ट में लिखा, 'इस्राइल और ईरान लगभग एक साथ मेरे पास आए और शांति की गुहार लगाई। मैंने इन दोनों में समझौता करा दिया है। अमेरिका ने दो दिन पहले जिस तरह ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया, वह प्रतीकात्मक कार्रवाई जैसा लग रहा है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बहुत ज्यादा क्षति पहुंचा हो, ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि सीजफायर के बाद क्या ईरान अब इजरायल के लिए खतरा नहीं रहेगा? अगर ईरान ने परमाणु हथियार बना लिए हैं, तो वह नष्ट हुए नहीं हैं। 

अमेरिकी हमलों से भी उसे कोई हानि होती तो दिखाई नहीं दी है। ऐसी स्थिति में इजरायल पूरी दुनिया और अपने देश की जनता को क्या जवाब देगा? बारह-तेरह दिन पहले इजरायल ने ईरान पर यही कहते हुए हमला किया था कि ईरान ने परमाणु हथियार बना लिए हैं जिससे इजरायल को खतरा है। सीजफायर के बाद भी ईरान ने परमाणु हथियारों के बारे में तो कुछ कहा नहीं है। इसका मतलब अगर ईरानी परमाणु कार्यक्रम पूरा नहीं हुआ है, तो वह अब भी चलता रहेगा। फिर इजरायल को यह युद्ध लड़ने से हासिल क्या हुआ? इजरायल बारह दिन पहले जिस तरह खाली हाथ था, आज भी वह सीजफायर के बाद भी खाली हाथ खड़ा है। दुनिया में सबसे सुरक्षित होने का प्रचार करने वाले आयरन डोम का ढोल भी फट गया। ईरानी मिसाइलों ने इजरायल में जो तबाही मचाई है, वह नुकसान अलग से हुआ।

अब उम्मीद है कि दो-चार दिन में छिटपुट झड़पों के बाद ईरान, इजरायल और अमेरिका शांत होकर बैठ जाएंगे। लेकिन इसका नतीजा यह हो सकता है कि मध्य पूर्व एशिया में सामरिक हथियारों की एक होड़ पैदा हो। ईरान, इराक, सीरिया, सऊदी अरब, कतर, ओमान, तुर्की, मिस्र, लेबनान जैसे तमाम देश अपने रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी करके अपने अपने समर्थक देशों से हथियार खरीदें। 

Tuesday, June 24, 2025

क्रोध पर युवक पा गया विजय

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

जब किसी के सिर पर क्रोध सवार होता है, तो वह अच्छा-बुरा सब कुछ भूल जाता है। क्रोध के चलते कई बार मनुष्य खुद ही अपना बुरा कर बैठता है। यही वजह है कि प्राचीन काल से ही मनुष्य को क्रोध पर विजय पाने की सीख दी गई है। क्रोध पर जिसने नियंत्रण कर लिया, वह अपने जीवन में कुछ भी कर सकता है। एक बार की बात है। 

एक क्रोधी युवक एक संत के पास पहुंचा और बोला कि मैं समाज की सेवा करना चाहता हूं। मुझे समाज की सेवा का मार्ग बताइए। संत ने उस युवक से कहा कि जाओ, पहले तुम नहाकर आओ। फिर मैं तुम्हें कोई काम बताता हूं। यह सुनकर वह युवक नदी पर नहाने चला गया। संत ने आश्रम में सफाई करने वाली


महिला को बुलाया और कहा कि जो यह युवक जा रहा है, जब यह वापस लौटे, तो तुम इस तरह झाड़ू लगाना कि धूल उस पर जाकर गिरे। लेकिन सावधान रहना, यह तुम पर हमला भी कर सकता है। 

जैसे ही वह युवक नहाकर वापस आश्रम आया, उस महिला ने इस तरह झाड़ू लगाई कि वह फिर गंदा हो गया। यह देखकर युवक को गुस्सा आया और वह पत्थर उठाकर महिला को मारने दौड़ा, लेकिन सतर्कमहिला पहले ही भाग खड़ी हुई। तब संत ने उस युवक से कहा कि तुम अगले साल आना। एक साल बाद वह युवक फिर आया, तो उसके साथ फिर वही हुआ जो एक साल पहले हो चुका था। 

इस बार युवक ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई। संत ने फिर एक साल बाद आने को कहा। जब तीसरी बार युवक आया, तो महिला ने फिर वैसा किया, तो उस युवक ने उस महिला के पैर पकड़ते हुए कहा कि आप ही मेरी सच्ची गुरु हैं। आपने मुझे क्रोध पर नियंत्रण करना सिखाया है। यह देखकर संत ने उस युवक को गले लगा लिया और उसे समाज सेवा का काम बता दिया।

जिलाध्यक्षों के चयन में काफी सावधानी बरत रही कांग्रेस


अशोक मिश्र

यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो हरियाणा कांग्रेस के इतिहास में शायद पहली बार होगा कि जिला अध्यक्षों के चुनाव में स्थानीय सांसद, विधायक, प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कोई भूमिका नहीं होगी। जिलाध्यक्षों का चुनाव सिर्फकांग्रेस कार्यकर्ता ही करेंगे। पिछले ग्यारह साल से प्रदेश की सत्ता से वंचित कांग्रेस आलाकमान ने पिछले साल विधानसभा चुनावों में मिली पराजय और गुटबाजी से सबक लेते हुए ऐसा फैसला किया है। यह तरीका गुजरात में प्रदेश और जिला अध्यक्षों के चुनाव और संगठन को खड़ा करने में आजमाया जा चुका है। जब से लोकसभा में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की गुटबाजी को लेकर कड़ा रुख अपनाया है, तब से सतह पर गुटबाजी दिखाई नहीं दे रही है। 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला जैसे नेताओं के बयान मीडिया में दिखाई नहीं दे रहे हैं। ऐसा लगता है कि इन नेताओं की फिलहाल सक्रियता कम हो गई है। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वजह से इनकी समझ में आ गया हो कि एक दूसरे का विरोध करके न तो भविष्य में कांग्रेस को सत्ता पर बिठाया जा सकता है और न ही उन्हें इससे कुछ हासिल होने वाला है। यही सोचकर उन्होंने फिलहाल चुप बैठने का फैसला किया हो। 

बहरहाल, इन दिनों कांग्रेस संगठन में काफी सक्रियता दिखाई दे रही है। जिला अध्यक्षों के चुनाव के लिए आवश्यक कदम उठाते हुए केंद्रीय पर्यवेक्षक अपने काम में लगे हुए हैं। सभी केंद्रीय पर्यवेक्षकों को तीस जून तक प्रदेश के 22 जिलाध्यक्षों के लिए पैनल में छह-छह नाम कांग्रेस हाईकमान को सौंप देने हैं। इन छह नामों में महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति जैसे कैटेगरी के लोगों के नाम होंगे। कांग्रेस ने इस बार अपने पदाधिकारियों के चयन में काफी सावधानी और सख्ती बरतने का फैसला किया है। जिला अध्यक्षों के लिए आने वाले आवेदनों की बड़ी गहराई से जांच की जा रही है। 

आवेदकों ने अपने बारे में जो कुछ बताया या लिखा है, वह सही है या नहीं, इसकी भी जांच की जा रही है। इसके लिए इलाके के कार्यकर्ताओं और कांग्रेस समर्थकों से फीडबैक लिया जा रहा है। कांग्रेस हाई कमान ने यह भी तय किया है कि यदि कोई जिलाध्यक्ष सांसद या विधायक का चुनाव लड़ना चाहता है, तो उसे अपने पद से एक से डेढ़ साल पहले इस्तीफा देकर अपने क्षेत्र में जाना होगा। इसके बाद पार्टी फीडबैक के आधार पर तय करेगी कि आवेदन करने वाले को टिकट दिया जाए या नहीं। इस मामले में किसी की सिफारिश मान्य नहीं होगी। यही बात जिलाध्यक्षों के चुनाव को लेकर भी लागू की गई है।

Monday, June 23, 2025

राजा हर्षदेव को धन का घमंड हो गया है

कल्हण के समय का कश्मीर                             साभार गूगल
बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

विश्वविख्यात ग्रंथ राजतरंगिनी के रचियता कल्हण ने कश्मीर का इतिहास लिखा था। कल्हण का जन्म 1150 में हुआ था। इनके पिता चंपक कश्मीर के महाराज हर्षदेव के महामात्य थे। कल्हण के छोटे भाई कनक महान संगीत मर्मज्ञ थे। कल्हण एक विलक्षण प्रतिभाशाली कवि थे। उन्होंने काव्य और इतिहास लेखन में निपुणता हासिल कर ली थी। लेकिन इतनी प्रतिभा होते हुए भी वह एकदम साधारण इंसान की तरह रहते थे। 

उस जमाने में यदि कोई राज कवि होता था, वह महल जैसे घर में रहता था, दास-दासियों से घर भरा रहता था, लेकिन कवि कल्हण एक साधारण सी झोपड़ी में अपनी पत्नी के साथ रहते थे। एक दिन दूसरे राज्यों के कुछ विद्वान उनसे मिलने और विभिन्न विषयों पर चर्चा करने आए। कल्हण ने उनका स्वागत सत्कार किया। झोपड़ी छोटी सी थी, तो उन्होंने सभी विद्वानों से झोपड़ी के बाहर बैठकर चर्चा की। 

यह देखकर विद्वानों ने सोचा कि यहां का राजा कितना निष्ठुर है जिसको कल्हण जैसे असाधारण प्रतिभाशाली व्यक्ति की कोई कदर नहीं है। उन्हें कल्हण की दशा देखकर बहुत बुरा लगा। जब चर्चा खत्म हुई, तो विद्वानों का दल राजा हर्षदेव के पास पहुंचा और उसने शिकायत की कि आप ने कल्हण की कोई मदद नहीं की। राजा हर्षदेव ने कहा कि मैंने तो बहुत प्रयास किया कि कवि कुछ मदद ले लें, लेकिन अब आप लोग ही कोशिश कर लें। शायद सफल हो जाएं। 

विद्वानों के कहने पर राजा ने बहुत सारा धन और भवन निर्माण की सामग्री भेजी। उसे देखते ही कल्हण ने अपनी पत्नी से कहा कि जो भी जरूरी वस्तुएं हैं, उनको बांध लो। हमें कहीं और चलना है। लगता है कि कश्मीर के राजा को अपने धन का अभिमान हो गया है। यह सुनकर विद्वानों ने कहा कि यह सब कुछ हमारे कहने पर आया है। हमें माफ कर दें। अब हमारी समझ में आ गया है कि त्याग ही आपकी सफलता है।

देश में बढ़ रही रिश्ते-नातों को शर्मसार करने वाली घटनाएं

अशोक मिश्र

महाकवि गोस्वामी तुलसी दास ने आज से लगभग चार-साढ़े सौ साल पहले लिखा था-अनुज वधू, भगिनी, सुत नारी, तिनहि विलोकत पातक भारी। उनके कहने का मतलब यह था कि छोटे भाई की पत्नी, बहन और पुत्रवधू पर जो कुदृष्टि डालता है,वह बहुत बड़े पाप का भागी होता है। तुलसीदास ने ऐसे कार्यों को अतिपातक की श्रेणी में रखा है। लेकिन आज हालात ऐसे हो गए हैं कि रिश्ते-नातों की कोई कदर ही नहीं रह गई है। समाज में बस मुट्ठी भर लोग जानवरों जैसा व्यवहार करने लगे हैं। 

फरीदाबाद के रोशन नगर में एक ससुर ने अपनी बहू से छेड़छाड़ की। बहू ने विरोध किया, तो ससुर ने उसका गला दबाकर मार डाला। हत्या के बाद जब घर वालों को इस बात की जानकारी हुई, तो पत्नी, पुत्र और पुत्री आदि ने अपने पति और पिता को लताड़ने या दोषी ठहराने की जगह बहू के शव को ठिकाने लगाने में मदद की। ससुराल वालों ने घर के सामने सड़क पर काफी गहरा गड्ढा खोदा और उस गड्ढे में रात को शव दफना दिया। सुबह मिस्त्री बुलाकर उस गड्ढे को पक्का करवा दिया ताकि किसी को पता न चले। 

इतना ही नहीं दो दिन बाद मृतका के पति ने थाने जाकर अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराते हुए कहीं चली जाने की बात कही। जब मायके वालों को शक हुआ, तो उन्होंने पुलिस से गुहार लगाई। पुलिस जब सक्रिय हुई, तब जाकर मामला खुला। ऐसी घटनाएं अब आम हो चली हैं। कहीं कोई अपने पति की हत्या करने में लगा हुआ है, तो कहीं कोई अपनी पत्नी की। ज्यादातर हत्याएं अवैध संबंधों को लेकर हो रही हैं। इन दिनों राजा रघुवंशी की हत्या का मामला काफी गरमाया हुआ है। 

पत्नी सोनम ने अपने अवैध संबंधों के चलते शादी के कुछ ही दिन बाद पति राजा की मेघालय में अपने प्रेमी और उसके साथियों के साथ मिलकर हत्या करवा। रिश्तों को तार-तार करने वाली घटनाएं आए दिन समाज में घटती रहती हैं। इसके लिए सिर्फ औरतें ही दोषी हों, यह सही नहीं है। स्त्री-पुरुष तो रिश्तों को तार-तार कर रहे हैं। कहने को तो समाज विज्ञान, कला, आर्थिक और सामाजिक तौर पर काफी विकास कर रहा है। देश और दुनिया में नए-नए आविष्कार हो रहे हैं जिससे जीवन काफी सरल हो रहा है, लेकिन कुछ आविष्कारों की वजह से हमारे समाज में नैतिक पतन भी काफी बढ़ा है। 

आधुनिकता के नाम पर यौन शुचिता को पुराने जमाने की मानकर स्त्री और पुरुष उच्छृंखलता को बढ़ावा दे रहे हैं। कहीं कोई स्त्री अपने होने वाले दामाद को लेकर फरार हो जा रही है, तो कहीं भाई-बहन आपस में ही विवाह कर ले रहे हैं। ऐसा नहीं है, पहले ऐसा नहीं होता था, लेकिन अब तो लगता है कि जैसे ऐसे संबंधों की बाढ़ ही आई हुई है।

Sunday, June 22, 2025

मन निर्मल न हो, तो ज्ञान का कोई मूल्य नहीं

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

अहंकार व्यक्ति की प्रतिभा को ही नष्ट नहीं करता है, बल्कि सोचने-समझने की शक्ति भी हर लेता है। यही वजह है कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में अहंकार को व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन बताया गया है। बात महात्मा बुद्ध के समय की है। श्रावस्ती के आसपास किसी शहर में एक युवक रहता था। उसने अपने युवावस्था में सोलह देशों की यात्राएं की थीं। वह युवक काफी प्रतिभाशाली और कुशाग्र बुद्धि का था। 

उसमें सीखने की काफी ललक थी। वह जिस देश में जाता, कोई न कोई नई बात सीखकर आगे बढ़ जाता। वह युवक एक राज्य में गया, जहां वाण-धनुष बनाना और चलाना आम बात थी। उस युवक ने एक व्यक्ति से वाण और धनुष को बनाने की कला सीख ली। फिर दूसरे देश गया, तो उसने वहां की कोई कला सीख ली। इस तरह उसने सोलह देशों की सोलह विद्याएं सीख लीं। 

जब वह अपने देश लौटा तो लोगों ने उसका भरपूर स्वागत किया। अपना इतना भव्य स्वागत और सोलह विद्याएं सीखने की वजह से उसमें धीरे-धीरे अहंकार आता गया। वह लोगों को चुनौती देने लगा कि उसके मुकाबले इस दुनिया में सबसे ज्यादा गुणी कौन है? धीरे-धीरे यह बात महात्मा बुद्ध तक पहुंची। वह उसकी प्रतिभा से परिचित थे। लेकिन उन्होंने सोचा कि यदि इसका अहंकार दूर नहीं किया गया तो एक दिन यह अहंकार उसे खा जाएगा। एक दिन भिक्षा मांगने उसके दरवाजे पर पहुंच गए। 

उसने पूछा-कौन? बुद्ध ने जवाब दिया-मैं आत्मविजय पथ का राही हूं। युवक इस बात समझ नहीं पाया, तो उसने अर्थ पूछा। बुद्ध ने कहा कि वाण या धनुष बनाना, जहाज बनाना जैसी कला तो कोई भी सीख सकता है। जब तक मन निर्मल न हो, तो ज्ञान का कोई मतलब नहीं होता। यह सुनकर युवक समझ गया कि बुद्ध उसे क्या समझाना चाहते हैं। उसका अहंकार दूर हो गया।

युद्धरत संसार में केवल योग से ही हो सकती है शांति की स्थापना

अशोक मिश्र

आज पूरी दुनिया में योग दिवस मनाया जा रहा है। विशाखापट्टनम में तीन लाख लोगों और चालीस देशों के राजनयिकों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने योग किया। इस बार योग की थीम 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग' थी। इंडियन काउंसिल फॉर कल्चर रिलेशन्स के मुताबिक, 191 देशों में 1,300 जगहों पर 2,000 से ज्यादा योग कार्यक्रम आयोजित किए गए। 

पीएम मोदी ने योग करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज जब दुनिया में अशांति, तनाव और अस्थिरता बढ़ रही है, तो योग शांति की दिशा दिखाता है। कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर स्थित पुरुषोत्तमपुरा बाग में राज्य स्तरीय कार्यक्रम में गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय और सीएम नायब सैनी ने योग गुरू बाबा रामदेव के साथ करीब डेढ़ घंटे तक योग किया। 

सच कहा जाए तो जिस तरह समाज में अराजकता, हिंसा, यौनाचार और विभिन्न तरह के अपराध हो रहे हैं, ऐसे समय में योग की बहुत बड़ी आवश्यकता है। योग जहां शारीरिक  व्याधियों को दूर करने का एक सशक्त माध्यम है, वहीं मानसिक शांति के लिए भी बहुत जरूरी है। वैसे भी योग का अर्थ जोड़ना है। समाज में पिछले कई दशकों से आ रहे विचलन और दुराव को योग ही दूर करने में सक्षम है। योग मन को शांति देने के साथ-साथ सकारात्मकता की ओर व्यक्ति को प्रेरित करता है। योग से ही मन की अशांति और नकारात्मकता को दूर किया जा सकता है। योग किसी जाति, धर्म या संप्रदाय से जुड़ा हुआ नहीं है। यह कोई भी कर सकता है और कहीं पर भी कर सकता है। इसके लिए विशेष संसाधन की भी जरूरत नहीं होती है। 

देश और विदेश में जिस तरह योग के प्रति लोगों में  जागरूकता बढ़ रही है,  उससे यह विश्वास किया जा सकता है कि निकट भविष्य में दुनिया शांति की ओर बढ़ेगी। हमारे देश में योग का प्रवर्तक आदियोगी महादेव को माना जाता है। कहते हैं कि लय और प्रलय को नियंत्रित करने वाले महादेव ने ही दुनिया को योग की शिक्षा दी थी। उन्होंने लोगों को योग से परिचय कराया था। इसके बाद महर्षि पतंजलि ने इस योग को सूत्रबद्ध किया था। योग के संबंध में सबसे पहली लिखित जानकारी वेदों में मिलता है। 

आदिदेव महादेव के साथ-साथ कृष्ण, महात्मा बुद्ध और महावीर आदि ने भी योग को विस्तार दिया। इस योग को आगे चलकर सिद्धपंथ, शैवपंथ, नाथपंथ, वैष्णव और शाक्त पंथियों ने अपने-अपने तरीके से विस्तार दिया। योग को जन-जन तक पहुंचाने में हमारे देश के प्राचीन ऋषियों-मुनियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इन्होंने ही इसे जन-जन में लोकप्रिय बनाया। आज की सबसे बड़ी जरूरत यह है कि इस युद्धरत संसार में योग का विस्तार किया जाए।

कौन हैं यह औरतें

अशोक मिश्र

कौन हैं यह औरतें 
जो गाहे बगाहे, नंगी हो जाती हैं 
आतंक और युद्ध के खिलाफ।
क्या तनिक भी लज्जा नहीं आती
सड़कों, बीच चौराहों और हजारों लोगों के सामने
कपड़े उतारते हुए।
युद्ध और आतंक के खिलाफ
बार-बार नंगी होने वाली औरतों
चाहे तुम मणिपुर की हो, पेरिस की हो या एस्टोनिया की
कोई फर्क नहीं पड़ता है किसी पर
तुम्हारे नंगी हो जाने से
तुम्हारा नंगापन तनिक भी विचलित नहीं करता
ना सभ्य किंतु अमानवीय समाज को
ना बेशर्म तानाशाह को
ना पूंजीपतियों की दलाली करने वाले
तमाम मुल्कों के राष्ट्राध्यक्षों को 
तुम्हारे नंगेपन को
देसी-विदेशी मीडिया चटकारे लेकर परोस देता है 
सारी दुनिया के सामने
और तब तुम्हारा नंगापन हो जाता है लज्जित 
समाज की नंगई के सामने। 
युद्ध और आतंकवाद 
शोषितों, पीड़ितों के लिए होता है त्रासद
पूंजीपतियों और उनके दलालों के लिए
युद्ध और आतंकवाद है एक व्यापार 
युद्ध और आतंकवाद खत्म नहीं करना चाहती 
मुनाफे पर आधारित बिकाऊ माल की अर्थव्यवस्था।
युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली औरतें
नंगी होने की जगह
उठा लेतीं हथौड़ा, गैंती, फावड़ा, बेल्चा, हंसिया
और खोद डालतीं उस व्यवस्था की नींव
जो युद्ध और आतंकवाद को देती है जन्म
जो करती है उन्हें, नंगी होने पर मजबूर।

Saturday, June 21, 2025

हरियाणा सरकार की गैंगस्टरों के खिलाफ मुहिम चलाने की तैयारी

अशोक मिश्र

दुनिया का कोई भी देश और समाज हो, जब वह भयमुक्त होता है, उसका विकास भी तभी संभव है। भयमुक्त समाज और देश में सभी लोग निर्बाध काम करते हैं, आपने साथ-साथ देश और समाज का विकास करते हैं। जब किसी प्रदेश या जिले में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग बिना किसी भय के रह रहे हों, तो उस प्रदेश या जिले के बारे में समझा जाता है कि वहां चौमुखी विकास हो रहा होगा। हरियाणा में औद्योगिक और आर्थिक प्रगति को बाधित करते हैं, यहां सक्रिय गैंगस्टर और उनके गुर्गे जो यहां के व्यापारियों, कारोबारियों और समाज के गणमान्य नागरिकों से रंगदारी वसूलते हैं। 

प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इन गैंगस्टरों के खिलाफ अभियान बहुत पहले से ही चला रखा है। इससे पूर्ववर्ती सरकारों ने भी अपनी क्षमता भर गैंगस्टरों का खात्मा करने का प्रयास किया। लेकिन अब सैनी सरकार ने युद्धस्तर पर गैंगस्टरों के खिलाफ मुहिम चलाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए मुख्यमंत्री सैनी ने पुलिस अधिकारियों से साफ तौर पर कहा है कि उन्हें गैंगस्टरों का खात्मा करने के लिए जो भी संसाधन चाहिए, मैन पावर चाहिए, वह सब उपलब्ध कराया जाएगा, लेकिन गैंगस्टरों का आतंक हर हालत में प्रदेश से खत्म होना चाहिए। 

गैंगस्टरों के सफाए के लिए पहले से ही बनाई गई स्पेशल टॉस्क फोर्स को उन्होंने ज्यादा से ज्यादा अधिकार, मैनपावर, बुलेट प्रूफजैकेट, बुलेट प्रूफ गाड़ियां और आधुनिकतम हथियार उपलब्ध कराने का फैसला किया है। उन्होंने प्रदेश पुलिस में योग्य अधिकारियों और कांस्टेबलों को अधिक से अधिक एसटीएफ में भेजने को कहा है ताकि मैनपावर और हथियारों की कमी की वजह से कोई गैंगस्टर बचने न पाए। आमतौर पर माना जाता है कि प्रदेश में छोटे-बड़े मिलाकर कुल अस्सी गैंग सक्रिय हैं। इनमें से कुछ गैंग को संचालित करने वाले थाईलैंड, अमेरिका, कनाडा जैसे देशों में भाग गए हैं
और वहीं से अपने गैंग को संचालित कर रहे हैं। उत्तर भारत में सबसे कुख्यात गैंग लारेंस बिश्नोई का माना जाता है।इसके अलावा काला जेठड़ी गैंग, नीरज बवाना गैंग, आसौदा गैंग, काजू गैंग जैसे न जाने कितने गैंग प्रदेश में सक्रिय हैं। इनमें कभी कभी आपस में ही मुठभेड़ होती रहती है। इन सभी गैंगस्टरों का मुख्य काम व्यापारियों, उद्योगपतियों और कुछ बड़े लोगों से फिरौती मांगना है। यह हत्याएं भी करने का काम लेते हैं। ऐसी स्थिति में प्रदेश में भय का संचार होता है। इसी भय का फायदा उठाकर गैंगस्टर अपना अवैध कारोबार चलाते हैं। लोगों में इतना भय होता है कि वे इनके खिलाफ कुछ बोलने या पुलिस का सहयोग करने से  कतराते हैं। सैनी सरकार लोगों में बसे इस भय को खत्म करना चाहती है।

जागो, समय निकला जा रहा है

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

गौतम बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु में जरा, मरण और मुक्ति दिलाने के मार्ग पर चलने का निश्चय किया था। कुछ लोग मानते हैं कि उनका पालन पोषण उनकी मौसी महाप्रजापती गौतमी ने किया था, इसलिए उन्हें गौतम कहा जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि उनका जन्म गौतम नक्षत्र में हुआ था, इसलिए वह गौतम कहलाए। महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन का सबसे ज्यादा वर्षाकाल श्रावस्ती के जेतवन में बिताया था। 

यह वन तत्कालीन शासक प्रसेनजित के पुत्र राजकुमार जेत का था जो जेतवन कहलाता था। इसे श्रावस्ती के एक नगरश्रेष्ठि ने गौतम बुद्ध के लिए राजकुमार जेत से इसे खरीद लिया था। एक बार की बात है। महात्मा बुद्ध जेतवन में प्रवचन दे रहे थे। प्रवचन के अंत में उन्होंने वहां मौजूद लोगों से कहा, जागो! समय निकला जा रहा है। 

प्रवचन खत्म होने के बाद उनके प्रिय शिष्य आनंद ने कहा कि तथागत! मैं आपकी आखिरी बात का मतलब नहीं समझ पाया। यह सुनकर तथागत मुस्कुराए और बोले, चलो, थोड़ा घूम आते हैं। जब वह आगे बढ़े, तो उनके सामने एक नर्तकी आई और उसने कहा कि महाप्रभु! आज मेरा नृत्य का कार्यक्रम नगर के धनाढ्य व्यक्ति के यहां तय था। जब आपने कहा कि जागो, समय निकला जा रहा है, तब मुझे कार्यक्रम की याद आई। 

थोड़ा आगे चलने पर एक व्यक्ति ने आकर उन्हें प्रणाम किया और कहा कि मुझे एक घर में चोरी करने जाना था। आपके जगाने पर ही मुझे चोरी करने जाने की बात याद आई। वहीं एक बुजुर्ग ने आगे आकर कहा कि अब तक तो मैंने निर्वाण के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन आपके जगाने से मैं जाग गया हूं। यह सुनकर तथागत ने आनंद से कहा कि मेरा संदेश एक ही था, लेकिन जिसकी जैसी प्रवृत्ति थी, उसने वैसा ग्रहण किया।

Friday, June 20, 2025

अपनी खोज के लिए उम्रकैद झेली

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

गैलीलियो गैलिली वह खगोल विज्ञानी थे जिन्होंने कॉपरनिक्स के सिद्धांतों का समर्थन किया था। इसी वजह से उन्हें चर्च का कोपभाजन बनना पड़ा। गैलीलियो का जन्म 15 फरवरी 1564 को इटली के पीसा नामक शहर में हुआ था। यह बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। लेकिन गरीबी की चलते गैलीलियो की पढ़ाई बीच में ही रोक दी गई थी। इनके पिता विन्सौन्जो गैलिली एक जाने माने संगीतज्ञ थे, लेकिन कमाई कम होने की वजह से उन्हें अपने बेटे की पढ़ाई छुड़ाकर काम-धंधे में लगाना पड़ा ताकि कुछ कमाई हो सके। 

गैलीलियो कपड़े के धंधे में लग गए। अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने कपड़े के धंधे में काफी अच्छी कमाई की और इसका नतीजा यह हुआ कि उन्हें दोबारा स्कूली शिक्षा शुरू करने का अवसर मिला। धीरे-धीरे उनकी रुचि विज्ञान में बढ़ती गई। उन्होंने प्रकाश की गति पता लगाने का प्रयास किया। वह अपने एक सहायक के साथ पहाड़ की दो चोटियों पर लालटेन लेकर जाते थे और दूरी के हिसाब से प्रकाश गति पता करने का प्रयास करते थे। 

वास्तविक प्रकाश की गति का पता बाद में अल्बर्ट आइंस्टीन ने लगाया, लेकिन गैलीलियो को आधुनिक विज्ञान का पिता होने का श्रेय आइंस्टीन ने दिया। बाद में गैलीलियो ने जब एक बड़ी दूरबीन बनाकर ग्रहों की चाल देखकर कहा कि पृथ्वी सहित सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं, तो चर्च इनसे नाराज हो गया। यह बात निकोलस कॉपरनिकस पहले ही साबित कर चुके थे। 

लेकिन उस समय के चर्च और ईसाई धर्माचार्य यह मानते थे कि ब्रह्मांड का केंद्र पृथ्वी है और पृथ्वी के चारों ओर सूर्य और दूसरे ग्रह चक्कर लगाते हैं। इसके बाद गैलीलियो को कैद कर लिया गया। माफी मांगने पर भी जीवन भर नजरबंद रहे।

बार-बार भर्ती प्रक्रिया रद्द होने से बेरोजगार होते हैं निराश

अशोक मिश्र

हरियाणा में बेरोजगारी की दर वर्तमान समय में 5.6 प्रतिशत बताई जाती है। साल 2025 का बजट पेश करते समय सीएम नायब सिंह सैनी ने यह घोषणा की थी कि हर साल 50 लाख युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की दिशा में उनकी सरकार काम कर रही है। इतना ही नहीं, उसने यह भी कहा था कि विज्ञान और इंजीनियरिंग करने वाली छात्राओं को एक लाख रुपये की स्कॉलरशिप दी जाएगी। 

हरियाणा में बेरोजगारी कई दशकों से एक प्रमुख मुद्दा रहा है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों ने सत्ता पक्ष पर युवाओं की बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश की है। इस मामले में किस सियासी दल को कितना लाभ हुआ, यह अलग विषय है, लेकिन हर बार चुनावों में यह मुद्दा बड़े जोरशोर से उठता रहा है। 

पिछले दस-ग्यारह साल से सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार ने कांग्रेस की सरकार पर पर्ची और खर्ची के आधार पर नौकरी देने का आरोप लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हर बार यही बात दोहराई है कि उनकी सरकार ने पिछले 10 वर्षों में 1.77 लाख सरकारी नौकरियाँ दी हैं। सभी भर्तियां मेरिट आधारित की गई हैं, जिससे भ्रष्टाचार और सिफारिशी प्रक्रिया पर रोक लगी है। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान केवल 86 हजार सरकारी नौकरियां दी गई थीं जिनमें भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। हालांकि कांग्रेस भाजपा के इस आरोप को नकारती है। लेकिन आज के हालात यह हैं कि प्रदेश सरकार के आदेश से हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने ग्रुप सी यानी तृतीय श्रेणी के 3053 पदों की भर्ती प्रक्रिया रद्द कर दी है। 

इससे पहले भी 5600 सिपाहियों की भर्ती प्रक्रिया को वापस लिया जा चुका है। सीईटी 2025 के लिए अभी तक परीक्षा की तिथियां तक घोषित नहीं की गई हैं। इसकी प्रक्रिया किसी भी दिन शुरू हो सकती है, इसकी घोषणा सरकार की ओर से की गई है। यदि विभिन्न पदों पर होने वाली भर्तियों की बात कही जाए, तो अब तक सरकार कुल 8653 पदों की भर्तियां वापस ले चुकी है। इन भर्ती प्रक्रिया में शामिल रहे अभ्यर्थी भविष्य में क्या करेंगे, इसके बारे में भी कोई साफ जानकारी नहीं दी गई है। 

अभ्यर्थियों के बार-बार पूछने पर यही कहा जा रहा है कि जल्दी ही इस बारे में दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। हरियाणा में बेरोजगारी की जो दर सरकारी आंकड़ों में दिखाई जा रही है, उससे कहीं अधिक बेरोजगारी है। इस बात को स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार को जल्दी से जल्दी बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने की दिशा में कदम उठाने होंगे। जिस प्रदेश का युवा ज्यादा बेरोजगार होता है, उस प्रदेश में अराजकता बढ़ती है।

कहीं अमेरिका को भारी न पड़ जाए ईरान से युद्ध करना?

 अशोक मिश्र

ईरान और इजरायल युद्ध में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कूद पड़ने को आतुर दिखाई दे रहे हैं। वह बार-बार ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई को चेतावनी दे रहे हैं कि वह तत्काल सरेंडर कर दें। वहीं, खामेनेई हैं कि  जिद पर अड़े हुए हैं कि वह किसी भी हालत में सरेंडर नहीं करेंगे। खामेनेई ने तो अपने देश की जनता को संबोधित करते हुए यहां तक कहा है कि मेरे मर जाने से कोई फर्कनहीं पड़ेगा, लेकिन ईरान झुकेगा नहीं। वैसे जब से दूसरी बार ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, उनकी विश्वसनीयता दांव पर है। वह अस्थिर मानसिकता वाले व्यक्ति की तरह कार्य कर रहे हैं। वह कब और क्या बोल जाएंगे, इसका कोई भरोसा नहीं है।

वैसे तो ट्रंप दुनिया भर में यह भौकाल बनाते फिर रहे हैं कि वह पूरी तरह युद्ध के खिलाफ हैं। रूस और यूक्रेन के युद्ध को खत्म कराने का दावा और प्रयास दोनों कर चुके हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने का श्रेय पहले दिन से ही लेने का प्रयास कर रहे हैं। भारत कई बार उनके इस बयान को खारिज कर चुका है। कल भी ट्रंप से 35 मिनट की टेलिफोनिक बातचीत में पीएम नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के मामले में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की बात से इनकार कर चुके हैं। लेकिन इस बात को चौबीस घंटे भी नहीं बीते थे कि ट्रंप ने फिर वही राग अलापना शुरू कर दिया। उस पर कोढ़ में खाज जैसी स्थिति तब पैदा हुई जब पाकिस्तानी फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने भारत-पाक समझौता करवाने के बदले में नोबल पुरस्कार देने की मांग कर बैठे। मुनीर की बात सुनकर एक बहुत पुरानी कहावत याद आ गई-घर में नहीं हैं दाने, अम्मा चली भुनाने। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था किस तरह डूबती नाव की तरह हिचकोले खा रही है, यह पूरी दुनिया जानती है। लेकिन अमेरिका की स्थिति भी कोई अच्छी नहीं है।

यह वही अमेरिका है, जो पूरी दुनिया को आर्थिक अनुशासन का घोल पिलाता रहता था। आज वही अमेरिका अपने कर्जदाताओं से यह गुहार लगा रहा है कि वह ब्याज की दरें घटा दो, कर्ज चुकाने की अवधि घटा दो, जिन शर्तों पर कर्ज चुकाने की बात हुई थी, उन शर्तों पर कर्ज चुकाना संभव नहीं है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था 27-28 ट्रिलियन डॉलर की मानी जाती है, जबकि उस पर सन 2024 तक 34.6 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो चुका था। अमेरिका के लिए कर्ज चुकाना भारी पड़ रहा है। एक तरह से देखें तो पाकिस्तान और अमेरिका की आर्थिक स्थिति एक जैसी है। फर्क इतना है कि पाकिस्तान छोटी अर्थव्यवस्था वाला देश है और उसे अमेरिका से खुरचन जैसी मदद भी मिल जाती है, तो उसका भला हो जाता है।

ऐसी स्थिति में यदि अमेरिका ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध में अपनी टांग अड़ा बैठा, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था और हिचकोले खाने लगेगी। लेकिन शायद ट्रंप को इसकी कोई परवाह नहीं है। यदि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की ट्रंप को परवाह होती, तो वह राष्ट्रपति बनते ही टैरिफ-टैरिफ की रट नहीं लगाते। उनकी इसी जिद की वजह से ही अमेरिका की जीडीपी में कुछ प्रतिशत की कमी आई गई थी। अमेरिकी जनता ही ट्रंप के टैरिफ राग और कर्मचारियों की छंटनी नीति से परेशान है।

कुछ समय के लिए ट्रंप के मित्र बने एलन मस्क की सलाह पर लाखों अमेरिकी कर्मचारियों की छंटनी करना, ट्रंप को भारी पड़ा। अमेरिका लगभग सभी प्रांतों में लाखों नागरिकों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया। भविष्य में भी ऐसे ही प्रदर्शन और होंगे। ट्रंप के ही आप्रवासन नीति के विरोध में लॉस एंजिलिस जल रहा है। वहां की जनता तोड़फोड़ और उग्र प्रदर्शन कर रही है। ऐसी स्थिति में ट्रंप का ईरान के खिलाफ युद्ध में कूद पड़ना, कहीं भारी न पड़ जाए। अमेरिकी जनता ट्रंप के इस फैसले का कितना समर्थन करेगी, यह कह पाना आसान नहीं है।

Thursday, June 19, 2025

सात हजार बच्चों की जान बचाने वाला डॉक्टर

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

सन 1869 को पोलैंड के क्रोटोजिन शहर में पैदा हुए मार्टिन आर्थर कॉनी को प्रीमेच्योर बच्चों को बचाने वाला मसीहा कहा जाता है। उन्होंने इनक्यूबेटर का आविष्कार किया था। इस इनक्यूबेटर के माध्यम से उन्होंने अपने जीवन भर में सात हजार से ज्यादा प्रीमेच्योर यानी समय से पहले पैदा हुए बच्चों की जान बचाई थी। इसके लिए उन्होंने अमेरिका और यूरोप के कई देशों में इनक्यूबेटर की प्रदर्शिनियां लगाई, लोगों को समझाया कि समय से पहले पैदा हुए बच्चों की जान बचाना संभव है। 

उन दिनों लोगों की यह मान्यता थी कि जो बच्चे समय से पहले पैदा हो गए हैं,  उन्हें बचा पाना कतई संभव नहीं है। ऐसे बच्चे मर ही जाएंगे। जब कॉनी ने लोगों को यह बात समझानी शुरू की, तो लोगों ने उनका खूब मजाक उड़ाया। लेकिन कॉनी अपनी बात पर अड़े रहे। बिना किसी मान-अपमान का भाव मन में लाए, वह अपने काम में जुटे रहे। 

नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे महिलाओं को उनकी बात पर विश्वास होने लगा। जब उन्होंने कई समय से पहले पैदा हुए बच्चों का जीवन बचा लिया, तो लोगों को विश्वास हुआ। फिर क्या था? महिलाएं अपने प्रीमेच्योर बच्चों को इनके पास लाकर छोड़ जाने लगीं। अब सवाल यह है कि इनके दिमाग में इनक्यूबेटर बनाने की बात कैसे आई। 

एक दिन वह एक मुर्गी फार्म हाउस से गुजर रहे थे तो उन्होंने देखा कि फार्महाउस के मालिक ने मुर्गी के अंडों को एक गर्म बक्से में रखकर से रहा है। तब उनके दिमाग में आया कि इस तरह तो प्रीमेच्योर बच्चों की भी जान बचाई जा सकती है। वह इस विचार को लेकर प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पियरे बुडिन के पास गए और उनके साथ काम करने लगे। इसके लिए कुछ नर्सों को भी प्रशिक्षित किया।

पर्यावरणीय दृष्टिकोण से मील का पत्थर साबित होगी जंगल सफारी

अशोक मिश्र

अरावली पर्वत शृंखला हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान और गुजरात के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। करीब 790 किमी लंबी पर्वत शृंखला जहां हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का परिचायक है, वहीं पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसको संरक्षित करने का कार्य प्रदेश सरकार ने शुरू कर दिया है। प्रदेश के हिस्से में जितना भी अरावली क्षेत्र आता है, उसको हराभरा करने का प्रयास शुरू हो गया है। 

अरावली पहाड़ियों पर होने वाले अवैध खनन को रोकने के लिए सरकार ने सख्ती से कदम उठाना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, अरावली पर्वतमाला क्षेत्र की जमीनों पर जिन लोगों ने अवैध कब्जे करके मकान, दुकान या फार्म हाउस बनवा लिया था, वन विभाग और नगर निगम ने संयुक्त रूप से उसे ढहाना शुरू कर दिया है। यह तो स्वाभाविक है कि अरावली क्षेत्र पर कब्जा करने वाले कोई साधारण व्यक्ति तो रहे नहीं होंगे। जिनकी सत्ता और शासन पर पकड़ रही होगी, वही अरावली क्षेत्र में कब्जा करने की हिम्मत कर पाए होंगे। सरकार ने फरीदाबाद सहित अन्य क्षेत्रों में बिना किसी भेदभाव के सारे अवैध मकान और फार्म हाउसों को ढहा दिया है। 

इसके साथ-साथ अरावली क्षेत्र में वन्य जीवों के संरक्षण, पर्यावरण को बचाने और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए जंगल सफारी परियोजना शुरू करने का फैसला लिया है। पहले इस काम को पर्यटन विभाग को सौंपा गया था, लेकिन अब यह दायित्व वन विभाग निभाएगा। इसके लिए प्रदेश के वन मंत्री राव नरबीर सिंह और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी नागपुर के गोरेवाड़ा सफारी और गुजरात के वनतारा जंगल सफारी का दौरा कर चुके हैं।

 इन सफारियों में वन्य जीव-जंतुओं को किस तरह रखा जाता है, उनकी देखभाल कैसे की जाती है, उनके आहार आदि की व्यवस्था किस तरह करनी चाहिए, इन सबके बारे में जानकारी ली जा चुकी है। जंगल सफारी पूरा होने से जहां वन क्षेत्र का संरक्षण हो पाएगा, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। जब दूरदराज से पर्यटक जंगल सफारी घूमने आएगा, तो स्वाभाविक रूप से लोगों की आय बढ़ेगी। हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी जंगल सफारी परियोजना और अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने पर अरावली क्षेत्र की तस्वीर ही बदल जाएगी। 

इन दोनों परियोजनाओं के पूरा होने के बाद न केवल अवैध खनन पर रोक लगेगी, बल्कि पेड़ों की अवैध कटाई पर भी लगाम लग जाएगी। यही नहीं, अरावली की घाटियों में जो कूड़ा-करकट डालकर उसके अस्तित्व से खिलवाड़ किया जा रहा है, वह भी रुकेगा। अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट और जंगल सफारी परियोजना पर्यावरणीय दृष्टिकोण से मील का पत्थर साबित होगी।

Wednesday, June 18, 2025

किसी को भी सजा नहीं दिलाना चाहता

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

संत प्रवृत्ति के लोग किसी को दंड देने के हिमायती नहीं होते हैं। वह किसी का भी बुरा नहीं चाहते हैं। भले ही कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के लोग उन्हें कष्ट देते रहते हों। संतों का यही स्वभाव उन्हें दूसरे लोगों से अलग करता है। किसी गांव में एक संत रहते थे। वह अपनी जरूरत भर का अन्न उपजाते थे। थोड़ा बहुत जो इधर-उधर से मिल जाता था, उसी से अपना काम चलाते थे। वह लोगों को नेकी की राह पर चलने की सलाह दिया करते थे। 

यदि किसी को कोई जरूरत पड़ जाती थी, तो वह अपनी क्षमता भर लोगों की मदद करने से भी नहीं चूकते थे। संत की इस प्रवृत्ति को देखते हुए लोग उन्हें तपस्वी कहकर बुलाते थे। हालांकि संत लोगों से कहा करते थे कि मैं कोई तपस्वी नहीं हूं। मैं भी आप लोगों की तरह एक साधारण इंसान ही हूं। इन्हीं लोगों में कुछ लोग ऐसे भी थे, जो संत से अकारण ही ईर्ष्या करते थे।


रात में यह लोग कंकड़ पत्थर और विभिन्न प्रकार के नुकीले कांटे वाले पौधे लाकर संत की कुटिया के आगे बिखेर देते थे। संत रोज सुबह उठते और उन कंकड़ पत्थरों और कांटों को बटोरकर दूर फेंक आया करते थे। यह क्रम लगभग रोज चलता था। लेकिन संत इस बात की किसी से शिकायत भी नहीं करते थे। एक दिन यह बात संत के एक दोस्त को पता चली तो वह इस मामले को पंचायत में ले गया। पंचायत ने संत से पूछा कि ऐसे लोगों को क्या दंड दिया जाए। 

संत ने कहा कि मैं किसी को दंड नहीं दिलाना चाहता हूं। पंचायत ने कहा कि आप कब तक यह सहते रहेंगे? संत ने कहा कि जब तक उन लोगों के पत्थर दिल पिघल नहीं जाते हैं। पंचायत में वे लोग भी बैठे हुए थे, जो दुष्टता करते थे। यह सुनकर उनके सिर शर्म से झुक गए। उस दिनों से उन्होंने ऐसा करना छोड़ दिया और संत के शिष्य बन गए।

हरियाणा में हर साल बढ़ता जा रहा बिजली खपत का आंकड़ा

अशोक मिश्र

हरियाणा में गर्मी अपने उच्चतम स्तर पर है। लोग गर्मी से परेशान हैं। यही नहीं, इंसान के अलावा दूसरे जीव जंतु भी भयंकर गर्मी से पीड़ित हैं। लेकिन इंसानों की परेशानी कुछ दूसरे किस्म की है। इंसानों की परेशानी प्रदेश में बार-बार लगने वाले बिजली कट से है। बिजली कट लगने पर इतनी गर्मी में किसी का भी परेशान हो जाना स्वाभाविक ही है। प्रदेश में हर साल बिजली की खपत बढ़ती जा रही है। इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रानिक वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग ने हमें पूरी तरह बिजली पर ही निर्भर कर दिया है। 

थोड़ा सा भी मसाला पीसना है तो उसके लिए ग्राइंडर-मिक्सर हाजिर है। लोगों ने सिल बट्टे का उपयोग करना ही छोड़ दिया है। प्रदेश में सबसे ज्यादा खपत 13 जून को 13452 मेगावॉट हुई थी। दिन रात के तापमान में बढ़ोतरी होने की वजह से बिजली की मांग भी बढ़ती जा रही है। बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रदेश की सैनी सरकार ने वैकल्पिक प्रबंध भी करने शुरू कर दिए हैं। 

इसके बावजूद प्रदेश में बार-बार बिजली कट लग रहे हैं। उद्योगों को भरपूर बिजली नहीं मिल पा रही है। इसके चलते कई उद्योग तो इन दिनों ठप होने के कगार पर हैं। हालांकि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने इस मामले में काफी सख्त रवैया अपना रखा है। उन्होंने प्रदेश के बिजली विभाग के अफसरों और कर्मचारियों को यह आदेश दे रखा है कि बार-बार लगने वाले कट की पूरी रिपोर्ट रोज उनके आफिस में भेजी जाए। यदि बिजली सप्लाई के मामले में किसी ने किसी किस्म की लापरवाही बरती, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। 

हालांकि ऊर्जा मंत्री विज का कहना है कि हरियाणा में बिजली सप्लाई को लेकर किसी किस्म की कोई दिक्कत नहीं है। दूसरों से बिजली लेने के लिए प्रदेश सरकार ने लंबे समय अवधि वाले समझौते कर रखे हैं। हरियाणा को सोलह हजार मेगावॉट बिजली की आवश्यकता होती है जिसकी पूरी व्यवस्था राज्य सरकार ने कर रखी है। इसके बावजूद सैनी सरकार ने आगामी दस वर्षों में खपत होने वाली बिजली की व्यवस्था करने की योजना अभी से बनानी शुरू कर दी है। 

सच है कि हर साल बिजली की खपत बढ़ती जा रही है। दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम और हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड आगामी कुछ ही दिनों में दस वर्ष में होने वाली बिजली खपत का एक खाका ऊर्जा मंत्रालय को भेजने वाला है। आमतौर पर कुछ साल पहले तक यह माना जाता था कि हर साल दस प्रतिशत बिजली की खपत बढ़ जाती है, लेकिन जिस तरह ग्लोबल वार्मिंग के चलते तापमान बढ़ रहा है, उसको देखते हुए दस प्रतिशत से कहीं ज्यादा बिजली की खपत बढ़ रही है।

Tuesday, June 17, 2025

जलियांवाला बाग कांड की बाहर आई सच्चाई

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

जलियांवाला बाग म्यूजियम में चेट्टूर शंकरन नायर की प्रतिमा लगी हुई है। कहा जाता है कि इसी प्रतिमा के सामने ब्रिटेन की महारानी और उनके प्रधानमंत्री ने हाथ जोड़कर उनके योगदान
को स्वीकार किया था। शंकरन नायर का जन्म 11 जुलाई 1857 में पलक्कड़ जिले के मनकारा गांव में हुआ था। इनके पिता मम्मायिल रामुन्नी पणिक्कर ब्रिटिश शासनकाल में तहसीलदार थे। 

नायर को 1897 में कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया गया था। नायर ने मद्रास लॉ कालेज से कानून की डिग्री हासिल की थी। बाद में उन्होंने विभिन्न सरकारी पदों पर कार्य किया। सन 1902 में लार्ड कर्जन ने उन्हें रैले विश्वविद्यालय आयोग का सचिव नियुक्त किया। बाद में वह भारतीय वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड की परिषद के सदस्य चुने गए। लेकिन 13 अप्रैल 1919 में जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ, तो उनकी आत्मा ने उन्हें झकझोर दिया। उन्होंने वायसराय परिषद से इस्तीफा दे दिया। 

उनके इस्तीफा देने के बाद ही दुनिया भर में जलियांवाला बाग हत्याकांड की असलियत बाहर आई। हंटर कमेटी का गठन हुआ। इसका नतीजा यह हुआ कि जलियांवाला बाग कांड के लिए जिम्मेदार जनरल ओ डायर को पदावनत कर दिया गया और अंतत: उसे अपने पद से त्यागपत्र भी देना पड़ा। बाद में शंकरन नायर ने एक पुस्तक लिखी जिसमें उन्होंने जनरल डायर को हत्याकांड का दोषी बताया। लंदन में रह रहे डायर ने उन पर मुकदमा कर दिया। लंदन में मुकदमा चला। 

न्यायाधीश के पूर्वाग्रह के कारण शंकरन नायर मुकदमा जरूर हार गए, लेकिन दुनिया भर को अंग्रेजी शासन की हकीकत बताने में काफी हद तक सफल भी हो गए। सन 1934 में 77 वर्ष की आयु में शंकरन नायर की मृत्यु हो गई।

अरावली वन क्षेत्र से अवैध निर्माण ध्वस्त करने से ही नहीं बनेगी बात

अशोक मिश्र

हरियाणा में इन दिनों अरावली पर्वत शृंखला को अवैध निर्माणों से मुक्त कराने का अभियान चल रहा है। इसका श्रेय मुख्यत: सुप्रीमकोर्ट को जाता है। हां, प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की प्रशंसा इसलिए की जानी चाहिए कि उन्होंने बड़ी सख्ती से अरावली क्षेत्र में किए गए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश दिया। उन्होंने इस मामले में अपने और पराये का भेद भी नहीं किया। पिछले दो दिनों में फरीदाबाद में 39 अवैध फार्म हाउसों को ध्वस्त कर दिया गया। इसमें कुछ भाजपा नेताओं के भी अवैध फार्म हाउस बताए जाते हैं। अवैध रूप से बनाए गए एक एक फार्म हाउस पर लोगों ने करोड़ों रुपये खर्च किए थे। 

अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने में लगे वन अधिकारियों और नगर निगम के लोगों का कहना है कि केवल फरीदाबाद में ही 6793 से अधिक छोटे-बड़े अवैध निर्माण को ढहाया जाना है। जुलाई के अंतिम सप्ताह तक सुप्रीमकोर्ट में प्रदेश सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। वन विभाग को सुप्रीमकोर्ट को यह बताना होगा कि उसने कुल कितने अवैध निर्माण को ढहाया है। असल में पहले भी सुप्रीमकोर्ट ने अरावली पर्वत शृंखलाओं पर हो रहे अवैध निर्माण और अवैध खनन पर चिंता जताई थी। 

वन विभाग और नगर निगम ने कार्रवाई भी की थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, कार्रवाई मंद पड़ती गई और अंतत: बंद हो गई। वन विभाग के प्रति जब सुप्रीमकोर्ट ने कड़ा रवैया अपनाया, तो वन विभाग की नींद खुली और अब वह कार्रवाई कर रहा है। करीब दो अरब साल पहले बनी अरावली पर्वत शृंखलाओं के साथ हो रहे खिलवाड़ को यदि रोक दिया जाए और जिन स्थानों पर पेड़-पौधे काटे जा चुके हैं, उन जगहों पर यदि दोबारा पौधे रोपे जाएं, उनकी सुरक्षा की जाए, तो एक बार फिर अरावली की पहाड़ियां अपना पुराना गौरव हासिल कर सकती हैं। 

दरअसल, बात यह है कि अरावली क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। अरावली क्षेत्र में देशी वृक्ष प्रजातियां जैसे खैर, ढोक, रोहिड़ा, ढूडी, खेजड़ी, हिंगोट, कैर तथा कुछ लुप्तप्राय वृक्ष प्रजातियां जैसे गुग्गुल, जाल और सालर पाई जाती हैं। अवैध रूप से पेड़ पौधों की कटान करने वाले लकड़ी माफिया की निगाह इन पर रही है। वह इन अमूल्य पेड़-पौधों की तस्करी करके अरावली क्षेत्र को खोखला करते रहे हैं। 

अरावली क्षेत्र कितना समृद्ध रहा है, इसका पता इस बात से चलता है कि यहां पर कई लुप्तप्राय और संकटग्रस्त वन्यजीव प्रजातियों जैसे दुर्लभ रस्टी स्पॉटेड बिल्ली, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, भारतीय छोटी सिवेट, बंगाल मॉनिटर छिपकली, उल्लू और चील का निवास स्थान भी है। इन्हें बचाना, हम सबका दायित्व है।

Monday, June 16, 2025

इतनी मेहनत करो कि थककर चूर हो जाओ

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

आमतौर पर देखा यह गया है कि अमीर लोग अपने लगभग सभी कामों के लिए नौकरों-चाकरों पर निर्भर हो जाते हैं। वह कोई भी काम करना अपनी तौहीन समझते हैं। इसका दुष्परिणाम भी सामने आता है। कई तरह  के शारीरिक और मानसिक रोगों के शिकार भी हो जाते हैं। 

वैसे आजकल के अमीर लोग काम तो नहीं करते हैं, लेकिन वह अपने घर या बाहर किसी जिम में जाकर अपना पसीना जरूर बहाते हैं। प्राचीन काल की एक कथा है। किसी नगर में एक धनाढ्य व्यापारी रहता था। उसके पास अपार धन-संपत्ति थी। कई बीघे में फैली एक शानदार हवेली थी। घर में हर काम के लिए नौकर-चाकर थे। लेकिन उसे एक समस्या थी। जब वह खा-पीकर रात को लेटता था, तो उसे नींद नहीं आती थी। 

अपनी बीमारी के लिए उसने कई वैद्यों को दिखाया, लेकिन उसे आराम नहीं मिला। उन्हीं दिनों उसके शहर में एक साधु आया। वह लोगों की समस्याओं को दूर कर देता था। उसकी नगर में अच्छी खासी ख्याति थी। एक दिन नगर का सबसे धनाढ्य व्यापारी उसके पास पहुंचा और अपनी व्यथा सुनाई। व्यापारी ने कहा कि रात में मुझे चैन से नींद नहीं आती है। थोड़ी देर सोने के बाद ही चौंक उठता हूं। कोई उपाय बताएं। 

साधु ने कहा कि आप कुछ काम करते हैं? व्यापारी ने कहा कि मुझे काम करने की क्या जरूरत है। मेरे पास इतने नौकर-चाकर किस लिए हैं? तब साधु ने कहा कि यदि तुम ठीक होना चाहते हो, तो मेरी बात मानो। तुम दिनभर में एक बार इतनी मेहनत करो कि थककर चूर हो जाओ। तभी तुम चैन की नींद सो पाओगे। व्यापारी ने साधु की बात मानकर अगले दिन खूब मेहनत की और रात में गहरी नींद सोया। सुबह उठने के बाद सबसे पहले साधु का पास व्यापारी गया और उसका आभार प्रकट किया।

भविष्य में हरियाणा को नहीं झेलनी पड़ेगी बिजली की किल्लत

अशोक मिश्र

फतेहाबाद का गोरखपुर गांव इन दिनों काफी चर्चा में है। चर्चा का कारण भी है। कारण यह है कि सन 2031 तक यानी आगामी छह साल के बीच गोरखपुर गांव में देश का सबसे बड़ा परमाणु बिजली संयंत्र लगने जा रहा है। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। शनिवार को गांव गोरखपुर पहुंचकर सीएम नायब सिंह सैनी और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने कार्यों की समीक्षा की। 

हरियाणा सदैव नवीन कार्यों को अंजाम देने में आगे रहा है। पूरे भारत में जब हरित क्रांति का नारा दिया गया ताकि देश को खाद्यान्न मामलों में आत्मनिर्भर बनाया जा सके तो सबसे पहले हरियाणा आगे आया था। हरियाणा के किसानों ने अपने खेतों में अधिक से अधिक अन्न पैदा करके देश को भुखमरी से बचाया और देश के सामने एक मिसाल पेश की। हरियाणा के किसानों ने न केवल कृषि यंत्रों का भरपूर उपयोग किया, बल्कि खेती के मामले में नए-नए प्रयोग भी किए। 

नतीजा यह हुआ कि दूसरे राज्यों ने भी हरियाणा से सीखकर अपने को खाद्यान्न मामले में आत्मनिर्भर बनाया। हालांकि यह भी सच है कि कृषि यंत्रों पर निर्भरता बढ़ने से कृषि कार्यों में पशुओं का उपयोग लगभग खत्म हो गया जिसकी वजह से किसानों ने धान की पराली को खेत में ही जलाना शुरू कर दिया। यह गलत परंपरा थी। लेकिन अब हरियाणा ऊर्जा के क्षेत्र  में एक नया कीर्तिमान रचने जा रहा है। हरियाणा में 2800 मेगावाट का परमाणु बिजली संयंत्र स्थापित होने जा रहा है। 

इस संयंत्र में पैदा होने वाली आधी बिजली हरियाणा को मिलेगी, जिससे प्रदेश को अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने में काफी सहूलियत भी होगी।  2800 मेगावाट बिजली पैदा करने में जो प्रदूषण होता, उससे भी बचत हो जाएगी। परमाणु बिजली संयंत्र से किसी प्रकार के प्रदूषण का कोई खतरा नहीं रहता है। प्रदेश सरकार ने न्यूक्लियर पॉवर कारपोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड को हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने का वायदा किया है। 

न्यूक्लियर पॉवर कारपोरेशन आफ इंडिया ने गोरखपुर गांव में 979 किसानों की करीब डेढ़ हजार एकड़ भूमि का अधिग्रहण भी कर लिया है। इस जमीन में से 75.4 हेक्टेयर पर आवासीय भवन के साथ साथ अस्पताल, स्कूल और अन्य भवन बनाए जाएंगे। इस प्लांट से 1700 अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्त की जाएगी। 

परमाणु बिजली संयंत्र का शिलान्यास 13 जनवरी 2014 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने किया था। इससे पहले वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने परमाणु बिजली योजना को एनओसी प्रदान की थी। भाजपा शासन काल में सन 2018 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था।



Sunday, June 15, 2025

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी

अशोक मिश्र

हरियाणा में 21 जून को आयोजित होने वाले 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को सैनी सरकार ऐतिहासिक बनाने की तैयारियों में जुट गई है। हमारे देश में योग का महत्व सदियों से बताया जाता रहा है। वैसे तो महर्षि पतंजलि को योग का जन्मदाता कहा जाता है। उन्होंने योग सूत्र की रचना की थी जो योग दर्शन का मूल ग्रंथ माना जाता है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग के आठ अंग बताए हैं। उन आठों अंगों को यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि कहा जाता है। 

आधुनिक योग का जन्मदाता महर्षि पतंजलि को इसलिए कहा जाता है क्योंकि योग को सरल शब्दों में लोगों को समझाकर उसे अपनाने के लिए प्रेरित किया। योग को सर्वसुलभ बनाने का सराहनीय कार्य महर्षि पतंजलि ने किया था। लेकिन ज्यादातर लोगों का मानना है कि योग के जन्मदाता आदियोगी शिव हैं। आदियोगी शिव ने साधना को योग का प्रमुख अंग माना है। योग केवल आसन या प्राणायम तक ही सीमित नहीं है। 

योगाभ्यास करने से जहां शरीर स्वस्थ रहता है, समस्त शरीर में ऊर्जा का प्रवाह समुचित रूप से होता रहता है, वहीं मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी योग बहुत लाभदायक है। यही वजह है कि भारत के योग को पूरी दुनिया में अपनाया गया। सदियों पहले भारतीय योग ने दुनिया के कई देशों को इसे अपनाने को मजबूर कर दिया। इसके पीछे कारण योग से होने वाला लाभ ही था। 

आज से ग्यारह साल पहले पीएम नरेंद्र मोदी के सुझाव पर संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया था। इसके बाद कई देशों में 21 जून को बड़े पैमाने पर योग दिवस मनाए जाने लगे। इस बार भी हरियाणा में बड़े पैमाने पर योग दिवस मानने की तैयारियां की जा रही हैं। योग दिवस के दिन प्रदेश के बाइस जिलों और 121 प्रखंडों में एक ही समय पर योग दिवस मनाया जाएगा। 

इसमें 11 लाख से अधिक लोगों के भाग लेने की संभावना है। प्रदेश सरकार का मुख्य कार्यक्रम कुरुक्षेत्र के ब्रह्म सरोवर पर आयोजित किया जाएगा। कुरुक्षेत्र के आयोजन में रामदेव मौजूद रहकर लोगों को योगाभ्यास कराएंगे। इस आयोजन में एक लाख से अधिक लोगों के आने की संभावना है। मुख्यमंत्री सैनी खुद इस बड़े आयोजन की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि योग दिवस के अवसर पर योगाभ्यास करने वालों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो, इसका पूरा ध्यान रखा जाए। भीषण गर्मी की वजह से कुछ लोगों को परेशानी हो सकती है। 

इससे बचने के लिए भी चिकित्सकों की व्यवस्था की जा रही है। वैसे तो पिछले 27 मई से प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में योग कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है जिसमें 12.60 लाख लोग हिस्सा ले चुके हैं।

सहनशीलता से बनी रहती है एकता

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

जापान में यामातो नाम किसी एक सम्राट का नहीं था। तीसरी से लेकर सातवीं शताब्दी तक जापान में यामातो राजाओं का शासन रहा। इस शासनकाल में जापान की खूब उन्नति हुई थी। कहा जाता है कि यामातो शासनकाल में ही तीसरी शताब्दी में बौद्ध धर्म जापान पहुंचा था। इन्हीं के शासनकाल में महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं का इतना प्रचार हुआ कि बौद्ध धर्म वहां का राष्ट्रीय धर्म बन गया। 

यामातो काल में ही जापान में कंजिरा और निहोन शोकी जैसे ऐतिहासिक ग्रंथों की रचना हुई, जिसमें जापान के इतिहास और पौराणिक कथाओं का वर्णन है। कहते हैं कि किसी एक यामातो सम्राट का एक राज्य मंत्री था ओ-चो-सान जो बूढ़ा होने की वजह से सेवानिवृत्त हो गया था। एक दिन सम्राट को पता चला कि उसका एक हजार व्यक्तियों का परिवार है और सभी लोग एक साथ बड़े सुख-शांति के साथ रहते हैं। 

यह सुनकर उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। सम्राट ने सोचा कि  सान का परिवार कैसे एकजुट होकर रहता है, इसका पता किया जाए। एक दिन वह अपने बुजुर्ग राज्य मंत्री से मिलने उसके घर जा पहुंचा। राज्यमंत्री सान ने अपने सम्राट का खूब स्वागत किया। स्वागत सत्कार के बाद जब बातचीत शुरू हुई तो सम्राट ने चान से पूछा कि महाशय! मैं आपके परिवार की एकता के बारे में बहुत सुना है। मैं आपके परिवार की एकता का रहस्य जानना चाहता हूं। 

राज्यमंत्री चान कुछ बोल नहीं पाते थे, इसलिए उन्होंने कलम दवात मंगाई और कागज के एक टुकड़े पर लिखा-सहनशीलता, सहनशीलता और सहनशीलता। यह पढ़कर सम्राट यामातो सब कुछ समझ गए। उन्होंने अपने पूर्व राज्यमंत्री विदा मांगी और कहा कि यदि परिवार के सभी लोग सहनशील हो जाएं, तो परिवार नहीं बिखरेगा।

मध्य पूर्व में परमाणु हथियारों की रेस का खतरा

 अशोक मिश्र

मध्य पूर्व में तनाव बढ़ रहा है। गुरुवार की रात इजरायल ने ईरान पर जबरदस्त हमला किया। ज्यादातर हमले ईरानी परमाणु स्थल को निशाने बनाकर किए गए। इजरायली हमले में 78 ईरानी नागरिक मारे गए और 320 लोगों के घायल होने की खबर है। हालांकि शुक्रवार की रात ईरान ने इजरायल पर जवाबी हमला किया है। ईरान ने तेल अवीव में इजरायली सैन्य मुख्यालय पर सटीक हमला किया है। ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध के बीच अमेरिका की क्या भूमिका है? सबसे बड़ा सवाल यही है। वैसे तो पिछले दो दिनों के हमले में किस देश को वास्तविक रूप से क्या नुकसान हुआ, इसकी सही जानकारी तो बाहर आने से रही, लेकिन यह सही है कि इन दिनों ईरान काफी हद तक कमजोर पड़ चुका है।

अमेरिका और इजरायल का मकसद सिर्फ इतना है कि वह किसी भी तरह परमाणु हथियार बनाने में सक्षम न हो सके। इजरायल ने इसीलिए गुरुवार की रात को ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करके उन्हें नष्ट करने का प्रयास किया ताकि वह आज यानी रविवार को अमेरिका के साथ परमाणु हथियार मामले को होने वाली बैठक में भाग लेने को मजबूर हो जाए या फिर उसका परमाणु हथियार बनाने का प्रोग्राम टल जाए या फिर इतना लेट हो जाए कि इजरायल को दूसरी कार्रवाई करने का मौका मिल जाए।

इजरायली हमले के बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह परमाणु कार्यक्रम पर जल्दी से जल्दी समझौता करे। इस बीच इजरायल ने देश पर बमबारी जारी रखने की कसम खाई है। वहीं ईरान ने परमाणु समझौता के बारे में होने वाली बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया है। अमेरिका और इजरायल जब भी ईरान पर न्यूक्लियर वीपेन्स बनाने का आरोप लगाते रहे हैं, ईरान हमेशा कहता रहा है कि उसका कार्यक्रम एक सिविल न्यूक्लियर प्रोग्राम है। 

इसके लिए रूस से मदद मिली है और ये पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। लेकिन अमेरिका और इजरायल इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं। अमेरिका ने तो इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन की बात पर भी विश्वास नहीं किया था। जब सद्दाम चीख-चीख कर दुनिया भर से कह रहे थे कि उनके पास परमाणु हथियार बनाने का उनका कोई प्रोग्राम नहीं है। लेकिन अमेरिका नहीं माना और इराक को नेस्तनाबूत करके ही माना। इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन को बंदी बनाने के बाद 30 दिसंबर 2006 को सन 1982 में दुजैल शहर में अपने 148 विरोधियों की हत्या के जुर्म में फांसी पर लटका दिया था।

वैसे सद्दाम हुसैन कोई दूध के धुले नहीं थे, उन्होंने अपने तीस साल के शासनकाल में ईराकी जनता पर काफी अत्याचार किए थे। लेकिन यहां बात अमेरिका की कूटनीति की है। सद्दाम हुसैन की मृत्यु के बाद इराक में कोई परमाणु हथियार नहीं पाया गया। हो सकता है कि ईरानी शासक सच कह रहे हों कि उनका कार्यक्रम एक सिविल न्यूक्लियर प्रोग्राम है। अब जब अमेरिका के इशारे पर इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया है, तो उसके पास दो ही विकल्प हैं। ईरान साउथ कोरिया के नक्शे कदम पर चलकर तमाम प्रतिबंधों के बावजूद परमाणु हथियार बना ले। या फिर सत्ता पलट का इंतजार करे। 

बताया जा रहा है कि अमेरिका और इजरायल आदि देश इस प्रयास में हैं कि ईरान के धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई को अपदस्थ करके वहां अपने किसी समर्थक की सरकार बनाई जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो इस बात की संभावना प्रबल रूप से दिखाई दे रही है कि ईरान के वर्तमान धार्मिक नेता खामेनेई और उनके सिपहसालार मध्य पूर्व के लिए एक बहुत बड़ी मुसीबत बन सकते हैं। साल-दो साल के भीतर मध्य पूर्व में इजरायल और अमेरिकी समर्थक देशों को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। मध्य पूर्व में परमाणु हथियारों की एक रेस शुरू हो सकती है।

Saturday, June 14, 2025

दूसरे के लिए पादरी कोल्बे ने दे दी जान

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

पादरी मैक्सिमिलियन कोल्बे का जन्म 1894 में पोलैंड में हुआ था। कोल्बे ने जीवन भर दया, क्षमा और त्याग जैसी भावनाओं का जीवन भर प्रचार प्रसार किया। कोल्बे ने धर्मशास्त्र का अध्ययन किया था और बाद में वह पादरी बन गए थे। वर्जिन मैरी के प्रति समर्पित मिलिशिया इमैकुलाटा नामक संगठन की स्थापना की थी। वह पोलैंड में काफी लोकप्रिय पादरी थे। लेकिन उन्हें जर्मनी के तानाशाह हिटलर की नाजी कैंप में अपनी जान गंवानी पड़ी थी। 

बात द्वितीय विश्व महायुद्ध की है। जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने पोलैंड पर हमला करके उस पर अपना अधिकार जमा लिया था। हिटलर ने पोलैंड के कुछ प्रमुख लोगों को कैद कर लिया था। इन कैदियों को उसने आॅशविट्ज एकाग्रता शिविर में कैद कर दिया था। इन कैदियों के साथ हिटलर के कैंप अधिकारी बहुत बुरा बर्ताव किया करते थे। उन्हीं दिनों शिविर से एक कैदी भाग गया। अधिकारियों ने उसे बहुत खोजा, लेकिन उसका कहीं कोई अता-पता नहीं लगा। 

इस पर अधिकारियों ने फैसला किया कि यदि भागा हुआ कैदी लौटकर नहीं आता, तब तक दस कैदियों को मौत की सजा दी जाएगी। अधिकारियों ने दस कैदी को छांटा और उन्हें एक लाइन में खड़ा कर दिया। उसमें से एक कैदी बहुत ज्यादा रो रहा था। उसने अधिकारियों से लाख विनती की कि उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं। उनकी देखभाल करने वाला कोई दूसरा नहीं है। 

वह उस पर रहम करें। लेकिन अधिकारी नहीं माने। तब पादरी कोल्बे आगे आए और उन्होंने कहा कि आपको दस लोगों को मौत की सजा देनी है, तो मैं इस आदमी के बदले सजा भुगतने को तैयार हूं। अधिकारी मान गए। कोल्बे को अधिकारियों ने मरने के लिए एक कमरे में छोड़ दिया। कुछ दिनों बाद उनकी भूख-प्यास से मौत हो गई। कैथोलिक चर्च ने 1982 में उन्हें संत घोषित किया।