Monday, June 23, 2025

राजा हर्षदेव को धन का घमंड हो गया है

कल्हण के समय का कश्मीर                             साभार गूगल
बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

विश्वविख्यात ग्रंथ राजतरंगिनी के रचियता कल्हण ने कश्मीर का इतिहास लिखा था। कल्हण का जन्म 1150 में हुआ था। इनके पिता चंपक कश्मीर के महाराज हर्षदेव के महामात्य थे। कल्हण के छोटे भाई कनक महान संगीत मर्मज्ञ थे। कल्हण एक विलक्षण प्रतिभाशाली कवि थे। उन्होंने काव्य और इतिहास लेखन में निपुणता हासिल कर ली थी। लेकिन इतनी प्रतिभा होते हुए भी वह एकदम साधारण इंसान की तरह रहते थे। 

उस जमाने में यदि कोई राज कवि होता था, वह महल जैसे घर में रहता था, दास-दासियों से घर भरा रहता था, लेकिन कवि कल्हण एक साधारण सी झोपड़ी में अपनी पत्नी के साथ रहते थे। एक दिन दूसरे राज्यों के कुछ विद्वान उनसे मिलने और विभिन्न विषयों पर चर्चा करने आए। कल्हण ने उनका स्वागत सत्कार किया। झोपड़ी छोटी सी थी, तो उन्होंने सभी विद्वानों से झोपड़ी के बाहर बैठकर चर्चा की। 

यह देखकर विद्वानों ने सोचा कि यहां का राजा कितना निष्ठुर है जिसको कल्हण जैसे असाधारण प्रतिभाशाली व्यक्ति की कोई कदर नहीं है। उन्हें कल्हण की दशा देखकर बहुत बुरा लगा। जब चर्चा खत्म हुई, तो विद्वानों का दल राजा हर्षदेव के पास पहुंचा और उसने शिकायत की कि आप ने कल्हण की कोई मदद नहीं की। राजा हर्षदेव ने कहा कि मैंने तो बहुत प्रयास किया कि कवि कुछ मदद ले लें, लेकिन अब आप लोग ही कोशिश कर लें। शायद सफल हो जाएं। 

विद्वानों के कहने पर राजा ने बहुत सारा धन और भवन निर्माण की सामग्री भेजी। उसे देखते ही कल्हण ने अपनी पत्नी से कहा कि जो भी जरूरी वस्तुएं हैं, उनको बांध लो। हमें कहीं और चलना है। लगता है कि कश्मीर के राजा को अपने धन का अभिमान हो गया है। यह सुनकर विद्वानों ने कहा कि यह सब कुछ हमारे कहने पर आया है। हमें माफ कर दें। अब हमारी समझ में आ गया है कि त्याग ही आपकी सफलता है।

1 comment:

  1. शिक्षाप्रद,प्रेरक, ऐतिहासिक दस्तावेज।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना मंगलवार २४ जून २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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