Monday, December 1, 2025

दूसरों के सहारे जीवन व्यतीत नहीं किया जा सकता

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

हर व्यक्ति को अपनी प्रतिभा और ज्ञान पर भरोसा करना चाहिए। किसी दूसरे की सहायता से जीवन का थोड़ा बहुत मार्ग तो तय किया जा सकता है, लेकिन यदि व्यक्ति में खुद कुछ करने की क्षमता नहीं है, तो दूसरों की मदद से हासिल की गई सफलता टिकाऊ नहीं होती है। 

व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाली मुसीबतों का सामना खुद ही करना पड़ता है। किसी राज्य में एक गुरु ने आश्रम खोल रखा था। उस आश्रम में गुरुजी के बहुत सारे शिष्य अध्ययन करते थे। गुरु जी तमाम विषयों की शिक्षा देने के साथ-साथ जीवन के व्यावहारिक पक्ष की भी शिक्षा दिया करते थे। शिष्य भी मन लगाकर गुरु जी की बताई बातों पर ध्यान दिया करते थे। 

एक दिन ऐसा हुआ कि एक शिष्य को अपने गुरु जी से मंत्रणा करते देर हो गई। गुरु और शिष्य छत पर विचारविमर्श कर रहे थे। शिष्य जब नीचे उतरने के लिए सीढ़ियों के पास आया, तो उसने देखा कि यह तो बहुत अधिक अंधेरा है। उसने अपने गुरु जी के पास जाकर कहा कि सीढ़ियों पर तो बहुत अंधेरा है। मैं कैसे नीचे उतरूं। यदि अंधेरे में उतरने का प्रयास किया
, तो गिर जाऊंगा। गुरुजी ने तत्काल एक दीपक जला दिया। जैसे ही शिष्य ने पहली सीढ़ी पर कदम रखा, गुरु जी ने तत्क्षण दीपक बुझा दिया। 

अब फिर पहले की तरह अंधेरा हो गया था। शिष्य ने कहा कि गुरु जी, यह आपने क्या किया? अभी तो मैंने पहली ही सीढ़ी पर पैर रखा था। गुरुजी ने कहा कि तुम कब तक दूसरों के सहारे जीवन व्यतीत करोगे। तुम पहले तो अपने भीतर अंधकार से जूझने की शक्ति पैदा करो या फिर अंधेरे से लड़ने के लिए अपना दीपक तलाशो। दूसरों के सहारे जीवन व्यतीत नहीं किया जा सकता है।

निस्वार्थ सेवा करने वालों की भी कमी नहीं है हमारे समाज में

अशोक मिश्र

छह सात महीने पहले की बात है। मिलेनियम सिटी गुरुग्राम में फैली गंदगी को लेकर जब पूरे देश में चर्चा हो रही थी। फ्रांसीसी महिला मैथिलडे आर ने जब गुरुग्राम को सुअरों के रहने लायक बताते हुए पोस्ट डाली थी, तब भी कुछ लोग ऐसे थे जो गुरुग्राम को साफ-सुथरा बनाने की लगातार कोशिश कर रहे थे। उन्हें अपने काम के लिए न किसी से ईनाम की अपेक्षा थी और न ही किसी तरह के प्रचार की। वह अपना नैतिक दायित्व समझ कर अपने काम को अंजाम दे रहे थे। उन्हें इस बात की भी चिंता नहीं थी कि लोग क्या कहेंगे? 

परिचित लोग उन्हें सड़कों की सफाई करते हुए या नालियां साफ करते हुए देखेंगे, तो किस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे। उन्हें तो बस अपने काम से मतलब था। ऐसे ही लोगों में सर्बिया का  नागरिक 32 वर्षीय लेजर जेनकोविक भी था जो अपने काम में लगा हुआ था। दरअसल, ऐसे लोग पूरी दुनिया में पाए जाते हैं। हरियाणा में भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो अपनी गली या मोहल्ले में बिना किसी खास प्रयोजन के भी सड़कों को साफ सुथरा रखने लगे हुए हैं। यह काम करने के लिए किसी ने उनसे अनुरोध
नहीं किया है, उन्हें इस काम के बदले में पैसा भी नहीं मिलना है, लेकिन वह प्रदेश का नागरिक होने का दायित्व चुपचाप निभा रहे हैं। 

कभी शिक्षक रहे सीनियर सिटीजन सेवानिवृत्ति के बाद भी निजी तौर पर कमजोर छात्रों को बिना को शुल्क लिए पढ़ा रहे हैं। यदि किसी को आपात स्थिति में किसी भी ब्लड ग्रुप का रक्त चाहिए, तो प्रदेश के लगभग सभी जिलों में ऐसे लोग मिल जाएंगे जो बड़ी तत्परता से जरूरतमंद तक मांगे गए ग्रुप का ब्लड उपलब्ध करा देते हैं। इसके लिए उन्हें पारिश्रमिक भी नहीं चाहिए। सर्दी के दिनों में गरीब बस्तियों में कंबल, रजाई और पहनने के लायक गर्म कपड़े बांटने के लिए बहुत सारे लोग आगे आ जाते हैं। यह लोग चुपचाप गरीब बस्तियों में जाकर उनकी दुख-तकलीफों की जानकारी लेते हैं और उन्हें उन परेशानियों से निजात दिलाते हैं। बहुत सारी संस्थाएं और काफी संख्या में लोग निजी स्तर पर जरूरतमंदों की मदद करते हैं। वह अपने खर्चों में कभी कभी कटौती भी कर लेते हैं, लेकिन जरूरतमंद की मदद जरूर करते हैं। 

अकसर देखने में आता है कि यदि कहीं जाम लगा हुआ है, एंबुलेंस फंसी हुई है, एकाएक एक आदमी सामने आता है। वह ट्रैफिक कंट्रोल करता है, लोगों को जाम से मुक्ति दिलाता है और जैसे ही सड़क सुचारु रूप से चलने लगती है, वह व्यक्ति गायब हो जाता है। लोग समझ नहीं पाते हैं कि वह व्यक्ति कहां से आया था और कहां चला गया। लोगों की मदद करने का जज्बा आज भी इन विपरीत परिस्थितियों में भी जाग्रत है। यह सही है कि समाज में लूट-खसोट, भ्रष्टाचार दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन यह भी सच है कि समाज में आज भी अच्छे और सच्चे लोग मौजूद हैं।