Tuesday, September 17, 2019

मकड़ी और सत्ता

-अशोक मिश्र
मकड़ी
कभी नहीं बनाती
बिल, घर या घोसले
बुनती है सिर्फ जाल।
कभी गौर से देखो
किसी कुशल कारीगर की तरह
मकड़ी को चुपचाप
जाल बुनते हुए
उसकी एकाग्रता, दक्षता और कार्यकुशलता
पर मुग्ध हो जाने का मन करेगा।
कितना सुंदर होता है मकड़जाल
मचल उठेगा दिल
उसकी कारीगरी की सराहना करने को
मकड़जाल
बहुत आकर्षित करता कीट पतंगों को
वे उसके आकर्षण में खिंचे चले आते हैं
अपनी जान गंवाने को।
सत्ता भी ऐसे ही तैयार करती है मकड़जाल
एक समानता भी होती है
सत्ता और मकड़ी के जाल में
दोनों धीरे-धीरे चूसते हैं रक्त
जाल में फंसे अपने शिकार का।
शिकार चाहे सत्ता के हों या मकड़ी के
जाल में फंसने के बाद बहुत छटपटाते हैं
लेकिन निकल नहीं सकते।
सत्ता और मकड़ी के जाल में
होती है एक और समानता
बड़े शिकार कभी नहीं फंसते
न सत्ता के जाल में
न मकड़ी के जाल में।
17 सितंबर 2019

Wednesday, August 14, 2019

सिर्फ देह नहीं होते हैं पिता

-अशोक मिश्र
कभी बूढ़े नहीं होते पिता
बेटे की नजर में
भले ही हो गई हो काया जर्जर, रोगग्रस्त
तब भी पिता अपने बेटे का होता है सबसे बड़ा अवलंबन।
गरीबी, बेकारी, भुखमरी, टीबी, कैंसर से जूझता बूढ़ा पिता
तब भी बूढ़ा नहीं होता अपने बच्चों की नजर में।
बच्चे उसे हमेशा समझते हैं जवान
मिल्खा सिंह की तरह तेज तर्रार धावक
मिल्खा सिंह आज भले ही हो गए हों बूढ़े
पर पिता मिल्खा सिंह आज भी जवान है, युवा है।
पिता
सिर्फ पिता नहीं होते किसी बेटे के लिए
और न ही सिर्फ देह होते हैं
और भी बहुत कुछ होते हैं पिता
घुप्प अंधियारी रातों में
उनींदी आंखों में चमक उठते हैं पिता
किसी जुगून की तरह
ज्वार-भाटा से थरथराते समुद्र के किनारे
प्रकाश स्तंभ की तरह
टाफियां, खिलौने, जमीन-जायदाद न दिला पाने वाले
पिता की बेबसी और लाचारी
महसूसते हैं बच्चे खुद पिता बनने के बाद।
जैसे माता कुमाता नहीं होती
ठीक उसी तरह
कभी बुरा नहीं होता पिता
पिता भले ही हो नाकारा, रोगी, जुआरी, अय्यास
कमा कर न लाता हो एक भी धेला घर में
पिता तब भी बुरा नहीं होता
जब वह बिना किसी गलती के पीटता है अपने बेटे को।
पिता न कभी बूढा होता है, न कभी बुरा होता है।
पिता सिर्फ एक पिता होता है
और एक दिन
जब चल देते हैं पिता
इस संसार से
तब वह छोड़ जाते हैं अपने पीछे
कभी न भरा जाने वाला एक शून्य
अनंत शून्य।

(हमारे सीनियर साथी राजीव कुमार के पिता की मृत्यु पर विनम्र श्रद्धांजलि)