स्निग्धा श्रीवास्तव


इस कहानी संग्रह की एक विचारणीय कहानी है 'देहदंश।' कहानी देहदंश राजनीति में महिलाओं की स्थिति का बेहद कटु किंतु साफगोई से किया गया विवेचन है। नेता जी राजनीति में सब कुछ पा लेना चाहते हैं। सत्ता का लालच उन्हें अच्छाई-बुराई का भी आभास नहीं होने देता है। यहां तक की उनकी पत्नी एक मंत्री की अभद्रता का शिकार हो जाती है, लेकिन उन्हें कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। हां, पत्नी यानी मिश्राइन जरूर इसे सदमे की तरह लेती हैं, लेकिन फिर वे भी माहौल में ढल जाती हैं। असल में मिश्रा- मिश्राइन सिर्फ कहानी के दो पात्र ही नहीं है, अपितु वे राजनीति के स्याह-सफेद पहलुओं के जीते-जागते उदाहरण हैं जिनसे आज समाज गुजर रहा है। राजनीति में ऐसे कई नेता हैं, जो न सिर्फ औरतों का इस्तेमाल करते है, उन्हें बुरी तरह भोगते हैं, बल्कि अपनी सद्चरित्रता का चोला भी पहने रहते हैं। मिश्रा और मिश्राइन के घावों को कुरेदने में मीडिया भी पीछे नहीं रहता है। राजनीति, पत्रकारिता की शवपरीक्षा करती हुई यह कहानी समाज के चेहरे से छद्म मुखौटा खींच लेने का दुस्साहस करती है। राजनीति और पत्रकारिता के लिए स्त्री की हैसियत एक देह से बढ़कर नहीं है, यह कहानी 'देहदंश' बांचती हुई चलती है।
कहते हैं कि इन्सान चाहे जितनी कामयाबी हासिल कर ले, रोजी-रोटी के लिए दूर देश में बस जाए, लेकिन उसके मन में कहीं न कहीं बचपन में वापस जाने की इच्छा मौजूद रहती है। ऐसा ही है कुछ, कहानी 'सुंदर लड़कियों वाला शहर' में। इसके दो पात्र शरद और प्रमोट को सालों बाद परिस्थितियां अपने गांव वापस ले आती हैं। बचपन से पढऩे में होशियार शरद शहर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, लेकिन प्रमोद शुरू से ही लड़कियों पर ही अटका रहता है। दोनों इस कहानी में अपने बचपन की यादों में, लड़कियों में डूबते उतराते हैं।
कहानी 'हवाई पट्टी के हवा सिंह' चुनावी दौरे पर गए एक नेता के हवाई दौरे की कहानी है। हवाई पट्टी के क्षतिग्रस्त होने के बावजूद पायलट के हवाई जहाज उतारने और अनियंत्रित भीड़ के व्यवहार की कहानी बयां हुई है इस कहानी में। कहानी 'प्लाजा' इस संग्रह की अच्छी कहानियों में से एक है। यह वर्तमान समाज में फैली बेरोजगारी से पीडि़त राकेश व्यथा-कथा ही नहीं, पूरे समाज की व्यथा कथा बनकर रह जाती है। 'संगम के शहर की एक लड़की', 'चना जोर गरम वाले चतुर्वेदी जी' जैसी कहानियां काफी मार्मिक हैं। कुल मिलाकर पूरा कहानी संग्रह पठनीय है।
कहानी संग्रह : व्यवस्था पर चोट करती सात कहानियां
कहानीकार : दयानंद पांडेय
प्रकाशक : शाश्वत प्रिंटर्स एंड पब्लिशर्स
1/10781, पंचशील गार्डन, नवीन शाहदरा, दिल्ली-32
मूल्य : 400 रुपये
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