अशोक मिश्र
फ्रांसीसी क्रांति के दौरान नेपोलियन बोनापार्ट को उभरने का मौका मिला। फ्रांसीसी क्रांति 1789 से 1799 के बीच हुई थी। कहते हैं कि इसी क्रांति के बाद धीरे-धीरे राजशाही का खात्मा होना शुरू हो गया था। कहा जाता है कि फ्रांस के शासक लुई सोलहवें एक कमजोर और अक्षम राजा थे और इसी बात का फायदा बाद में नेपोलियन बोनापार्ट ने उठाया। वह एक जनरल से शासक तक बना।
कोर्सिका द्वीपर एक इतावली परिवार में 15 अगस्त 1769 में जन्मे नेपोलियन में महत्वाकांक्षा बहुत थी। नेपोलियन पर सबसे ज्यादा प्रभाव उसकी मां का पड़ा था क्योंकि उसकी मां मारिया उदण्ड नेपोलियन को अनुशासन में रखती थी। एक बार की बात है। फ्रांस और रूस के बीच युद्ध चल रहा था। कई बार दोनों सेनाएं आगे बढ़ी, फिर पीछे हटीं। हजारों सैनिक दोनों ओर से मारे गए। एक दिन नेपोलियन अपने सैनिकों से बिछड़ गया। वह भागता हुआ एक दर्जी की दुकान में छिप गया।
रूसी सैनिक उसे खोज रहे थे। नेपोलियन ने दर्जी से कहा कि मैं फ्रांस का सम्राट हूं। मुझे कहीं छिपा दो। दर्जी ने नेपोलियन को एक कालीन में लपेटा और दीवार के सहारे खड़ा कर दिया। कुछ देर बाद रूसी सैनिक आए और उन्होंने तलाशी ली। एक सैनिक ने कालीन में तलवार भी घोंप दी। रूसी सैनिकों के जाने के बाद नेपोलिन ने कहा कि तुम्हारी तीन इच्छा पूरी कर सकता हूं।
दर्जी ने कहा कि मेरी छत टपक रही है, उसे ठीक करवा दो। पड़ोस के दर्जी को कहीं और जाने के लिए मना लो। जब सैनिक ने कालीन में तलवार घोंपी, तब कैसा लगा। नेपोलियन ने दोनों काम करवा दिया और कहा कि इस दर्जी को फांसी दे दो। जब उसे फांसी दी जाने वाली थी, तो एक सैनिक दौड़ता हुआ आया और बोला, सम्राट ने इसे माफ कर दिया है। उस सैनिक ने दर्जी को एक पत्र और ढेर सारा धन दिया। पत्र में लिखा था-अब समझ में आाया तब कैसा लेगा था मुझे।
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