अशोक मिश्र
उस्ताद मुजरिम ने आते ही मेरे सिर पर बम फोड़ दिया, ‘बेटा! बस कुछ ही दिन की बात है। मैं मुख्यमंत्री बनने वाला हूं। लोग सभाओं में मेरी जय-जयकार किया करेंगे। जनता दरबार में खैरात मांगने के लिए लाइन लगाएंगे। तू भी मेरे सामने हाथ बांधकर खड़ा होगा भिखमंगों की तरह। तब मैं पहचानूँगा या नहीं, इस बारे में मैं अभी कुछ नही कह सकता।’
‘आप क्या कह रहे हैं, मेरी समझ में नहीं आ रहा है।’ मैंने जमुहाई लेते हुए कहा, ‘आपने आज सुबह-सुबह ही शिव की बूटी तो नहीं चढ़ा ली।’
उस्ताद मुजरिम के चेहरे पर परमहंसी मुस्कुराहट आ गयी, ‘कल शाम को दिल्ली में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री ने ‘अपराधिस्तान’ राज्य बनाने को मंजूरी दे दी है। इधर राज्य का गठन हुआ, उधर मैं मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए राजभवन पहुंच जाऊंगा। तुम तो जानते ही हो, पिछले बीस साल से अपराधिस्तान आंदोलन का नेतृत्व कर रहा हूं। अब तो मौज हो जाएगी। देश के जितने भी छटे हुए गुंडे, बदमाश, जेबकतरे और लंपट हैं, उनको अपराधिस्तान में लाकर बसाऊंगा। सोचो...कितना मजा आएगा, जब किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री सड़कों पर किसी की जेब काटने के बाद गर्व से कहेगा कि आज मैंने पांच लोगों की पाकेटमार कर दो हजार रुपये कमाए।’
उस्ताद की बात सुनकर मैं उकताहट महसूस करने लगा, ‘ जेब और गला तो आज भी केंद्र और प्रदेश के मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारी काटते रहते हैं। यदि अपराधिस्तान में भी यही सब कुछ होगा, तो इसमें नई बात क्या होगी। एक बात मेरी समझ में तो आई नहीं और वह यह कि आज अखबारों में ऐसी कोई खबर तो छपी नहीं है। न ही मंत्रिमंडल की बैठक के बारे में किसी अखबार या चैनल पर कल कोई खबर थी। फिर यह बैठक कहां से हो गई।’मैंने देखा कि मेरी इस बात से उस्ताद मुजरिम के चेहरे पर कोई भाव नहीं उभरा। वे तपाक से बोले, ‘नहीं हुई है, तो आज या कल में हो जाएगी। यह पक्की खबर है कि एकाध दिन में मेरा अपराधिस्तान बनने का सपना पूरा होने वाला है। मेरा सूत्र मुझे गलत खबर नहीं दे सकता है। वैसे आज सुबह ही दिल्ली बात हुई थी। मुझे लगता है कि उसने कहा होगा, कब बैठक होगी और मैंने सुन लिया होगा कि कल बैठक हुई थी। खैर..कोई बात नहीं। जब बीस साल इंतजार किया, तो दो-तीन दिन इंतजार करने में क्या बुराई है।’
मैंने उस्ताद मुजरिम को गौर से देखा। वे इस बात को लेकर जिस तरह आश्वस्त नजर आ रहे थे, उससे मुझे लगा कि शायद उनकी बात सही हो। मैंने कहा, ‘आप कहते हैं कि अपराधिस्तान प्रदेश में मंत्री, मुख्यमंत्री और विधायक से लेकर सरकारी कर्मचारियों को अपराध करने की छूट होगी। मुझे तो लगता है कि यह छूट तो आज भी मिली हुई है। अच्छा आप ही बताइए, इतने घपले-घोटाले हुए, सत्ता और विपक्ष की इतनी ‘तू-तू..मैं-मैं’ हुई, लेकिन आज तक किसी को सजा भी हुई? विपक्ष में रहने वाले भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की टांग खींचते हैं। लेकिन जब अपनी सरकार बनती है, तो चुप्पी साध लेते हैं। ये नेता, मंत्री, अधिकारी आदि किसी मायने में मुजरिमों से कम हों, तो बताइए।’ मैंने धारा प्रवाह बोलते हुए कहा, ‘अच्छा उस्ताद, थोड़ी देर के लिए मान लिया कि अपराधिस्तान बनने जा रहा है। तो नये राज्य में ऐसा क्या होगा, जो अन्य राज्यों से अलग होगा।’
मेरी यह बात सुनते ही उस्ताद मुजरिम भड़क उठे, ‘कैसी बेवकूफों जैसी बातें करते हो। अरे, अपराधिस्तान बनते ही उनको उनका अपना मुख्यमंत्री यानी मैं मिल जाऊंगा। राज्य छोटा होने से संसाधनों का दोहन अच्छी तरह से हो सकेगा। राज्य का विकास करने में आसानी होगी। अभी जिन क्षेत्रों में शासन-प्रशासन के हाथ नहीं पहुंच पाते हैं, वहां तक उनकी पहुंच आसान हो जाएगी।’
मुझे लगा कि उस्ताद मुजरिम कुछ ज्यादा ही बोल गए है। उनकी बातें मुझे हाजमोला खाने के बावजूद पच नहीं रही थीं। मैंने तल्ख लहजे में कहा, ‘उस्ताद! एक बात बताऊं। अगर अपराधिस्तान बन गया, तो क्या होगा? हमारे सिर पर डंडा बरसाने के लिए नए प्रदेश के नाम पर पुलिस में भर्तियां होंगी, पुलिस, अर्धसैनिक बल आदि की संख्या बढ़ जाएगी। नया जिला या प्रदेश बनने पर नया कारागार भी बनेगा, ताकि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पर शांति और सुरक्षा के नाम पर लोगों को उसमें ठूंसा जा सके। अदालत बनेगी, ताकि जनता को कानून के डंडे से हांका जा सके। हम पर डंडा, लाठी बरसाने का आदेश देने वाले आईएएस और पीसीएस अफसर बढ़ जाएंगे। नेताओं, अफसरों और पूंजीपतियों के लिए लूटने-खसोटने के अवसर बढ़ जाएंगे। मंत्रियों और अफसरों का खर्चा जनता की पीठ पर लाद दिया जाएगा। इससे ज्यादा कुछ नहीं होगा।’ उस्ताद मुजरिम कुछ देर तक मेरी बात सुनकर सोचते रहे। फिर बोले, ‘ बात तो तुम्हारी किसी हद तक सही है, लेकिन इसके बावजूद अपराधिस्तान बनकर रहेगा। मेरा बीस साल का सपना यों ही नहीं टूट सकता।’ इतना कहकर उस्ताद झटके से उठे और बिना चाय पिये चलते बने।
No comments:
Post a Comment