-अशोक मिश्र
मेरी जगह आप भी होते, तो चौंक गए होते। वजह यह थी कि मेरे सामने एक अनिंद्य ‘सुंदरी’ खड़ी मुस्कुरा रही थी। मैंने पहले समझा कि कोई भूतनी मुझ पर सवार होने आई है। यह सोचते ही मेरे पूरे शरीर में भय का संचार होने लगा। बचपन में जब भी किसी भूत या भूतनी से मुठभेड़ हो जाती थी, तो हम लोग एकमात्र ब्रह्मास्त्र ‘हनुमान चालीसा’ का जोर-जोर से पाठ शुरू कर देते थे। चूंकि मेनका एकाएक मेरे सामने आ खड़ी हुई थी, इसलिए मैं भय और हड़बड़ी में ‘हनुमान चालीसा’ ही भूल गया। लाख सोचा, लेकिन मौके पर याद ही नहीं आया। अब क्या करूं? तभी मुझे एक उपाय सूझा। जब रत्नावली की एक घुड़की सुनकर तुलसी दास जैसे साधारण गृहस्थ महाकवि हो सकते हैं, ‘रामचरित मानस’ जैसा महाकाव्य रच सकते हैं, तो क्या मैं अपनी घरैतिन के नाम का जाप करके भूतनी को नहीं भगा सकता। बस फिर क्या था? मैं आंखें बंद और हाथ जोड़कर जोर-जोर से घरैतिन के नाम का जाप करने लगा। लेकिन यह क्या! वह ‘सुंदरी’भागने की जगह खड़ी मंद-मंद मुस्कुराती रही।
उसने मेरे कंधे को थपथपाते हुए कहा, ‘चलिए, आपको ‘यमराज सर’ ने बुलाया है।’
मैंने विनीत स्वर में कहा, ‘देवि! आप कौन हैं? मुझे यमराज सर ने क्यों बुलाया है?’
सुंदरी ने किंचित रोष भरे स्वर में कहा, ‘ताज्जुब है, तुम मुझे नहीं पहचानते? मैं ‘सनातन सुंदरी’ मेनका हूं। यमराज सर ने तत्काल तुम्हें तलब किया है। क्यों बुलाया है, यह तुम उन्हीं से पूछना।’ ‘मरता क्या न करता’ वाली दशा में मुझे यमराज सर के हुजूर में पेश होना पड़ा। यमराज आफिस के बाहर कुछ पुण्यात्माएं खड़ी ‘जिंदाबाद-मुर्दाबाद’ के नारे लगा रही थीं। एक पुण्यात्मा ने मेनका को देखते ही चीखकर कहा, ‘जवानी से लेकर बूढ़ापे तक संयमित जीवन जीने, दान-पुण्य करके भी हमें स्वर्ग में क्या मिला। वही लाखों साल की बूढ़ी रंभाएं, मेनकाएं, उर्वशियां। अरे हमने विभिन्न मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर लाखों-करोड़ों रुपये के सोने-चांदी इसलिए नहीं दान किए थे कि जब मैं स्वर्ग में आऊं, तो राजा मनु से लेकर मनमोहन सिंह के शासनकाल तक जीवित रहने वाली अप्सराएं हमारा स्वागत करें। वैसे भी ये अप्सराएं देवों, दानवों, असुरों और ऋषियों की सेवा करने से फुरसत पाएं, तो हमारा मनोरंजन करें। सत्ता और बाहुबल की हनक के बल पर देवों और असुरों ने इन अप्सराओं को हथिया लिया है। अगर जल्दी ही नई अप्सराओं की भर्ती नहीं हुई, तो हम स्वर्ग में हड़ताल कर देंगे। स्वर्ग सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे।’ मुझे लगा कि यह पुण्यात्मा पृथ्वी पर जरूर नेता रही होगी।
मेनका ने मुझसे कहा था, ‘ये बागी हैं, इनकी बातें मत सुनो।’ तब तक यमराज का दफ्तर आ चुका था। मुझे देखते ही यमराज ने कहा, ‘आओ! तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था। रास्ते में तुमने देख ही लिया होगा कि यहां हड़ताल के आसार हैं। मामला क्या है? यह भी तुम्हारे संज्ञान में आ चुका होगा। अत: हमने फैसला किया है कि मर्त्यलोक की कुछ सुंदरियों को अप्सरा नियुक्त किया जाए। अप्सराओं का चयन एक कमेटी करेगी जिसके तुम अध्यक्ष मनोनीत किए गए हो। हम पर पक्षपात का आरोप न लगे, इसलिए तुम्हें बुलाकर अध्यक्ष बनाना पड़ा।’
यमराज की बात सुनकर मैं हक्की-बक्की भूल गया। मैंने कांपते स्वर में पूछा, ‘सर! तो इन सनातन सुंदरियों का क्या होगा?’ यमराज मेरे सामने पहली बार मुस्कुराये, ‘मेनका ने वीआरएस के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए एप्लीकेशन दिया है। रंभा पहले से ही नोटिस पीरियड में चल रही है। अगले हफ्ते तक नोटिस पीरियड खत्म हो जाएगा। उसे इंद्र सर ने अपनी विशेष सेवा में ले लिया है। रिटारमेंट के बाद उसकी तनख्वाह इंद्र सर देंगे। उर्वशी को कोई न कोई आरोप लगाकर सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा। उसकी तैयारी कर ली गई है। बस, यहां का माहौल थोड़ा ठीक हो जाए।’‘’ यमराज द्वारा महत्व दिए जाने से मैं गदगद हो गया। मैंने हाथ जोड़कर विनीत भाव से कहा, ‘सर...मुझे क्या करना होगा?’
यमराज कुछ कहते इससे पहले मेनका बोल पड़ी, ‘मर्त्यलोक की कुछ सुंदरियां बुलाई गई हैं, आप चित्रगुप्त जी, नारद जी और वरुण देव जी के साथ बैठकर उन सुंदरियों में से योग्य पात्रों का सलेक्शन कर लें।’ इतना कहकर मेनका ने चलने का इशारा किया। मैं मेनका के साथ एक बड़े से हाल में पहुंचा। वहां रूस, अमेरिका, चीन, जापान आदि देशों की विश्वविख्यात रूप गर्विता सुंदरियां बैठी अपनी मधु मुस्कान बिखेरती वातावरण को नैसर्गिक सुषमा प्रदान कर रही थीं। मैंने चारों तरफ इस उम्मीद से नजर दौड़ाई कि भारत की कौन-कौन सी सुंदरियां बुलाई गई हैं। मैंने सोचा कि जिन सुंदिरयों ने मुझे भाव नहीं दिया है, कभी गले नहीं लगाया, आज उनका चयन कर उन पर एक एहसान लाद दूंगा, ताकि जब मैं स्वर्ग आऊं, तो वे मेरी विशेष सेवा करें। लेकिन यह क्या? भारत की एक भी सुंदरी उनमें नहीं थी। मैंने मेनका से पूछा, ‘भारत से सुंदरियां नहीं बुलाई गईं?’
मेनका ने इधर उधर देखा और फिर फुसफुसाती हुई बोली, ‘वो क्या है सर...पिछली बार जब भी भर्ती हुई थी, तो सारी अप्सराएं देवभूमि भारत से थीं। स्वर्ग के देव, दानव भारतीय सुंदरियों की सेवा लेते-लेते ऊब चुके हैं। सो, इस बार अमेरिका, चीन, जापान और रूस की सुंदरियों को मौका देने पर विचार किया गया है। यमराज और इंद्र सर भी यही चाहते हैं।’
यह सुनते ही मुझे ताव आ गया। मैं चिल्लाया, ‘यह तो भारत का अपमान है। वहां एक से बढ़कर एक सुंदरियां मौजूद हैं। इन सुंदरियों के आगे तो मेनका, रंभा, उर्वशी जैसी अप्सराएं पानी भरती नजर आएं। राखी सावंत, मल्लिका सहरावत, मलाइका अरोड़ा खान को बुलाओ। उनके बिना तो यह सलेक्शन ही पूरा नहीं होगा। मेरे सामने से हटो। मैं जाकर यमराज से पूछता हूं कि यह भेदभाव उन्होंने क्यों किया।’ इतना कहकर मैंने मेनका को ढकेलकर आगे बढ़ना चाहा। लेकिन यह क्या! मुझे धप्प की आवाज के साथ किसी के गिरने का एहसास हुआ। मैं चौंक गया। मैंने देखा कि मैं अपने बिस्तर पर हूं और घरैतिन नीचे गिरी चिल्ला रही थीं, ‘हाय राम...मर गई।’ अब आप समझ सकते हैं कि हुआ क्या था?
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